ब्रिटिश राजतंत्र
ब्रिटिश एकराट्तंत्र अथवा ब्रिटिश राजतंत्र(अंग्रेज़ी: British Monarchy, ब्रिटिश मोनार्की, ब्रिटिश उच्चारण:ब्रिठिश मॉंनाऱ्क़़ी), वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की यूनाइटेड किंगडम की संवैधानिक राजतंत्र है। ब्रिटिश एकाधिदारुक को यूनाइटेड किंगडम समेत कुल १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों, मुकुटिया निर्भर्ताओं और समुद्रपार प्रदेशों के राजमुकुटों सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, 8 सितंबर वर्ष 2022 से महाराजा चार्ल्स तृतीय हैं जब उन्होंने अपनी माता एलिज़ाबेथ द्वितीय से राजगद्दी उत्तराधिकृत की थी।
यूनाइटेड किंगडम के के राजा | |
---|---|
![]() शाही कुलांक | |
पदस्थ | |
![]() | |
चार्ल्स तृतीय 8 सितंबर 2022 से | |
विवरण | |
संबोधन शैली | महामहिम |
उत्तराधिकारी | विलियम, वेल्स के राजकुमार |
प्रथम एकाधिदारुक | विवादित |
निवास | सूची |
वेबसाइट |
www |
संप्रभु और उसके तत्काल परिवार के सदस्य देश के विभिन्न आधिकारिक, औपचारिक और प्रतिनिधि कार्यों का निर्वाह करते हैं। सत्ताधारी रानी/राजा पर सैद्धांतिक रूप से एक संवैधानिक शासक के अधिकार निहित है, परंतु सदियों पुराने आम कानून के कारण संप्रभु अपने अधिकतर शक्तियों का अभ्यास केवल संसद और सरकार के विनिर्देशों के अनुसार ही कार्यान्वित करने के लिए बाध्य हैं। इस कारण से, इसे वास्तविक तौर पर एक संसदीय सम्राज्ञता मानी जाता है। संसदीय शासक होने के नाते, शासक के अधिकतर अधिकार, निष्पक्ष तथा गैर-राजनैतिक कार्यों तक सीमित हैं। सम्राट, शासक और राष्ट्रप्रमुख होने के नाते उनके अधिकतर संवैधानिक शासन तथा राजनैतिक-शक्तियों का अभ्यय वे सरकार और अपने मंत्रियों की सलाह और विनिर्देशों पर ही करते हैं। परंपरानुसार शासक, ब्रिटेन के सशस्त्र बल के अधिपति होते हैं। हालाँकि, संप्रभु के समस्त कार्य-अधिकारों का अभ्यय शासक के राज-परमाधिकार द्वारा होता है।
वर्ष १००० के आसपास, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के राज्यों में कई छोटे प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्य विकसित हुए थे। इस क्षेत्र में आंग्ल-सैक्सन लोगों का वर्चस्व इंग्लैंड पर नॉर्मन विजय के दौरान १०६६ में समाप्त हो गया, जब अंतिम आंग्ल-सैक्सन राजा हैरल्ड द्वितीय की मृतु हो गयी थी और अंग्रेज़ी सत्ता विजई सेना के नेता, विलियम द कॉङ्करर और उनके वंशजों के हाथों में चली गयी।
१३वीं सदी में इंग्लैंड ने वेल्स की रियासत को अवशोषित किया तथा मैग्ना कार्टा द्वारा संप्रभु के क्रमिक निःशक्तकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। १६०३ में स्कॉटलैंड के राजा जेम्स चतुर्थ, अंग्रेजी सिंहासन पर जेम्स प्रथम के नाम से विराजमान होकर जो दोनों राज्यों को एक व्यक्तिगत संघ की स्थिति में ला खड़ा किया। १६४९ से १६६० के लिए अंग्रेज़ी राष्ट्रमंडल के नाम से एक क्षणिक गणतांत्रिक काल चला, जो तीन राज्यों के युद्ध के बाद अस्तिव में आया, परंतु १६६० के बाद राजशाही को पुनर्स्थापित कर दिया गया। १७०७ में परवर्तित एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, जो आज भी परवर्तित है, कॅथॉलिक व्यक्तियों तथा कैथोलिक व्यक्ति संग विवाहित व्यक्तियों को अंग्रज़ी राजसत्ता पर काबिज़ होने से निष्कर्षित करता है। १७०७ में अंग्रेज़ी और स्कॉटियाई राजशाहियों के विलय से ग्रेट ब्रिटेन राजशही की साथपना हुई और इसी के साथ अंग्रज़ी और स्कोटिश मुकुटों का भी विलय हो गया और संयुक्त "ब्रिटिश एकराट्तंत्र" स्थापित हुई। आयरिश राजशही ने १८०१ में ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ जुड़ कर ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड का यूनाइटेड किंगडम की स्थापना की।
ब्रिटिश एकराट्, विशाल ब्रिटिश साम्राज्य के नाममात्र प्रमुख थे, जो १९२१ में अपने वृहत्तम् विस्तार के समय विष के चौथाई भू-भाग पर राज करता था। १९२२ में आयरलैंड का पाँच-छ्याई हिस्सा आयरिश मुक्त राज्य के नाम से, संघ से बहार निकल गया। बॅल्फोर घोषणा, १९२६ ने ब्रिटिश डोमिनिओनों के औपनिवेशिक पद से राष्ट्रमंडल के भीतर ही विभक्त, स्वशासित, सार्वभौमिक देशों के रूप में परिवर्तन को मान्य करार दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य सिमटता गया, और ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकतर पूर्व उपनिवेश व प्रदेश स्वतंत्र हो गए।
जो पूर्व उपनिवेश, ब्रिटिश शासक को अपना शासक मानते है, उन देशों को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल प्रमंडल या राष्ट्रमण्डल प्रदेश कहा जाता है। इन अनेक राष्ट्रों के चिन्हात्मक समानांतर प्रमुख होने के नाते, ब्रिटिश एकराट् स्वयं को राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के ख़िताब से भी नवाज़ते हैं। हालांकि की शासक को ब्रिटिश शासक के नाम से ही संबोधित किया जाता है, परंतु सैद्धान्तिक तौर पर सारे राष्ट्रों का संप्रभु पर सामान अधिकार है, तथा राष्ट्रमण्डल के तमाम देश एक-दुसरे से पूर्णतः स्वतंत्र और स्वायत्त हैं।
संवैधानिक पद, कार्य व शक्तियाँ
संपादित करेंब्रिटेन की राजतांत्रिक व्यवस्था में, राजा/रानी(संप्रभु) को राष्ट्रप्रमुख का दर्ज दिया गया है। ब्रिटिश राजनीतिक व्यवस्था, जोकि हज़ारों वर्षों की कालावधि पर क्रमिक रूप से विकसित व परिवर्तित होती रही है, में, शासक के पारंपरिक व वास्तविक शक्तियाँ घटती-बढ़ती रही है। ब्रिटिश राजनैतिक संकल्पना में, ब्रिटेन के संप्रभु को राजमुकुट के मानवी अवतार के रूप में माना जाता है, अर्थात वे सम्पूर्ण राज्य व पूरी शसंप्रणाली के समस्त शासनाधिकार के अंत्यंत स्रोत हैं, और ब्रिटेन पर शासन करने का अधिकार अंत्यतः ब्रिटिश संप्रभु के पास ही है। अतः, न्यायाधीश, सांसदों तथा तमाम मंत्रियों समेत, सारे सरकारी अफ़सरों और कर्मचारियों एक आधिकारिक नियोक्ता व कार्याधिकार के के प्रदाता भी संप्रभु ही हैं। तथा निष्ठा की शपथ महारानी(अथवा महाराज) के प्रति ली जाती है। तथा सरे संसदीय अधिनियमों को वैधिक होने के लिए शाही स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य है। तथा यूनाइटेड किंगडम का राष्ट्रगान गॉड सेव द क्वीन(हे ईश्वर, हमारी रानी को रक्षा करो) है। इसके अलावा सभी डाक टिकटों, सिक्कों व मुद्रा-नोटों पर शासक की छवि को अंकित किया जाता है।
बहरहाल, शासन-प्रक्रिया, नीति-निर्धारण व प्रशासनिक निर्णय लेने में, अधिराट् का वास्तविक योगदान न्यूनतम तथा नाममात्र का छूट है, क्योंकि विभिन्न ऐतिहासिक संविधियों और रूढ़ियों के कारण शासक के अधिकतर अधिराटिय शक्तियाँ अधिराट् से मुकुट के मंत्रियों और अधिकारियों या अन्य संस्थानों के पास प्रत्यायोजित कर दी गयी हैं। अतः शासकों द्वारा राजमुकुट के नाम पर किये गए अधिकतर कार्य, चाहे शासक द्वारा स्वयं ही किये गए कार्य हो, जैसे की महारानी का अभिभाषण या संसद का राजकीय उद्घाटन, सरे कार्यो के निर्णय कहीं और लिए जाते हैं:
विधायिक कार्य महारानी ससंसद द्वारा, संसद, हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ़ कॉमन्स की सलाह और स्वीकृति द्वारा किया जाता है, वहीँ, कार्यकारी शक्तिया महारानी के नाम पर उनकी महिमा की सरकार द्वारा अभ्ययित किये जाते हैं। जिसमे, प्रधानमंत्री और मुकुट के अन्य मंत्री तथा मंत्रिमण्डल द्वारा अभ्ययित किये जाते हैं, जो असल में, महारानी की शाही परिषद् की एक समिति है। तथा शासक की न्याय करने और दंड देने की शक्तियाँ न्यायपालिका पर निहित की गयीं हैं, जो संवैधानिक तौर पर, सर्कार से स्वतंत्र है। वहीँ चर्च ऑफ़ इंग्लैंड, जिसकी प्रमुख रानी है, की अपनी स्वयं की प्रशासनिक व्यवस्था है। इसके अलावा भी शासक के अन्य कार्यों को विभिन्न समितियों व निकायों को सौंपे गए हैं।
संवैधानिक भूमिका
संपादित करें- प्रधानमंत्री की नियुक्ति
जब आवश्यक हो, तब, अधिराट् का दायित्व है की वे अपनी सरकार का नेतृत्व करने के लिए एक प्रधानमंत्री की नियुक्ति करें(जो परंपरानुसार मुकुट के अन्य मंत्रियों की नियोक्ति तथा निष्काशन के लिये जिम्मेदार होते हैं)। अलिखित संविधान की ऐतिहासिक परंपरा के अनुसार आम तौर पर प्रधान मंत्री हाउस ऑफ़ कॉमन्स में बहुमत प्राप्त दल के नेट होते हैं। प्रधानमंत्री अपना कार्यभार, शासक के साथ एक व्यक्तिगत मुलाक़ात के बाद करते है, जिसमे "हाँथ चूमने" की एक परंपरा होते ही नियुक्ति तुरंत ही, बिना और किसी औपचारिकता के, पारित हो जाती है।[1]
त्रिशंकु सभा की स्थिति में, अधिराट् के पार अपने विवेक के उपयोग कर, अपने इच्छानुसार सरकार के प्रतिनिधि का चुनाव करने के अधिक अवसर होता है, हालाँकि ऐसे स्थिति में भी रीतिनुसार सदन के सबसे बड़े दल के नेता को ही चुना जाता है।[2][3] १९४५ से आज तक, केवल दो बार ऐसे स्थिति आई थी। पहली बार फऱवरी १९७४ के आम चुनाव के बाद, और २०१० के आम चुनाव के बाद, जब कंज़र्वेटिव पार्टी और लिबरल-डेमोक्रेटिक पार्टी ने गठबंधन बनाया था।
- संसद भंग करना
पारंपरिक तौर पर, संसद के सत्र को बुलाने व भंग करने का अधिकार शासक के विवेक पर था, और शासक स्वेच्छा से सभा बुलाया व भंग किया करते थे। अतः धरणात्मक रूप से आज भी संसद बुलाने व भंग करने के अधिकार का अभ्यय शासक ही करते हैं। २०११ में पारित फिक्स्ड-टर्म परलियामेंट्स एक्ट ने संसद भंग करने के अशिकार को ख़त्म कर दिया। हालाँकि सत्रंतन करने का अधिकार शासक के पास अभी भी है। यदि एक अल्पसंख्यक सरकार, संसद को भंग कर नए चुनाव घोषित करने की मांग करती है, तो शासक ऐसी मांग को ख़ारिज करने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र हैं। धारणात्मत रूप से शासक स्वेच्छा से प्रधानमंत्री को कभी भी पदोच्यित कर सकते हैं, परंतु वर्त्तमान स्थिति में प्रधानमन्त्री को स्तीफा, मृत्यु या चुनावी हार की स्थिति में ही पद से निष्काषित किया जाता है। प्रधानमंत्री को कार्यकाल के बीच निष्काषित करने वाले अंतिम शासक विलियम चतुर्थ थे, जिन्होंने १८३४ में लॉर्ड मेलबॉर्न को निकाला था।[4]
राज-परमाधिकार
संपादित करेंधार्मिक भूमिका
संपादित करेंसंप्रभु, स्थापित चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के सर्वोच्च प्रशासक हैं। चर्च के सारे बिशप व आर्चबिशपों की नियुक्ति शासक द्वारा, प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाती है। प्रधानमंत्री, चर्च आयोग द्वारा तैयार किये गए प्रत्याशियों की एक सूची में से नियुक्ता को चुनते हैं। अंग्रेज़ी कलीसिया में राजमुकुट की भूमिका नाममात्र की है। चर्च के वरिष्ठताम् पादरी, कैंटरबरी के आर्चबिशप, इस चर्च तथा विश्व भर के आंग्लिकाई कलीसिया के आध्यात्मिक नेता के रूप में देखे जाते हैं। तथा अधिराट्, चर्च ऑफ़ स्कॉटलैंड के संरक्षण की शपथ भी लेते हैं, तथा चर्च की महासभा के प्रभु उच्चायुक्त को नियुक्त करने का भी दायित्व रखते हैं, अन्यथा, गिर्जा के कार्यों में उनकी कोई सार्थक भूमिका नहीं है, नाही वे इसपर कोई अधिकार रखते हैं। विस्थापित चर्च ऑफ़ वेल्स तथा चर्च ऑफ़ आयरलैंड में संप्रभु का कोई औपचारिक भूमिका नहीं है।
ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल में भूमिका
संपादित करें१८ वीं और १९वीं सदी के दौरान ब्रिटेन के औपनिवेशिक विस्तार द्वारा, ब्रिटेन ने विश्व के अन्य अनेक भू-भागों वे क्षेत्रों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया। जिनमें से अधिकतर देशों ने मध्य २०वीं सदी तक ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल कर ली। हालाँकि उन सभी देशों ने यूनाइटेड किंगडम की सरकार की अधिपत्यता को नकार दिया, परंतु उनमें से कई राष्ट्र, ब्रिटिश शासक को अपने अधिराट् के रूप में मान्यता देते हैं। ऐसे देहों राष्ट्रमण्डल प्रदेश या राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि कहा जाता है। वर्त्तमान काल में, यूनाइटेड किंगडम के अधिराट् केवल यूनाइटेड किंगडम के ही नहीं बल्कि उसके अतिरिक्त कुल १५ अन्य राष्ट्रों के अधिराट् भी हैं। हालांकि इन राष्ट्रों में भी उन्हें लगभग सामान पद व अधिकार प्राप्त है जैसा की ब्रिटेन में, परंतु उन देशों में, उनका कोई वास्तविक राजनीतिक या पारंपरिक कर्त्तव्य नहीं है, शासक के लगभग सारे कर्त्तव्य उनके प्रतनिधि के रूप में उस देश के महाराज्यपाल(गवर्नर-जनरल) पूरा करते हैं। ब्रिटेन की सरकार का राष्ट्रमण्डल प्रदेशों की सरकारों के कार्य में कोई भी भूमिका या हस्तक्षेप नहीं है। ब्रिटेन के अलावा राष्ट्रमण्डल आयाम में: एंटीगुआ और बारबुडा, ऑस्ट्रेलिया, बहामा, बारबाडोस, बेलिज, ग्रेनेडा, जमैका, कनाडा, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन द्वीप, सेंट लूसिया, सेंट किट्स और नेविस, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस और तुवालु जैसे देश शामिल हैं।
पूर्वतः राष्ट्रों के राष्ट्रमण्डल के सारे देश राष्ट्रमण्डल परिभूमि के हिस्सा हुआ करते थे, परंतु १९५० में भारत ने स्वतंत्रता के पश्चात स्वयं को गणराज्य घोषित किया, और ब्रिटिश राजसत्ता की राष्ट्रप्रमुख के रूप में संप्रभुता को भी खत्म कर दिया। परंतु भारत ने राष्ट्रमण्डल की सदस्यता बरक़रार राखी। उसके बाद से, राष्ट्रमण्डल देशों में, ब्रिटिश संप्रभु को (चाहे राष्ट्रप्रमुख हों या नहीं) "राष्ट्रमण्डल के प्रमुख" का पद भी दिया जाता है, जो राष्ट्रमण्डल के संगठन का नाममात्र प्रमुख का पद है। इस पद का कोई राजनैतिक अर्थ नहीं है।
उत्तराधिकार
संपादित करेंराष्ट्रमण्डल प्रदेशों के बीच का संबंध इस प्रकार का है की उत्तराधिकार को अनुशासित करने वाले किसी भी बिधान का सारे देशों की एकमत स्वीकृति आवश्यक है। सिंघासन पर उत्तराधिकार, विभिन्न ऐतिहासिक संविधिओं द्वारा अनुशासित है, जिनमें बिल ऑफ़ राइट्स, १६८९, ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१ और ऍक्ट ऑफ़ यूनियन, १७०७ शामिल हैं। उत्तराधिकार संबंधित नियम केवल संसदीय अधिनियम द्वारा परिवर्तित किये जा सकते हैं, सिंघासन का कोई उत्तराधिकारी, स्वेच्छा से अपना उत्तराधिकार त्याग नहीं कर सकता है। सिंघासन पर विराजमान होने के पश्चात एक व्यक्ति अपने निधन तक राज करता है। इतिहास में एकमात्र स्वैछिक पदत्याग, १९३६ में एडवर्ड अष्टम ने किया था, जिसे संसद के विशेष अधिनियम द्वारा वैध क़रारा गया था। अंतिम बार जब किसी शासक को अनैच्छिक रूप से निष्काषित किया गया था, वो था १६८८ में जेम्स सप्तम और द्वितीय जिन्हें ग्लोरियस रेवोल्यूशन(गौरवशाली क्रांति) के समय निष्काषित किया गया था।
ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, उत्तराधिकार को सोफ़िया ऑफ़ हॅनोवर(१६३०-१७१४), जेम्स प्रथम की एक पोती, के वैधिक प्रोटेस्टेंट वंशजों तक सीमित करता है। अतः राजपरिवार का कोई भी कैथलिक सदस्य कभी भी सिंघासन को उत्तरिधिकृत नहीं कर सकता है। एक शासी शासक के निधन पर स्वयमेव ही, राजपाठ, उसके आसन्न वारिस के पास चला जाता है, अतः सैद्धांतिक रूप से, सिंघासन एक क्षण के लिए भी खली नहीं रहता है। तथा उत्तराधिकार को सार्वजनिक रूप से उत्तराधिकार परिषद् द्वारा घोषित की जाती है। अतः अंग्रेजी परंपरा के अनुसार शासक के उत्तराधिकार को वैध होने के लिए राज्याभिषेक होना आवश्यक नहीं है। अतः आम तौर पर राज्याभिषेक उत्तराधिकार के कुछ महीने बाद होता है(ताकि आवश्यक तैयारी और शोक के लिए समय मिल सके)। नए शासक के राज्याभिषेक की परंपरा वेस्टमिंस्टर ऐबे में कैंटरबरी के आर्चबिशप द्वारा किया जाता है।
उत्तराधिकारी के लिंग और घर्म संबंधित विधान
संपादित करेंऐतिहासिक रूप से उत्तराधिकार को पुरुष-वरियति सजातीय ज्येष्ठाधिकार के सिद्धान्त द्वारा अनुशासित किया जाता रहा है, जिसमे पुत्रों को ज्येष्ठ पुत्रियों पर प्राथमिकता दी जाती रही है, तथा एक ही लिंग के ज्येष्ठ संतानों को पहली प्राथमिकता दी जाती है। अतः उत्तराधिकारी के लिंग तथा धर्म का उत्तराधिकार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। २०११ में राष्ट्रमण्डल की बैठक में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने यह घोषणा की थी कि तमाम राष्ट्रमण्डल प्रदेश पुरुष प्राथमिकता की परंपरा को समाप्त करने के लिए राज़ी हो गए हैं, तथा भविष्य के शासकों पर कैथोलिक व्यक्तियों से विवाह करने पर रोक को भी रद्द करने पर सब की स्वीकृति ले ली गयी थी। परंतु क्योंकि ब्रिटिश अधिराट् चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के प्रमुख भी होते हैं, अतः कैथोलिक व्यक्तियों को सिंघासन उत्तराधिकृत करने पर रोक लगाने वाले विधान को यथास्त रखा गया है। इस विधेयक को २३ अप्रैल २०१३ को शाही स्वीकृति मिली, तथा सारे राष्ट्रमण्डल प्रदेशों में सम्बंधित विथान पारित होने के पश्चात् मार्च २०१५ को यह लागू हुआ।
प्रतिशासन व्यवस्था
संपादित करेंरीजेंसी अधिनियम नाबालिग या शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम सम्राट की स्थिति में रीजेंसी की अनुमति देता है। जब एक रीजेंसी आवश्यक होती है, तो उत्तराधिकार की पंक्ति में अगला योग्य व्यक्ति स्वचालित रूप से रीजेंट बन जाता है, जब तक कि वे स्वयं नाबालिग या अक्षम न हों। रीजेंसी एक्ट 1953 द्वारा क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय के लिए विशेष प्रावधान किए गए थे, जिसमें कहा गया था कि राजकुमार फ़िलिप, एडिनबर्ग के ड्यूक (तत्कालीन रानी के पति) इन परिस्थितियों में रीजेंट के रूप में कार्य कर सकते हैं। एक अस्थायी शारीरिक दुर्बलता या राज्य से अनुपस्थिति के दौरान, संप्रभु अपने कुछ कार्यों को अस्थायी रूप से राज्य के परामर्शदाताओं को सौंप सकता है, जो सम्राट के जीवनसाथी और उत्तराधिकार की पंक्ति में पहले चार वयस्कों से चुना जाता है। राज्य के वर्तमान परामर्शदाता कैमिला, राजमहिषी हैं; विलियम, वेल्स के राजकुमार; राजकुमार हैरी, ससेक्स के ड्यूक; राजकुमार ऐंड्र्यू, यॉर्क के ड्यूक; यॉर्क की राजकुमारी बियैट्रिस; राजकुमार एडवर्ड, एडिनबर्ग के ड्यूक; और ऐनी, प्रिंसेस रॉयल हैं। अभी भी सेवा करने में सक्षम होने के बावजूद, ससेक्स के ड्यूक और यॉर्क के ड्यूक अब शाही कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं। चार्ल्स तृतीय के आगमन और 2023 में विदेश यात्राओं की योजना के साथ, यह निर्णय लिया गया कि राज्य के काउंसलर के रूप में सेवा करने के योग्य लोगों की सूची का विस्तार किया जाए। 14 नवंबर 2022 को, राजा ने संसद के दोनों सदनों को औपचारिक रूप से कानून में बदलाव के लिए एक संदेश भेजा, जिससे राजकुमारी ऐनी और प्रिंस एडवर्ड को राज्य के परामर्शदाताओं की सूची में जोड़ा जा सके। अगले दिन, उस अंत तक एक बिल संसद में पेश किया गया और इसे 6 दिसंबर को शाही स्वीकृति मिली, जो 7 दिसंबर को लागू हुआ।
वित्त
संपादित करेंसंसद, संप्रभु के अधिकांश सरकारी खर्चों के लिए राशि संसदीय अनुदान तथा सार्वजनिक धन द्वारा प्रदान करता है, जिसे "नागरिक सूची"(सिविल लिस्ट) कहते हैं। तथा एक वार्षिक अनुदान, शाही निवासों के रखरखाव तथा रानी की आधिकारिक यात्राओं के लिए भी आवंटित की जाती है। कर्मचारियों की लागत, राज्य का दौरा, औपचारिक प्रतिबद्धताओं और आधिकारिक मनोरंजन सहित ज्यादातर खर्चों के लिए धन की पूर्ती नागरिक सूची द्वारा ही हो जाती है। यह राशि संसद द्वारा १० वर्षों की अवधी के लिए निर्धारित की जाती है।[5]
वर्ष १७६० तक शासक की वित्तीय आवश्यकताएँ, वंशानुगत राजस्व, मुकुटिय संपदाओं(क्राउन एस्टेट) के लाभ(राजमुकुट की संपत्ति के पोर्टफोलियो), द्वारा पूरी होती थी। १७६० में राजा जॉर्ज तृतीय ने अपने वंशानुगत राजवन का परित्याग सिविल लिस्ट के लिए करने की सहमति दे दी, जो वर्ष २०१२ तक रहा।[5] वर्त्तमान समय में मुकुटिया एस्टेटों से आई मुद्रा की मात्रा सिविल लिस्ट या अधिराट् को प्रदान किये जाने वाले अन्य अनुदानों से भी अधिक है। इस प्रकार २००७-०८ के बीच क्राउन एस्टेटों ने राजकोश में £२०० मिलियन(२० करोड़ पाउण्ड) की वृद्धि करवाई, जबकि संसद द्वारा ४० लाख पाउण्ड का भुगतान किया गया था। अतः ७.३ अरब पाउण्ड की संपदा के साथ मुकुटिय संपदाएँ ब्रिटेन के सबसे बड़ी ज़मींदारों में से एक है,[6] यह साड़ी संपत्ति न्यास के अंतर्गत राखी गयी हैं और संप्रभु स्वेच्छा से इनका सौदा नहीं कर सकते हैं।[7] २०१२ के बाद से संसदीय अनुदान और नागरिक सूची को मिला कर एक संकुक्त संप्रभु अनुदान से बदल दिया गया है।[8]
मुकुटिय संपदा की तरह ही लंकास्टर की डची की भूमि व संपत्तियाँ भी शाही न्यास के अंतर्गत राखी गयी है।[9] यह सब शाही भत्ते का हिस्सा है।[10] इस डची द्वारा उत्पन्न राजस्व को शासक के "निजी खर्चों" के लिए उपयोग किया जाता है, जो नागरिक सूची द्वारा वहन नही किये जाते हैं। इसी प्रकार कॉर्नवाल की डची एक क्षेत्र है, जिसे शासक के ज्येष्ठ पुत्र(युवराज) के विश्वाश में, उनके निजी खर्चों हेतु, आवंटित की गयी है।[11][12] संप्रभु, मूल्य वर्धित कर जैसे अप्रत्यक्ष करों के पात्र है, और १९९३ से आयकर तथा पूंजी लाभ कर के भी। इस सन्दर्भ में, नागरिक सूची और संसदीय अनुदान को आय नहीं माना जाता है, क्योंकि उन्ही आधिकारिक कार्यों के लिए दिया जाता है।[13][14]
रानी की कुल संपत्ति के अनुमान का, इस बात के आधार पर की, अनुमान लगाने में केवल व्यक्तिगत संपत्ति को गिना जाअ रहा है या शासक के द्वारा न्यास में आयोजित संपत्ति को भी लिया जआ रहा है, के आधार पर काफी फ़र्क पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, शाही संग्रह(क्राउन कलेक्शन) अधिराट् की निजी संपत्ति नहीं है, लेकिन "क्राउन कलेक्शन ट्रस्ट", एक चैरिटी, द्वारा अनुशासित किया जाता है। फोर्ब्स पत्रिका की २००८ के अनुमान में रानी की निजी संपत्ति को $ ६५० मिलियन बताया गया था,[15] परंतु इसके कोई आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। १९९३ में लॉर्ड चेम्बरलेन ने कहा था की प्रेस में घोषित, महारानी की निजी संपत्ति का £100 मिलियन का अनुमान "बेहद अतिरंजित था।"[16]
राजकीय निवास
संपादित करेंअधिराट् का लंदन में आधिकारिक निवास बकिंघम महल है, जो आधिकारिक निवास होने के अलावा अधिकतर राजकीय व शाही समारोहों का भी मुख्या स्थल है।[17] इसके अतिरिक्त एक और शाही निवास है, विंडसर कासल, जो विश्व का वृहत्तम् अध्यसित महल है,[18] जिसे मुख्यतः साप्ताहिक छुट्टियों, ईस्टर, इत्यादि जैसे मौकों पर उपयोग किया जाता है।[18] स्कॉटलैंड में संप्रभु का आधिकारिक निवास हौलीरूड पैलस है, जो एडिनबर्ग में अवस्थित है। इसे संप्रभु द्वारा, अपनी स्कॉटलैंड यात्रा पर उपयोग किया जाता है। परंपरानुसार, संप्रभु वर्ष में कमसेकम एक सप्ताह के लिये हौलीरूडहाउस में निवास करते हैं।[19]
ऐतिहासिक तौर पर आंग्ल संप्रभु का मुख्य निवास वेस्टमिंस्टर का महल तथा टावर ऑफ़ लंडन हुआ करता था, जब तक हेनरी अष्टम् ने वाइटहॉल के महल को दख़ल कर लिया। १६९८ में भीषण आग के चलते वाइटहॉल महल तबाह हो गया, जिसके बाद राजपरिवार सेंट जेम्स पैलस में शिफ़्ट हो गया। हालाँकि १८३७ में संप्रभु के मुख्य निवास के रूप में बकिंघम पैलस ने सेंट जेम्स पैलस की जगह ले ली, परंतु आज भी सेंट जेम्स पैलस को वरिष्ठ महल होने का दर्ज प्राप्त है, और आज भी वह रीतिस्पद आवास है।[20][17][21] यह महल आज भी उत्तराधिकार परिषद् का सभा-स्थल है तथा इसे राजपरिवार के अन्य सदस्यों द्वारा भी उपयोग किया जाता है।[20]
अन्य शाही निवासों में, क्लैरेंस हाउस और केन्सिंग्टन पैलस शामिल हैं। ये महल राजमुकुट के हैं, और इन्हें मुकुट द्वारा भावी शासकों के लिए रखा गया है। संप्रभु, स्वेच्छा से इन महलों का सौदा नहीं कर सकते हैं।[22] इसके अलावा नॉर्फ़ोक का सैंड्रिंघम पैलस और एबरडीनशायर का बैल्मोरल कासल, रानी की निजी संपत्तियाँ हैं।
संबोधन शैली
संपादित करेंवर्त्तमान ब्रिटिश संप्रभु, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का सम्पूर्ण शाही ख़िताब निम्न है, अंग्रेज़ी भाषा में:
“ | Elizabeth the Second, by the Grace of God, of the United Kingdom of Great Britain and Northern Ireland and of Her other Realms and Territories Queen, Head of the Commonwealth, Defender of the Faith | ” |
तथा लैटिन भाषा में:
“ | Elizabeth Secunda Dei Gratia Britanniarum Regnorumque Suorum Ceterorum Regina Consortionis Populorum Princeps Fidei Defensor[23] | ” |
अर्थात:
“ | एलिज़ाबेथ द्वितीय, ईश्वर की कृपा से, ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के संयुक्त अधिराज्य और उनकी अन्य परिभूमियों और प्रदेशों की रानी, राष्ट्रमंडल की प्रमुख, धर्म की रक्षक | ” |
राष्ट्रमंडल के प्रमुख की उपादि रानी एलिज़ाबेथ का निजी उपादि है, उसे ब्रिटिश राजमुकुट पर नियत नहीं किया गया है। इसके अलावा "धर्म के रक्षक" की उपादि ब्रिटिश मुकुट पर पोप द्वारा प्रदान किया गया था, तथा "ईश्वर की कृपा" की उपादि भी ब्रिटिश संप्रभुओं द्वारा अनेक पीढ़ियों से उपयोग किया जा रहा है। १९५० में भारत के गणराज्य बनने से पूर्व ब्रिटिश संप्रभु भारत के सम्राट की उपादि का उपयोग भी किया करते थे।
सामान्य मौखिक अथवा लिखित संबोधन में, ब्रिटिश संप्रभु को "महामहिम" कहकर संबोधित किया जाता है, अथवा अंग्रेजी में "हिज़/हर मजेस्टी" कहकर संबोधित किया जाता है।
चिन्हशास्त्र
संपादित करेंयूनाइटेड किंगडम का शाही कुलांक चतुरांशिय मानक है, जिसमें:"प्रथम और तृतीय चौखंड लोहित पृष्ठभूमि पर तीन पीत सिंघों प्रदर्शित हैं[इंग्लैंड का प्रतीक"]; द्वितीय चौखंड में पीत पृष्ठभूमि पर दो धारी रेखांकन से घिरा हुआ एक लोहित सिंह, केंद्र में[स्कॉटलैंड का प्रतीक]; तथा चतुर्थ चौखंड नील पृष्ठभूमि पर एक हार्प को प्रदर्शित कार्य है[आयरलैंड का प्रतीक]", समर्थक के रूप में एक सिंह और एक इकसिंगा है, और एक पट्टी पर फ़्रांसिसी भाषा में ध्येयवाक्य:"Dieu et mon droit"(इश्वर और मेरा अधिकार) प्रदर्शित है। कवच को घेरता हुआ एक गार्टर है जिसपर गार्टर के शौर्यक्रम का ध्येय लिखा होता है:"Honi soit qui mal y pense"(पुरानी फ्रांसीसी भाषा:"अपमानित हो वो जो मेरी हानि सोचे")। स्कॉटलैंड में शासक भिन्न प्रकार का कुलांक का उपयोग करते हैं, उसमें, प्रथम और चतुर्थ खण्ड स्कॉटलैंड को प्रदर्शित करते हैं, तथा द्वितीय में इंग्लैंड और तृतीय खण्ड में आयरलैंड प्रदर्शित होता है। इसमें दो ध्येय प्रदर्शित होते हैं, नीचे स्कॉटलैंड के ध्येय "In Defens God me Defend" का एक छोटा भाग "In Defens" प्रदर्शित है तथा थिसल के क्रम का ध्येयवाक्य "Nemo me impune lacessit"(लैटिन:"कोई भी मुझे उकसा कर आत्महानि से मुक्त नहीं रह सकता"); समर्थक के रूप में एक सिंह और एक यूनिकॉर्न कवच समेत दो लंबी तलवारों का समर्थन करते हैं, जिनपर इंग्लैंड तथा स्कॉटलैंड के ध्वज फहरे कोटे हैं।
शासक का आधिकारिक ध्वज शाही मानक है, जिसमे शाही कुलांक को प्रदर्शित किया जाता है। इस मानक को संप्रभु की मेज़बानी कर रहे भवन, पोत, विमान या वाहन पर प्रदर्शित किया जाता है,[24] लोगों को संप्रभु की उपस्तिथि से आगाह करने के लिए। शाही मानक को कभी भी अर्ध्दण्ड पर कभी नहीं फहराया जाता है, क्योंकि ऐसा कभी भी नहीं होता है की शासक अनुपस्थित हो, क्योंकि जैसे ही एक शासक की मृत्यु होती है, वैसे ही युवराज शासक बन जाते हैं।[25]
|
जब शासक अपने महल में उपस्थित नहीं होते है, तब बकिंघम पैलस, विंडसॉर कासल और सैंडरिंघम हाउस में ब्रिटिश ध्वज फहराया जाता है, और स्कॉटलैंड में स्थित महलों, हौलीरूड पैलेस और बैलमोरल पैलेस में स्कॉटलैंड के शाही मानक को फहराया जाता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Brazier, p. 312.
- ↑ Waldron, pp.59–60
- ↑ Queen and Prime Minister, Official website of the British Monarchy, archived from the original on 14 अप्रैल 2010, retrieved 18 June 2010
- ↑ Brock, Michael (September 2004; online edition, January 2008). "William IV (1765–1837)". Oxford Dictionary of National Biography. Oxford University Press. Retrieved 10 October 2008 (subscription required)
- ↑ अ आ Royal Finances: The Civil List, Official web site of the British Monarchy, archived from the original on 20 अगस्त 2010, retrieved 18 June 2010
- ↑ About Us, Crown Estate, 6 July 2011, archived from the original on 1 सितंबर 2011, retrieved 1 September 2011
- ↑ FAQs, Crown Estate, archived from the original on 3 सितंबर 2011, retrieved 1 September 2011
- ↑ Royal funding changes become law, BBC, 18 October 2011, archived from the original on 1 जनवरी 2017, retrieved 28 जुलाई 2016
- ↑ Accounts, Annual Reports and Investments, Duchy of Lancaster, 18 July 2011, archived from the original on 12 अक्तूबर 2011, retrieved 18 August 2011
{{citation}}
: Check date values in:|archive-date=
(help) - ↑ Royal Finances: Privy Purse and Duchy of Lancaster, Official web site of the British Monarchy, archived from the original on 25 सितंबर 2011, retrieved 18 June 2010
- ↑ FAQs, Royal Collection, archived from the original on 8 दिसंबर 2014, retrieved 30 March 2012
{{citation}}
: Check date values in:|archive-date=
(help)
Royal Collection, Royal Household, archived from the original on 23 जून 2011, retrieved 9 December 2009 - ↑ The Royal Residences: Overview, Royal Household, archived from the original on 1 मई 2011, retrieved 9 December 2009
- ↑ Royal Finances: Taxation, Official web site of the British Monarchy, archived from the original on 26 सितंबर 2011, retrieved 18 June 2010
- ↑ "Royal finances". Republic. Archived from the original on 17 अक्तूबर 2015. Retrieved 20 August 2015.
{{cite web}}
: Check date values in:|archive-date=
(help) - ↑ Serafin, Tatiana (7 July 2010), "The World's Richest Royals", Forbes, archived from the original on 28 जून 2012, retrieved 13 January 2011
- ↑ Darnton, John (12 February 1993), "Tax Report Leaves Queen's Wealth in Dark", दि न्यू यॉर्क टाइम्स, archived from the original on 13 मई 2011, retrieved 18 June 2010
- ↑ अ आ "Buckingham Palace", Official website of the British Monarchy, The Royal Household, archived from the original on 25 जुलाई 2018, retrieved 14 July 2009
- ↑ अ आ "Windsor Castle", Official website of the British Monarchy, The Royal Household, archived from the original on 15 फ़रवरी 2009, retrieved 14 July 2009
- ↑ "The Palace of Holyroodhouse", Official website of the British Monarchy, The Royal Household, archived from the original on 15 फ़रवरी 2009, retrieved 14 July 2009
- ↑ अ आ "Royal Residences: St. James's Palace", Official website of the British Monarchy, The Royal Household, archived from the original on 16 फ़रवरी 2009, retrieved 14 July 2009
- ↑ "Ambassadors credentials", Official website of the British Monarchy, The Royal Household, archived from the original on 9 मार्च 2009, retrieved 14 July 2009
- ↑ A brief history of Historic Royal Palaces, Historic Royal Palaces, archived from the original on 18 दिसंबर 2007, retrieved 20 April 2008
{{citation}}
: Check date values in:|archive-date=
(help) - ↑ Velde, François. "Royal Arms, Styles and Titles of Great Britain". Heraldica. François R Velde. Archived from the original on 17 मार्च 2008. Retrieved 24 January 2012.
- ↑ Union Jack, The Royal Household, archived from the original on 5 नवंबर 2015, retrieved 9 May 2011
{{citation}}
: Check date values in:|archive-date=
(help) - ↑ Royal Standard, Official website of the British Monarchy, archived from the original on 28 दिसंबर 2009, retrieved 18 June 2010
{{citation}}
: Check date values in:|archive-date=
(help)
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंविकिमीडिया कॉमन्स पर British monarchy से सम्बन्धित मीडिया है। |