अनौपचारिक शिक्षा
अनियमित शिक्षा को अनौपचारिक शिक्षा कहा जाता है। इस तरह की शिक्षा में किसी चीज की निश्चितता नहीं होती है। इसलिए इसे आकस्मिक और अनियोजित शिक्षा भी कहा जाता है। यह स्वभाविक या प्राकृतिक रूप से होती है। यह शिक्षा पूर्वविचारित नहीं होती है। बालक इसे अपने परिवार के अन्दर और आस-पड़ोस, खेल के मैदान, पार्क आदि जैसे खुले वातावरण में सार्वजनिक जगहों पर, उठते-बैठते, खेलते-कूदले, बात-चीत करके स्वाभाविक रूप से स्वतंत्रतापूर्वक ग्रहण करता है। यह पत्राचार, सम्पर्क कार्यक्रमों, जन संचार के साधनों द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती हैं। इसके लक्ष्य और उद्देश्य निश्चित नहीं होते हैं और न ही कोई निश्चित पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तक, शिक्षण विधि या समय-सारणी होती है। यह शिक्षा जन्म से लेकर मृत्यु तक निर्बाध रूप से लगातार चलती रहती है। यह शिक्षा जीवन के प्रत्येक अनुभव से प्राप्त की जाती है। अनौपचारिक शिक्षा के प्रमुख साधन-परिवार, समुदाय, मित्र-मंडली, धर्म, समाज, खेल का मैदान, प्रकृति इत्यादि।
श्री सौरभ खरे के अनुसार अनौपचारिक शिक्षा में कोई भी निर्धारित नियमानुसार पद्धति आदि नहीं होती बल्कि सीखने वाला ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है तथा वह अपने विवेक से सीखता है जैसे प्राचीनकाल में गुरु दत्तात्रेय जी के द्वारा 24 गुरुओं से ज्ञान प्राप्त किया गया था। यद्यपि इसमें सीखने वाला महत्त्वपूर्ण है तथापि सिखाने वाले के द्वारा भी किसी भी समय किसी भी स्तर पर कुछ भी सिखाया जा सकता है।
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प्रमुख शिक्षा पद्धति | |
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औपचारिक शिक्षा | अनौपचारिक शिक्षा | निरौपचारिक शिक्षा |
बाह्य कड़ियाँ
संपादित करेंअनौपचारिक शिक्षा क्या है? Archived 2021-07-09 at the वेबैक मशीन
- ↑ "औपचारिक शिक्षा । अनौपचारिक शिक्षा । निरौपचारिक शिक्षा". मूल से 8 अक्तूबर 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-10-04.