शासन-अंतराल, राजा-अंतराल या शासन अंतर्काल या केवल अंतर्काल, किसी निरंतर व अविरल शासन व्यवस्था में अनिरंतर्ता या असातत्यता के काल को कहा जाता है। इस शब्द को किसी सरकार, राजतंत्र या संगठन में शीर्ष नेतृत्व के परिवर्तन के मध्य के समय के बोध के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। किसी राजतांत्रिक व्यवस्था में एक शासक की मृत्यु या पदत्याग और उसके उत्तराधिकारी के राज्याभिषेक के बीच के काल को कहा जा सकता है, वहीं किसी गणतांत्रिक व्यवस्था में एक राष्ट्रप्रमुख या शासनप्रमुख के पदत्याग और अगले पदाधिकारी के पदप्रवेश के बीच के समय को भी कहा जा सकता है। तथा एक विशेष प्रकार के शासन-व्यवस्था की निरंतरता के बीच किसी अन्य व्यवस्था के अनिरंतर्ता के काल को कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप:वर्ष १५४० से १५५५ के बीच शेर शाह सूरी का राज, मुग़ल शासन का अंतर्काल था, उसी प्रकार १६४९ से १६५० के बीच अंग्रेज़ी गणसंघ और प्रोटेक्टरेट का गणतांत्रिक काल, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड राजशाही में राजतांत्रिक शासन का अंतर्काल था। ऐतिहासिक तौर पर अमूमन ऐसा देखा गया है कि लंबे अंतर्शासन काल, अस्त-व्यस्तता, अराजकता, उत्तराधिकार युद्ध और गृहयुद्ध जैसी परिस्थितियों से ग्रस्त होते हैं। एक विफल राज्य आमतौर पर अंतर्काल का हिस्सा होता है।

संसदीय व्यवस्था में संसद के भंग होने और नवीन संसद के निर्वाचन के बीच के काल को अंतर्काल कहा जाता है। कई देशों में इस समय के दौरान एक अंतर्कालीन सरकार या सामायिक सरकार का शासन होता है, जिसे किसी न्यायाधीश या सभापति जैसे निष्पक्ष पदाधिकारी के नेतृत्व में निर्वाचन काल की अघुआई करने हेतु रखा जाता है। कई राजतांत्रिक देशों में ऐसे अंतर्काल से बचने के लिए, तत्क्षणिक उत्तराधिकार की व्यवस्था होती है, जिसके कारण, पूर्वशासक के निधन के साथ ही उनका उत्तराधिकारी, बिना किसी औपचारिकता या समारोह के, सिंघासन पर विराजमान हो जाता है, अतः तकनीकी तौर पर, ऐसी व्यवस्था में, सिंघासन कभी भी रिक्त नहीं रहता है। ऐसी व्यवस्था यूनाइटेड किंगडम तथा कुछ अन्य योरोपीय देशों में देखि जा सकती है।

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