निरौपचारिक शिक्षा

Shiksha

निरौपचारिक शिक्षा क्या है? (Non-Formal Education) शिक्षा स्वरूप के दो विषम रूप – औपचारिक तथा अनौपचारिक हैं। इनमें औपचारिक स्वरूप पूर्ण नियन्त्रणवादी है जिसमें शिक्षा के हर पहलू पर नियन्त्रण होता है। इसमें कक्षा-कक्ष, प्रवेश, पाठ्यचर्या, शिक्षण-विधि, अनुशासन, परीक्षा, स्थान, आयु एवं योग्यता आदि सभी नियन्त्रित होते हैं। शिक्षा का दूसरा रूप अनौपचारिक शिक्षा है जिसमें सभी कुछ पूर्ण रूप से अनियन्त्रित है। इसमें न कक्षा-कक्ष, न पाठ्यचर्या न परीक्षा और न ही अनुशासन आदि हैं। वर्तमान में इन पूर्ण नियन्त्रित तथा अनियन्त्रित स्वरूपों के बीच एक नया रूप शिक्षाविदों ने विकसित किया है। शिक्षा के इस नए स्वरूप को निरौपचारिक शिक्षा (Non-Formal Education) के नाम से जाना जाता है।

औपचारिक शिक्षा (aupcharik shiksha) क्या है? औपचारिक शिक्षा की विशेषताएँ अनौपचारिक शिक्षा क्या है?- विशेषताएँ, उद्देश्य, अभिकरण, महत्व निरौपचारिक शिक्षा न तो पूर्णरूपेण अनियन्त्रित है जैसा कि अनौपचारिक शिक्षा होती है और न ही पूर्णरूपेण नियन्त्रित है जैसा कि औपचारिक शिक्षा होती है। निरौपचारिक शिक्षा में नियन्त्रण के साथ अनियन्त्रण भी होता है अर्थात् शिक्षार्थी जहाँ कई क्षेत्रों में पूर्ण नियन्त्रित रहता है, वही साथ ही साथ कई अन्य क्षेत्रों में अनियन्त्रित भी रहता है। उदाहरण के लिए निरौपचारिक शिक्षा में आयु, स्थान, शिक्षण-विधि आदि के क्षेत्र में विद्यार्थी पर कोई बन्धन नहीं होता है किन्तु पाठ्यक्रम, परीक्षा जैसे क्षेत्र में नियन्त्रण होता है। उदाहरण के लिए खुले विश्वविद्यालय, पत्राचार पाठ्यक्रम द्वारा दी जाने वाली शिक्षा निरौपचारिक शिक्षा है क्योंकि इसमें शिक्षा का एक निश्चित पाठ्यक्रम तथा परीक्षा की भी व्यवस्था है। यह शिक्षा का नियन्त्रित पक्ष है किन्तु छात्र की पूर्व योग्यता, स्थान, आयु आदि के सम्बन्ध में इसका कोई नियन्त्रण नहीं है। यह शिक्षा का अनौपचारिक पक्ष है। संक्षेप में निरौपचारिक शिक्षा एक प्रकार से औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा के कुछ पक्षों को मिलाकर बनाई गई है। इसे इस प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं-

निरौपचारिक शिक्षा (N.E.) = औपचारिक शिक्षा (FE.) + अनौपचारिक शिक्षा (I.E.)

निरौपचारिक शिक्षा के साधन (Mediums of Non-Formal Education) प्रौढ़ शिक्षा, जन-शिक्षा एवं सतत् शिक्षा की व्यवस्था निरौपचारिक शिक्षा के द्वारा ही जाती है, ये वह साधन है जो इन युवकों व प्रौढ़ों के लिए वरदान सिद्ध हुए है जो शिक्षा के वास्तविक रूप से निर्धारित की गई आयु में अपनी शिक्षा को पूरा न कर पाये हों, अतः वे व्यक्ति जो औपचारिक शिक्षा प्राप्त न कर पाए हों और साक्षर होना चाहते हों उनके लिए शिक्षा की व्यवस्था करते हैं। निरौपचारिक शिक्षा के साधन निम्नलिखित है-

(1) दूरवर्ती शिक्षा (Distance Education)

(2) मुक्त विद्यालय तथा मुक्त विश्वविद्यालय (Open School and Open Universities)

(3) शैक्षिक रेडियो ( Educational Radio)

(4) शैक्षिक दूरदर्शन (Educational Television)

(1) दूरवर्ती शिक्षा (Distance Education) दूरवर्ती शिक्षा एक गैर पारम्परिक (Non- Traditional) विधि के रूप में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसके अन्तर्गत् विद्यार्थियों को विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने नहीं आना पड़ता है बल्कि वह अपने स्थान पर रहकर ही शिक्षा ग्रहण कर सकता है।

बोर्ग होमवर्ग (1981) के अनुसार, “शिक्षा के सभी स्तरों पर अध्ययन के विभिन्न प्रकार जो शिक्षक के निरन्तर तत्कालीन निरीक्षण में नहीं है, उन्हें दूरवर्ती शिक्षा कहते हैं।” दूरवर्ती शिक्षा एक ऐसा अधिगम अवसर है जिसमें शिक्षार्थी और शिक्षा प्रदान करने वाली संख्या के मध्य की भौतिक दूरी को एक कृत्रिम निर्देशक के द्वारा दूर कर दिया जाता है।

दूरवर्ती शिक्षा के अन्य नाम (Other Names of Distance Education) (i) पत्राचार शिक्षा (Correspondence Education)

(ii) गृह अध्ययन ( Home Study)

(iii) बाह्य अध्ययन (External Study)

(iv) दूरस्थ शिक्षा (Distance Education)

(v) परिसर से बाहर अध्ययन (Off Campus Study)

(vi) मुक्त अधिगम (Open Learning)

(vii) स्वतन्त्र अध्ययन (Independent Study)

(viii) बहु-माध्यम शिक्षा (Multimedia Education)

दूरवर्ती शिक्षा के कार्य (Functions of Distance Education) (i) नौकरी में लगे व्यक्तियों के लिए आत्म सन्तुष्टि (Self Satisfaction) तथा व्यावसायिक प्रगति (Professional Development) हेतु।

(ii) स्वाध्याय की प्रवृत्ति के विकास हेतु।

(iii) ज्ञान के उन्नयन के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण।

(2) मुक्त विद्यालय तथा मुक्त विश्वविद्यालय (Open School and Open University) 1962 में डॉ. डी. एस. कोठारी की अध्यक्षता में तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष के सहयोग से भारत में मुक्त विश्वविद्यालय की संकल्पना प्रस्तुत की गई। इस संकल्पना को लिखित रूप में हैराल्ड विल्सन ने सन् 1963 में प्रस्तुत किया। अतः प्रथम मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना लन्दन में हुई।

मुक्त विद्यालय व मुक्त विश्वविद्यालय की विशेषताएँ (Characteristics of Open School and Open University) मुक्त विद्यालय एवं मुक्त विश्वविद्यालय की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) इसमें आयु सीमा व शैक्षिक अहर्ताओं का कोई बन्धन नहीं होता है।

(ii) शिक्षक चिह्नित गृहकार्य के द्वारा अनवरत मूल्यांकन की व्यवस्था।

(iii) छात्रों की सहायता के लिए व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

(iv) भारत या इसके बाहर के क्षेत्रों के लिए भी इसके द्वार खुले हुए हैं।

(v) शिक्षण के तरीकों में विविधता व खुलापन होता है।

(3) शैक्षिक रेडियो ( Educational Radio) भारत में रेडियो की सहायता से शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण कलकत्ता रेडियो केन्द्र द्वारा 1937 ई. में प्रारम्भ हुआ। शैक्षिक प्रसारण तथा विचार-विनिमय का यह एक सशक्त साधन है तथा व्यापक रूप से शिक्षा के प्रति उचित वातावरण के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। शैक्षिक रेडियो के विकासात्मक पक्ष इस प्रकार हैं-

(i) प्रसारण नेटवर्क की स्थापना।

(ii) विशिष्ट शैक्षिक कार्यक्रमों की तैयारी व निर्माण

शैक्षिक कार्यक्रम (Educational Programme) शैक्षिक रेडियो के कार्यक्रम निम्नलिखित हैं-

(i) विद्यालयी प्रसार ( School Broadcast)

(ii) विश्वविद्यालयी प्रसार (University Broadcast)

(iii) कृषि एवं घरेलू प्रसारण (Agricultural and Home-based Broadcast)

(iv) प्रौढ़ शिक्षा एवं सामुदायिक विकास परियोजना (Adult Education and Community Development Projects)

(v) भाषा अधिगम परियोजना (Language Learning Project)

(4) शैक्षिक दूरदर्शन (Educational Doordarshan) यह संचार का एक सशक्त साधन है। यह अभिकरण शिक्षा को वास्तविक रूप में ‘आजीवन शिक्षा’ से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। यह जन सामान्य को कानूनी शिक्षा, पर्यावरण की शिक्षा आदि की जानकारी देने में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। शैक्षिक दूरदर्शन की निर्माण प्रक्रिया निम्नवत होती है-

(i) नियोजन (Planning)

(ii) निर्माण – पूर्व की तैयारियाँ (Pre-Production Preparation)

(iii) कार्यक्रम का वास्तविक निर्माण (Actual Production of Programme)

(iv) मूल्यांकन (Evaluation)

निरौपचारिक शिक्षा के लाभ (Advantages of Non-Formal Education) निरौपचारिक शिक्षा के पक्षधर निरौपचारिक शिक्षा के लाभों का उल्लेख इस प्रकार करते हैं-

(1) निरौपचारिक शिक्षा बढ़ती हुई जनसंख्या की शिक्षा सम्बन्धी बढ़ती हुई माँग को सरलता के साथ पूरा कर सकती है।

(2) निरौपचारिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा के घुटनपूर्ण तथा बन्धनयुक्त वातावरण से विद्यार्थी को मुक्ति दिलाती है।

(3) निरौपचारिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा पर बढ़ते हुए राजकीय व्यय तथा प्रति छात्र व्यय को कम करने में सहायक है।

(4) निरौपचारिक शिक्षा का एक निश्चित उद्देश्य होता है।

(5) निरौपचारिक शिक्षा अनौपचारिक शिक्षा के समान मापन के अयोग्य नहीं है। इसका मापन किया जा सकता है।

(6) निरौपचारिक शिक्षा में परीक्षा की व्यवस्था के कारण शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरणा प्राप्त करते रहते हैं।

(7) निरौपचारिक शिक्षा में भी एक निश्चित पाठ्यक्रम होता है इस कारण छात्र व्यवहारों में वांछित परिवर्तन लाने में समर्थ रहता है ।

(8) निरौपचारिक शिक्षा का स्वरूप अपेक्षाकृत अधिक व्यवस्थित होता है

(9) इस शिक्षा में आयु, स्थान, जाति, लिंग, धर्म, योग्यताएं आदि का बन्धन न होने से शिक्षा ग्रहण करने में सुविधा रहती है

(10) इससे उन दुरूह, निर्गम तथा जटिल स्थानों में रहने वाले भी सरलता से शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं जहाँ अनेक कारणों से औपचारिक शिक्षा ग्रहण करना सम्भव नहीं होता है।

(11) श्री सौरभ खरे के अनुसार वर्तमान युग में इंटरनेट, व्हाट्सयेप, यूट्यूब आदि के सहयोग से औपचारिकेत्तर शिक्षा की उपयोगिता तथा महत्ता बढ़ गयी है एवं यह सरल, सुगम और सुरुचिपूर्ण हो गयी है।

https://sarkarijobfindofficial.com/niropcharik-shiksha/ Archived 2023-01-22 at the वेबैक मशीन

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