अजयराज ( ११०५ - ११५३) शाकंभरी (साँभर) के अग्निकुलीय चौहानवंश के प्रारंभिक नरेशों में से था। पृथ्वीराज प्रथम का पुत्र अजयराज 12 वीं सदी में एक महत्वपूर्ण शासक हुआ। Iffhyv उसने मालवा के परमार शासक नरवर्धन को अवंती नदी के किनारे हराकर अपने राज्य की सीमा मालवा तक बढ़ा ली। 'पृथ्वीराज विजय' के अनुसार उसने गजनी की सेना को भी परास्त किया। अजयराज ने अपने राज्य की रक्षा के लिए 1113 ई. अजमेर(अजयमेरु) नामक नगर की स्थापना करके वहाँ तारागढ़ नामक किले का निर्माण करवाया। अजयराज ने अजमेर को चौहान साम्राज्य की राजधानी बनाया। उसने अजय देव (चांदी का सिक्का) और अजयप्रियद्रमस(सोने का सिक्का) नाम के सिक्के जारी किये। उसके राज्य काल में धर्म, सहिष्णुता ओर विद्या की प्रगति से उस समय के सांस्कृतिक महत्त्व का अनुमान लगाया जा सकता है। गोपीनाथ शर्मा ने अजयराज के शासनकाल को “चौहान राजवंश का निर्माण काल" कहा है

राज्य विस्तार के लिए तो अजयराज विशेष प्रसिद्ध नहीं है, पर उसकी ख्याति अजमेर के निर्माण के कारण काफी है। 1113 ई. में अपने नाम पर उसने 'अजयमेरु' का विशाल नगर निर्मित कराया और उसे सुंदर महलों और मंदिरों से भर दिया। तभी से चौहान राजा साँभर और अजमेर दोनों के अधिपति माने जाने लगे ओर चौहान वंश राजपूतो का प्रसिद्ध वंश बना। उसी आधार से उठकर बाद में उन्होंने गहडवालों से दिल्ली छीन ली थी। इन्होंने जैन धर्म को संरक्षण दिया | अजयराज की कुछ मुद्राओं पर पत्नी सोमलवती का नाम मिलता है | अजयराज के बाद इसके पुत्र अर्णोराज ने 1133 ई. में गद्दी संभाली|