अभय कुमार दुबे
अभय कुमार दुबे प्रख्यात राजनीतिक चिन्तक और विश्लेषक, पूर्व पत्रकार, विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस), नयी दिल्ली में एसोसिएट प्रोफ़ेसर और भारतीय भाषा कार्यक्रम के निदेशक तथा समाज विज्ञान और मानविकी की पूर्व-समीक्षित[1] पत्रिका 'प्रतिमान : समय समाज संस्कृति' के प्रधान सम्पादक हैं।
अभय कुमार दुबे | |
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परिचय
संपादित करेंअभय कुमार दुबे का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा में हुआ है वहीं के स्थानीय कर्मक्षेत्र महाविद्यालय में उन्होंने शिक्षा पायी है। वे आपातकाल में जेल यात्रा कर चुके हैं। भाकपा (माले) के पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहे हैं।
लेखन-कार्य
संपादित करेंअभय कुमार दुबे के विचार एवं लेखन की परिधि में विविध ज्ञानानुशासनों के वृहत्तर आयाम मौजूद हैं। समाज-विज्ञान के अतिरिक्त इतिहास को छूती राजनीति एवं हिन्दी भाषा-साहित्य के साथ-साथ आधुनिकता, दलित एवं स्त्री-विमर्श तक पर उन्होंने समान अधिकार के साथ लिखा है। हालाँकि स्वयं वे अपनी जमीन समाज विज्ञान की ही मानते हैं।[2][3] बहुआयामिता, पर्याप्त प्रमाण एवं विस्तृति उनके लेखन के अंगीभूत लक्षण हैं। डॉ॰ रामविलास शर्मा पर लिखा गया उनका महत्त्वपूर्ण विस्तृत आलेख चार हिस्सों में बँटा है। पहले भाग में डॉ॰ शर्मा के इतिहास लेखन की समीक्षा है। दूसरे में उनके समाजचिन्तक पक्ष का विश्लेषण है। तीसरे भाग के केन्द्र में उनका भाषा चिन्तन है। चौथे में उनकी समग्र परियोजना का आकलन है।[2][3] इसी प्रकार हिंदी पर विचार करते हुए जहाँ एक ओर वे राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी की हैसियत पर विचार करते हैं[4], वहीं दूसरी ओर 'अंग्रेजी में हिंदी' के माध्यम से भाषायी इतिहास की उलट यात्रा की पड़ताल करते हुए 'हिंदी में हिंदू सेकुलर'[5] तथा हिंदी का 'ह्यूमिलिएशन'[6] तक को समेट लेते हैं।
अपनी पुस्तक 'सेकुलर/साम्प्रदायिक' में उनका उद्देश्य मुख्यतः समस्या के बहुआयामी एवं व्यापक विश्लेषण पर ही रहा है। समाधान सुझाने का प्रयत्न उन्होंने प्रायः नहीं किया है, क्योंकि उनका मानना है कि "इन समस्याओं के समाधान महज़ बौद्धिक क़वायद का नतीजा नहीं हो सकते। ये हल तो राजनीति और समाज की ज़मीन पर संरचनागत रूप से ही निकल सकते हैं। इसलिए, मैं इस पुस्तक को एक निमंत्रण की तरह पेश कर रहा हूँ। और, यह निमंत्रण है सेकुलरवाद की एक ऐसी व्यावहारिक ज़मीन तैयार करने का जो दोनों तरह की साम्प्रदायिकताओं का पूरी तरह से निषेध करती हो।"[7]
सम्पादन
संपादित करेंआधुनिक समय में सम्पादन के क्षेत्र में अभय कुमार दुबे ने एक नवीन कीर्तिमान स्थापित किया है। उनके द्वारा छह खण्डों में सम्पादित करीब ढाई हजार पृष्ठों का 'समाज-विज्ञान विश्वकोश' पूर्व समय में किये गये 'हिंदी विश्वकोश' तथा 'हिन्दी साहित्य कोश' जैसी वृहत्तर परियोजनाओं का उत्कृष्टता से निर्वाह करता है।
इस विश्वकोश के बारे में सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री धीरूभाई शेठ का मानना है कि "समाज-विज्ञान और मानविकी में इस प्रकार का हिंदी ज्ञानकोश पहली बार तैयार किया गया है। समझ-बूझ और कल्पनाशीलता के साथ चुनी गई इसकी प्रविष्टियाँ संख्या में सीमित होने के बावजूद ज्ञानानुशासनों के बहुत बड़े दायरे की नुमाइंदगी करती हैं।"[8] वहीं आशीष नंदी का मानना है कि "आने वाले समय में समाज-विज्ञान और मानविकी का यह हिंदी ज्ञानकोश भारतीय समाज-विज्ञान को नए दौर में ले जाने वाली रचना के तौर पर देखा जाएगा।"[9]
प्रकाशित कृतियाँ
संपादित करें- क्रांति का आत्म-संघर्ष : नक्सलवादी आंदोलन के बदलते चेहरे का अध्ययन
- कांशी राम : एक राजनीतिक अध्ययन
- बाल ठाकरे : एक राजनीतिक अध्ययन
- मुलायम सिंह यादव : एक राजनीतिक अध्ययन
- हिंदी में हम : आधुनिकता के कारखाने में भाषा और विचार -2015 (वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
- फ़ुटपाथ पर कामसूत्र (नारीवाद और सेक्सुअलिटी : कुछ भारतीय निर्मितियाँ) -2016 (वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- सेकुलर/साम्प्रदायिक : एक भारतीय उलझन के कुछ आयाम -2016 (वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- साहित्य में अनामंत्रित -2018 (सस्ता साहित्य मंडल, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
सम्पादित कृतियाँ
संपादित करें- समाज-विज्ञान विश्वकोश (छह खण्डों में, सजिल्द एवं पेपरबैक, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
- हिंदी की आधुनिकता : एक पुनर्विचार (तीन खण्डों में, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- सांप्रदायिकता के स्रोत
- आज के नेता : राजनीति के नये उद्यमी (आठ पुस्तकों की शृंखला का सम्पादन और उनमें से तीन का लेखन)
- आधुनिकता के आईने में दलित
- लोकतंत्र के सात अध्याय
- भारत का भूमंडलीकरण -2003
- बीच बहस में सेकुलरवाद -2005
- स्त्री भूमंडलीकरण : पितृसत्ता के नये रूप
- राजनीति की किताब : रजनी कोठारी का कृतित्व
- सत्ता और समाज : धीरूभाई शेठ का कृतित्व -2009
अनूदित कृतियाँ
संपादित करें- सर्वहारा रातें : उन्नीसवीं सदी से फ्रांस में मज़दूर स्वप्न (नाइट्स ऑफ़ प्रोलिटेरिएट)
- भारत के मध्यवर्ग की अजीब दास्तान (द ग्रेट इंडियन मिडिल क्लास : पवन कुमार वर्मा) -1999
- भारतनामा (द आइडिया ऑव इंडिया : सुनील खिलनानी) -2001
- जिन्ना : मुहम्मद अली से क़ायदे आज़म तक
- राष्ट्रवाद का अयोध्याकांड (क्रिएटिंग ए नेशनलिटी, द रामजन्मभूमि आंदोलन एंड द फ़ियर ऑफ़ सेल्फ़[10] : आशिस नंदी, शिखा त्रिवेदी, शैल मायाराम, अच्युत याग्निक)
- देशभक्ति बनाम राष्ट्रवाद (इल्लेजिटिमेसी ऑव नेशनलिज्म : आशिस नंदी)
- भारत में राजनीति – कल और आज (पॉलिटिक्स इन इंडिया : रजनी कोठारी)
- अंतरंगता का स्वप्न : भारतीय समाज में प्रेम और सेक्स (द इंटीमेट रिलेशंस)
- कामसूत्र से 'कामसूत्र' तक : आधुनिक भारत में सेक्सुअलिटी के सरोकार (अ क्वेश्चन ऑफ़ साइलेंस)
- लोकतंत्र के तलबगार (हू वांट्स डेमोक्रेसी?)
- पूँजी के भूमंडलीकरण से कैसे लड़ें? (ग्लोबलाइजेशन ऑव फाइनेंस : कवँलजीत सिंह)
इन्हें भी देखें
संपादित करें- प्रतिमान (पत्रिका)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ हिंदी में हम, अभय कुमार दुबे, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2015, पृष्ठ-XII.
- ↑ अ आ तद्भव, अंक-26 (अक्टूबर-2012), सम्पादक- अखिलेश, पृष्ठ-62.
- ↑ अ आ हिंदी में हम, अभय कुमार दुबे, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2015, पृष्ठ-155.
- ↑ हिंदी में हम, पूर्ववत्, पृष्ठ-1-88.
- ↑ हिंदी में हम, पूर्ववत्, पृष्ठ-209-266.
- ↑ हिंदी में हम, पूर्ववत्, पृष्ठ-367-390.
- ↑ सेकुलर/साम्प्रदायिक, अभय कुमार दुबे, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2016, पृष्ठ-IX (प्राक्कथन)।
- ↑ समाज-विज्ञान विश्वकोश, खण्ड-1, संपादक- अभय कुमार दुबे, राजकमल प्रकाशन, प्रा॰ लि॰, नयी दिल्ली, द्वितीय पेपरबैक संस्करण-2016, अंतिम आवरण पृष्ठ पर उल्लिखित।
- ↑ समाज-विज्ञान विश्वकोश, खण्ड-2, संपादक- अभय कुमार दुबे, राजकमल प्रकाशन, प्रा॰ लि॰, नयी दिल्ली, द्वितीय पेपरबैक संस्करण-2016, अंतिम आवरण पृष्ठ पर उल्लिखित।
- ↑ फुटपाथ पर कामसूत्र, अभय कुमार दुबे, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-2016, पृष्ठ-XIII.