अग्नि देव

(अग्निदेव से अनुप्रेषित)

अग्नि हिन्दू धर्म में आग के देवता हैं। वो सभी देवताओं के लिये यज्ञ-वस्तु भरण करने का माध्यम माने जाते हैं -- इसलिये उनकी उपाधि भारत है। वैदिक काल से अग्नि सबसे ऊँचे देवों में से हैं। पौराणिक युग में अग्नि पुराण नामक एक ग्रन्थ भी रचित हुआ। हिन्दू धर्म विधि में यज्ञ, हवन और विवाहों में अग्नि द्वारा ही देवताओं की पूजा की जाती है। इनके माता पिता भगवान ब्रह्मा और देवी सरस्वती हैं।

अग्नि देव
आग के देवता
Agni 18th century miniature.jpg
संबंध देवता
मंत्र ॐ अग्नये स्वाहा।
इदं अग्नये इदं न मम॥
अस्त्र तलवार
जीवनसाथी स्वाहा
माता-पिता
भाई-बहन पवनदेव , सप्तऋषि , सनकादि ऋषि , नारद मुनि , दक्ष प्रजापति
संतान पावक, पवमान, शुचि, स्वरोचिष मनु और नील
सवारी भेड़

परिवारसंपादित करें

सामूहिक यज्ञ नामक पुस्तक के अनुसार अग्नि की पत्नी का नाम स्वाहा था जो कि दक्ष प्रजापति तथा प्रसूति की पुत्री थीं।[1] उनके चार पुत्र पावक, पवमान, शुचि तथा स्वरोचिष मनु और नील थे। इन्हीं में से एक द्वितीय मनु, स्वरोचिष मनु हुए तथा इन्हीं तीनों से ४५ प्रकार के अग्नियों का प्राकट्य हुआ।[2]

हवन और यज्ञ के परम देवतासंपादित करें

वैदिक काल से भारतवर्ष में हवन और यज्ञ होता आया है । यह हवन और यज्ञ एक माध्यम है अपने द्वारा अर्पित की गयी चीजो को देवताओ तक पहुँचाने का । इस कार्य को पूर्ण करने के लिए अग्नि देवता का सहारा लिया जाता है । हवन कुंड में जो भी सामग्री डाली जाती है वो अग्नि देव ही देवताओ के पहुंचाते है । इनका वर्णन भारत के प्राचीनतम वेद पुराणों में किया गया है ।

सन्दर्भसंपादित करें

  1. अग्नेः पत्नी तथा स्वाहा धूम्रोर्णतु यमस्यतु ।।
  2. भागवत

बाहरी कड़ियाँसंपादित करें

अग्निदेव-भारतकोश