अक्षयकुमार रामायण का एक पात्र है। वह असुर नरेश रावण का सबसे छोटा पुत्र था।[1]

जन्म संपादित करें

अक्षयकुमार का जन्म रावण की पटरानी मंदोदरी के गर्भ से हुआ था। रावण के सभी पुत्रों में वह सबसे छोटा था।

शिक्षा संपादित करें

असुरगुरु शुक्राचार्य से अक्षयकुमार ने वेद पुराण और अस्त्र शस्त्र के बारे में सिखा और अपने पिता रावण के समान ही वह भी महाज्ञानी पण्डित बन गया था। वह लन्का का सबसे बड़ा धनुर्धर था। वह बहुत वीर और प्रचण्ड राक्षस योद्धा था।

वध संपादित करें

हनुमान जी महाराज जब माता सीता को ढूंढने के बाद जब फल खाने वाटिका में गए तो वे फल खाकर वृक्षों को जड़ से उकाड़ कर फेंक रहे थे और रावण के सिपाही उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे तो हनुमान जी महाराज उन्हें भी मारते गए। जब असुरराज रावण को इस बात का पता चला तो उसने अक्षयकुमार को भेजा हनुमान जी महाराज ने अकेले ही उसकी सारी सेना को मार डाला और अन्त में उसके रथ पर चढ़कर उसे भी हवा में घूमाकर उसके सभी अन्ग अलग अलग कर दिए। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी अक्षयकुमार का वध नहीं करना चाहते थे लेकिन नियति के नियमों में बंधे रहने के कारण उन्हें अक्षयकुमार का वध करना पड़ा।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Agarwal, Shashi (1977). Maithilīśaraṇa Gupta ke kāvya kī antarkathāoṃ ke śrota. Hindī Sāhitya Sammelana. मूल से 29 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जुलाई 2018.

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