अफ्रीकी बाओबाब (African baobab) या गोरखचिंच, जिसका वैज्ञानिक नाम ऐडनसोनिया डिजिटाटा (Adansonia digitata) है, बाओबाब वृक्षों की सबसे अधिक पाई जाने वाली जीववैज्ञानिक जाति है। यह मूल रूप से अफ्रीका के महाद्वीप में पाई जाती थी।[1][2][3] यह एक मोटे तने और कम व ऊँची टहनियों वाला वृक्ष है जो उप-सहारा अफ्रीका के गरम व शुष्क सवाना क्षेत्रों में पाया जाता है जहाँ से दूर से दिखता है और किसी जलस्रोत के निकट होने का संकेत माना जाता है। इनके बड़े होने की गति भूमिगत जल या वर्षा से पानी की उपलब्धि पर निर्भर करती है। इनकी अधिकतम आयु पर विवाद है लेकिन इसे 1,500 वर्षों के आसपास अनुमान करा जाता है। प्राचीनकाल से ही इनका मानवों के लिए आश्रय, आहार, जल, स्वास्थ्य औषधियों और धार्मिक मान्यताओं की दृष्टि से महत्त्व रहा है। उपनिवेशकाल में कई यूरोपीय यात्रियों ने इनपर अपने नाम कुरेदे थे और आधुनिक काल में भी असामाजिक तत्त्व इनपर कुरेदकर चिह्न छोड़ते रहते हैं।[4]

अफ्रीकी बाओबाब
African baobab
गोरखचिंच
तंज़ानिया में एक अफ्रीकी बाओबाब के नीचे हाथी
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
अश्रेणीत: पुष्पी पादप (Angiosperms)
अश्रेणीत: युडिकॉट​ (Eudicots)
अश्रेणीत: ऐस्टरिड​ (Asterids)
गण: मैलवेलीस (Malvales)
कुल: मैलवेसिए (Malvaceae)
उपकुल: बोम्बाकोइडिए (Bombacoideae)
वंश: ऐडनसोनिया (Adansonia)
जाति: ऐडनसोनिया डिजिटाटा
A. digitata
द्विपद नाम
Adansonia digitata
लिनियस, 1758

शारीरिक विवरण संपादित करें

अफ्रीकी बाओबाब का वृक्ष आमतौर पर अकेला खड़ा होता है। यह एक पतझड़ी पेड़ है और सुखे मौसम में इसके पत्ते झड़ जाते हैं। अक्सर वृक्ष पर वर्ष के आठ महीने तक पत्ते नहीं होते। पेड़ 5–25 मीटर (16–82 फुट) की ऊँचाई रखता है। तने का आकार बोतल-जैसा बताया जाता है और 10–14 मीटर (33–46 फुट) का व्यास (डायामीटर) रखता है। वृक्ष के आकार को "उल्टा पेड़" भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी टहनियाँ पतली और वृक्ष के ऊपरी भाग में होती हैं जिस से वह जड़ों जैसी लग सकती हैं। धरती के नीचे इसकी वास्तविक जड़ों की गहराई अक्सर बाहर दिखने वाले पेड़ की ऊँचाई से भी अधिक होती है। वृक्ष का तना देखने में चिकना लगता है और भूरा-लाल रंग का होता है।

गर्मियों के आरम्भ में (जो दक्षिणी गोलार्ध में सितम्बर से नवम्बर काल में होता है), वृक्ष पर बड़े और भारी श्वेत फूल आ जाते हैं, जो लगभग 12 सेमी (4.7 इंच) चौड़े होते हैं। यह दोपहर के अंत में या सांयकाल में खुलने लगते हैं और केवल एक ही रात के लिए खुले रहते हैं। आरम्भ में इनसे मीठी गंध आती है लेकिन जब 24 घंटों के भीतर यह मुरझाकर गिर जाते हैं तो इनसे बदबू आने लगती है। पेड़ को इन फूलों के परागण द्वारा प्रजनन में सहायता आमतौर पर स्थानीय फलाहारी चमगादड़ जातियाँ करती हैं। हर फूल में चमड़े-जैसी 5 पत्तियाँ होती हैं, जो अंदर से बालदार होती हैं। इसके फल बड़े और अण्डाकार बेरों जैसे दिखते हैं। अन्दर भरा गूदा सुखकर सख्त हो जाता है और फिर टूटकर गिरने लगता है। इसके टुकड़े सूखी ब्रेड जैसे दिखते हैं। स्थानीय लोग इसे पीसकर, जल में मिलाकर पीते हैं, जो स्वास्थ्यदायक माना जाता है। अंदर के बीज कठोर, काले और राजमा के आकार के होते हैं।

चित्रदीर्घा संपादित करें

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Curious Kimberley: Scientists disagree how boab trees got to Australia from Africa and Madagascar - ABC News". www.abc.net.au. August 6, 2018.
  2. "The Baobab: Fun Facts About Africa's Tree of Life". TripSavvy.
  3. "The baobab, a Malagasy tree".
  4. Sheehan, Sean (2004). Zimbabwe (Vol. 6 of Cultures of the World) (2nd ed.). New York: Benchmark Books/Marshall Cavendish. p. 13. ISBN 9780761417064.

यह पेड़ मध्यप्रदेश के मांडू में काफी ज्यादा संख्या में मौजूद है