अनुच्छेद 343 भारत के संविधान के भाग 17 में शामिल तीन सौ तैंतालीसवां अनुच्छेद है जो संघ की राजभाषा का वर्णन करता है। इसी अनुच्छेद के तहत हिंदी को संघ की राजभाषा और देवनागरी को लिपि के रूप में स्वीकार किया गया है। इसके साथ ही संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप स्वीकार किया गया है।[1][2][3]
अनुच्छेद 343 में यह प्रावधान भी दिया गया है कि संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले जिन शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता था, संविधान के प्रारंभ होने के बाद से पंद्रह वर्ष की अवधि तक उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग ही किया जाता रहेगा हालांकि संसद उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात भी विधि द्वारा ऐसे प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का या अंकों के देवनागरी रूप का प्रयोग उपबंधित कर सकेगी।[1][2][3]
भारत जैसे बहुभाषी राष्ट्र के लिए एक आधिकारिक भाषा के चयन के प्रश्न ने संविधान सभा में एक लम्बी बहस को जन्म दिया। भारत के मसौदा संविधान 1948 में मसौदा अनुच्छेद 301/ए अनुपस्थित था। जिसके बाद मसौदा समिति के एक सदस्य ने 12 सितंबर 1949 को यह प्रावधान पेश किया। मसौदा अनुच्छेद 301/ए, जिसे मुंशी-अयंगर फॉर्मूला भी कहा जाता है, इसी में हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा, देवनागरी को लिपि और आधिकारिक उद्देश्यों के लिए भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के उपयोग का प्रस्ताव दिया गया था। 12, 13 और 14 सितंबर 1949 को विधानसभा में इस पर लम्बी चर्चा हुई। ऐसे भी प्रस्ताव रखे गये जिनमें हिंदी के स्थान पर हिंदुस्तानी को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग की गयी। हालांकि सभी चर्चाओं के उपरांत विधानसभा ने 14 सितंबर 1949 को संशोधन के साथ इस मसौदा अनुच्छेद को अपनाया जिसके तहत हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया।[3][4]
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- 1. संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
- 2. खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था :
- परन्तु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।
- 3. इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, संसद उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात, विधि द्वारा
- a. अंग्रेजी भाषा का, या
- b. अंकों के देवनागरी रूप का,
- ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं।[5]
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- 1. The official language of the Union shall be Hindi in Devanagari script. The form of numerals to be used for the official purposes of the Union shall be the international form of Indian numerals.
- 2. Notwithstanding anything in clause (1), for a period of fifteen years from the commencement of this Constitution, the English language shall continue to be used for all the official purposes of the Union for which it was being used immediately before such commencement:
- Provided that the President may, during the said period, by orderauthorise the use of the Hindi language in addition to the English language and of the Devanagari form of numerals in addition to the international form of Indian numerals for any of the official purposes of the Union.
- 3. Notwithstanding anything in this article, Parliament may by law provide for the use, after the said period of fifteen years, of
- a. the English language, or
- b. the Devanagari form of numerals,
- for such purposes as may be specified in the law.[6]
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