हो भाषा
मुंडा समूह की भाषा
हो आस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार की मुंडा शाखा की एक भाषा है, जो भूमिज और मुण्डारी भाषा से संबंधित हैं। हो भाषा झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, असम, एवं उड़ीसा के आदिवासी क्षेत्रों में लगभग १०,७७,००० हो (कोल) आदिवासी समुदाय द्वारा बोली जाती है।
हो भाषा | ||||
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हो जगर | ||||
बोलने का स्थान | भारत, बांग्लादेश | |||
समुदाय | हो जनजाति | |||
मातृभाषी वक्ता | 20.7 लाख | |||
भाषा परिवार |
ऑस्ट्रो-एशियाई
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लिपि |
(मूल लिपि)वारंग क्षिति, (एैच्छिक लिपि) उड़िया, देवनागरी, रोमन | |||
राजभाषा मान्यता | ||||
नियंत्रक संस्था | कोई संगठन नहीं | |||
भाषा कोड | ||||
आइएसओ 639-3 | hoc | |||
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विशेषकर यह भाषा झारखण्ड के सिंहभूम इलाके में बोली जाती है । झारखंड में इस भाषा को द्वितीय राज्य भाषा के रूप में शामिल किया गया है।[1]
हो भाषा को लिखने के लिए वारंग क्षिति लिपि का उपयोग किया जाता है, जिसका आविष्कार ओत् गुरु कोल लको बोदरा द्वारा किया गया था ओट कोल लाको बोदरा खुद को कोल मानते थे इसीलिए उनके नाम के आगे कोल शब्द जुड़ा है। इसका प्रमाण आपको उनकी लिखी गई बहुत सी किताबो में मिल जायेगा। [2] इसे लिखने के लिए देवनागरी, रोमन, उड़िया और तेलुगु लिपि का भी उपयोग किया जाता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करें- ह्वारङ क्षिति (हो भाषा की लिपि)
- हो (जनजाति)
- मुण्डा भाषाएँ
- ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाएँ
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Glottolog 4.7 - Ho". glottolog.org. अभिगमन तिथि 2023-02-15.
- ↑ "The Ho Language :: The Warang Chiti Alphabet". langhotspots.swarthmore.edu. अभिगमन तिथि 2023-02-15.