औपचारिक शिक्षा
औपचारिक शिक्षा क्या है? (Formal Education) औपचारिक शिक्षा वह है जिसे सचेतन प्रयासों से प्रदान तथा प्राप्त किया जाता है। यहाँ शिक्षा प्रदान करने वाला भली प्रकार से जानता है कि उसे शिक्षा प्रदान करनी है। यहाँ शिक्षक एवं बालक दोनों को ही शिक्षा के उद्देश्य ज्ञात रहते हैं तथा जिसको बालक किसी कार्यक्रम के अनुसार नियन्त्रित वातावरण में रहते हुए किसी पूर्व निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निश्चित पाठ्यक्रम (ज्ञान) को निश्चित शिक्षण-पद्धति के द्वारा, निश्चित स्थान पर, निश्चित समय में समाप्त करके, परीक्षा देकर, उपाधि ग्रहण कर लेता है। ऐसी शिक्षा को प्रदान करने के साधन विद्यालय, पुस्तकालय, अजायबघर चित्र – भवन तथा पुस्तकें आदि हैं।
औपचारिक शिक्षा की विशेषताएँ (Characteristics of Formal Education) औपचारिक शिक्षा में निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं-
(1) औपचारिक शिक्षा में सुनियोजित प्रयासों तथा व्यवस्था की आवश्यकता होती है।
(2) औपचारिक शिक्षा कृत्रिम, जटिल तथा अप्राकृतिक होती है, जिसे प्राप्त तथा प्रदान करने के लिए सुनियोजित क्रियाओं तथा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
(3) यह शिक्षा मूलतः विद्यालयों द्वारा प्रदान की जाती है।
(4) सामान्यतः औपचारिक शिक्षा का एक सुनिश्चित पाठ्यक्रम होता है, जिसे एक निर्धारित समय में पूरा करना होता है।
(5) यह अत्यन्त कष्टसाध्य है तथा परिश्रम चाहती है।
(6) इस प्रकार की शिक्षा जीवन-पर्यन्त नहीं चलती है। जब तक बालक विद्यालय जाता है, यह शिक्षा तभी तक चलती है।
(7) औपचारिक शिक्षा मुख्यतः भौतिक होती है, जो हमें भौतिक साधन जुटाने की योग्यता प्रदान करती है।
(8) औपचारिक शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य बालक को इस योग्य बनाना है कि वह एक निश्चित परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रमाण-पत्र प्राप्त कर ले या किन्हीं निश्चित विषयों की विषय-वस्तु का ज्ञान प्राप्त कर ले।
(9) औपचारिक शिक्षा उद्देश्य केन्द्रित होती है अर्थात् औपचारिक शिक्षा के सुनिश्चित उद्देश्य होते हैं।
प्रमुख शिक्षा पद्धति | |
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औपचारिक शिक्षा | अनौपचारिक शिक्षा | निरौपचारिक शिक्षा |
(10) श्री सौरभ खरे के अनुसार औपचारिक शिक्षा नियम कानून के निर्धारित स्वरूप में विनियमित होती है तथा राज्य के विधान के अंतर्गत मर्यादित होती है।
बाह्य कड़ियाँ
संपादित करेंऔपचारिक शिक्षा क्या है?औपचारिक शिक्षा की विशेषताएँ Archived 2021-07-09 at the वेबैक मशीन