अथरी
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निर्देशांक: 26°25′47″N 85°27′23″E / 26.4296°N 85.4564°E अथरी एक गाँव है। यह बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल के सीतामढी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड में अवस्थित है। यह सीतामढ़ी के चुनिन्दा गाँवों में से एक है। यह लखनदेई नदी के किनारे एवं रुन्नीसैदपुर-बेलसंड पथ पर स्थित है।
अथरी | |||||
— गाँव — | |||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||
देश | भारत | ||||
राज्य | बिहार | ||||
ज़िला | सीतामढी | ||||
विभिन्न कोड
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नाम की उत्पत्ति
संपादित करेंअथरी गाँव का नाम अथर्वेद से लिया गया है।
इतिहास
संपादित करेंअथरी को दूसरी काशी भी कहा जाता है, क्योंकि जिस तरह काशी वाराणसी में बाबा विश्वनाथ मंदिर के पीछे गंगा नदी के तट पर श्मशान घाट है उसी तरह यहाँ भी बाबा बाणेश्वरनाथ मंदिर के पीछे लखनदेई नदी के तट पर श्मशान घाट है। ऐसी जगह शायद अभी कहीं नहीं मिली है जहाँ इस तरह की परिस्थिति हो।
अथरी गाँव को "अथरी बाजार" के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि अथरी बाजार अपने क्षेत्र की सबसे पुरानी बाजार है वैसे तो अब कितने बाजार हो गए हैं पर रुन्नीसैदपुर से बेलसंड लगभग 15 किलोमीटर की दुरी में अथरी में ही बाजार (चौक) था। प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को यहाँ बाजार लगता है। वैसे प्रत्येक दिन यहाँ गुदरी (छोटी बाजार) लगती है।
ठाकुर चौक भी है जो अथरी बाजार से उतर है।
अथरी गाँव को "अथरी मेला" के नाम से जाना जाता है। अथरी मेला मवेशी मेला के रूप में पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध था। आज भी यहाँ हर साल कार्तिक मास में दीपावली के दिन से लेकर छठ तक मेला लगता है।
भगौलिक स्थिति
संपादित करेंअथरी, गाँव के साथ-साथ एक पंचायत भी है। इसके पूर्व में भीमपुर पंचायत, पश्चिम में रामनगर पंचायत, उत्तर में महिसार पंचायत, दक्षिण में रैनविष्णु पंचायत हैं। [1]
नदियाँ
संपादित करेंअथरी तो वैसे लखनदेई नदी के किनारे अवस्थित है। पर इस क्षेत्र में बहने वाली बागमती और मनुषमारा नदी का प्रभाव इस गाँव में अधिक है। मनुषमारा नदी के जलजमाव के कारण यहाँ की स्थिति बहुत ही दयनीय हो चुकी है।
भूमि
संपादित करेंअथरी की भूमि काफी उपजाऊ हैं, परन्तु हर साल यहाँ की स्थानीय नदी (बागमती) में आने वाली बाढ़ और मनुष्मारा नदी के जलजमाव के कारण यहाँ की भूमि का उपयोग नहीं हो पता है।
कृषि
संपादित करेंअथरी कृषि प्रधान गाँव है। यहाँ के अधिकतर लोगों के रोजगार का साधन खेती है और उसी से यहाँ के लोग अपनी जीविका चलाते हैं। यहाँ फसलों में क्रमशः धान, गेंहूँ, मक्का, ईख के अलावा सब्जी की खेती भी काफी मात्र में की जाती है। इसके अलावा यहाँ तम्बाकू (खैनी) की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। परन्तु बाढ़ व जलजमाव के कारण यहाँ की खेती योग्य भूमि में सालों भर पानी भरे होते हैं, जिसके फलस्वरूप यहाँ के युवा शहर की ओर, न चाहते हुए भी पलायन करने को मजबूर हैं।
शिक्षण संस्थान
संपादित करेंउच्च विद्यालय
अथरी में एक उच्च विद्यालय है जिसका नाम श्री कैलासपति उच्च विद्यालय अथरी है, यह गाँव के उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है। यहाँ आसपास के गाँव के बच्चे भी पढ़ने आते हैं। इसके साथ ही एक वित्तरहित बालिका उच्च विद्यालय भी है जिसका नाम श्री रत्नेश्वरी नंदन सिंह बालिका उच्च विद्यालय है, यह अथरी बाजार (चौक) से सटे पश्चिम दिशा में स्थित है। यहाँ एक संस्कृत उच्च विद्यालय भी है, जिसका नाम सरस्वती संस्कृत उच्च विद्यालय, अथरी है।
गाँव के प्रबुद्ध वर्ग के विचार
संपादित करेंराजेश सुधा कांत ठाकुर
संपादित करेंमैं राजेश सुधा कांत ठाकुर अथरी गांव वासी हूं। मेरा घर पंचायत भवन से उत्तर है। मेरा गांव विद्वान पंडित का इतिहास रहा है। पंडित मुक्तीनाथ ठाकुर, श्रृंगनाथ ठाकुर, जीवनाथ ठाकुर, भगवती के उपासक थे। इन्हीं विद्वान पंडित जी के कारण अथरी गांव को छोटा काशी कहते है। पंडित देवी कांत ठाकुर मेरे बाबा है। वे भी संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। मेरे पिताजी श्री सुधा कांत ठाकुर, कैलाश पति उच्च विद्यालय में शिक्षक थे। वे एक कर्मठ व्यक्ति थे। वे हमेशा गांव के अच्छे के लिए काम करते थे। हमेशा शीक्षा पर जोर दिया करते थे। मेरा गांव इसी तरह खूशहाल रहे। यही मां भगवती से प्राथना करता हूं। जय हो समस्त गांव वासीयों को।
देवेश चंद्र ठाकुर
संपादित करेंदेवेश चंद्र ठाकुर एक भारतीय राजनीतिज्ञ व संसद सदस्य हैं।
यातायात (आवागमन)
संपादित करेंकैसे पहुँचे
संपादित करेंसड़क मार्ग:
यहाँ (अथरी) पहुँचने के लिए मुजफ्फरपुर के बैरिय बस स्टैंड (बस अड्डा) से हर घंटे बेलसंड के लिए बसें उपलब्ध है। साथ ही शिवहर जाने वाली बस (मुजफ्फरपुर से शिवहर, भाया बेलसंड-परसौनी) से भी पहुंचा जा सकता है। राजधानी पटना से भी सीधी बस सेवा उपलब्ध है। अम्बिका ट्रेवेल्स की पटना से शिवहर जाने वाली बस (भाया बेलसंड-परसौनी) से भी अथरी पहुंचा जा सकता है। ये सभी बसें अथरी होकर ही बेलसंड, परसौनी एवं शिवहर जाती है। अथरी से सीतामढी, मुजफ्फरपुर व पटना की दुरी क्रमशः 25, 35 व 100 किलोमीटर है।
रेल मार्ग:
यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर एवं सीतामढी है पर मुजफ्फरपुर से सीधी बस सेवा होने के कारण मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन सुगम व आरामदायक है। मुजफ्फपुर से सीतामढी के बीच रेल लाइन शुरू हो जाने से (26 मार्च 2013 के बाद) यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन रुन्नीसैदपुर हो गया है, जिसकी दुरी मात्र 5 किलोमीटर है।
हवाई मार्ग:
यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा 100 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी पटना में है।