रासायनिक अभिक्रिया
रासायनिक अभिक्रिया में एक या अधिक पदार्थ आपस में अन्तर्क्रिया (इन्टरैक्शन) करके परिवर्तित होते हैं और एक या अधिक भिन्न रासायनिक गुण वाले पदार्थ बनते हैं। किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों को अभिकारक (रिएक्टैन्ट्स) कहते हैं। अभिक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न पदार्थों को उत्पाद (प्रोडक्ट्स) कहते हैं। लैवासिये के समय से ही ज्ञात है कि रासायनिक अभिक्रिया बिना किसी मापने योग्य द्रव्यमान परिवर्तन के होती है। (द्रव्यमान परिवर्तन अत्यन्त कम होता है जिसे मापना कठिन है)। इसी को द्रव्यमान संरक्षण का नियम कहते हैं। अर्थात किसी रासायनिक अभिक्रिया में न तो द्रव्यमान नष्ट होता है न ही बनता है; केवल पदार्थों का परिवर्तन होता है।
परम्परागत रूप से उन अभिक्रियाओं को ही रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं जिनमें रासायनिक बन्धों को तोडने या बनाने में इलेक्ट्रॉन की गति जिम्मेदार होती है।
रासायनिक अभिक्रियाओं के कुछ उदाहरण
संपादित करेंआम जीवन में दृष्टिगोचर होने वाली कुछ प्रमुख रासायनिक अभिक्रियाएं इस प्रकार है:
भिन्न-भिन्न प्रकार की अभिक्रियाएँ
संपादित करें- संश्लेषण (Direct combination / synthesis)
- रासायनिक विघटन या विश्लेषण (Chemical decomposition or analysis)
- एकल प्रतिस्थापन (substitution)
- दोहरा प्रतिस्थापन (Double displacement reaction)
- अम्ल-क्षार अभिक्रिया (Acid-base reactions)
- HCl + NaOH ---> H2O + NaCl
- रेडॉक्स अभिक्रिया (Redox reactions)
- 2 S2O32−(aq) + I2(aq) → S4O62−(aq) + 2 I−(aq)
- ज्वलन (Combustion)
रासायनिक गतिकी
संपादित करेंकिसी अभिक्रिया की गति का अर्थ यह है कि उस अभिक्रिया के परिणामस्वरूप उसमें सम्मिलित पदार्थों की सांद्रता या दाब किस गति से बदल रहा है। विभिन्न अभिक्रियाओं की गति में बहुत अन्तर देखा जा सकता है। कुछ अभिक्रियाएं बहुत तीव्र गति से होती हैं जबकि कुछ अभिक्रियाएं बहुत धीमी गति से होती हैं। अभिक्रियाओं की गति का अध्ययन बहुत ही महत्वपूर्ण है। रासायनिक प्रौद्योगिकी की दृष्टि से क्रिया की गति अधिक होने पर कोई उत्पाद कम समय में बनाया जा सकता है।
रासायनिक अभिक्रियाओं की गति मुख्यतः अभिकारकों की सान्द्रता, पृष्ट क्षेत्रफल, दाब, ऐक्टिवेशन उर्जा, ताप एवं उत्प्रेरक की उपस्थिति/अनुपस्थिति आदि पर निर्भर करता है।