अरंडी
अरंडी (अंग्रेज़ी:कैस्टर) तेल का पेड़ एक पुष्पीय पौधे की बारहमासी झाड़ी होती है, जो एक छोटे आकार से लगभग १२ मी के आकार तक तेजी से पहुँच सकती है, पर यह कमजोर होती है। इसकी चमकदार पत्तियॉ १५-४५ सेमी तक लंबी, हथेली के आकार की, ५-१२ सेमी गहरी पालि और दांतेदार हाशिए की तरह होती हैं। उनके रंग कभी कभी, गहरे हरे रंग से लेकर लाल रंग या गहरे बैंगनी या पीतल लाल रंग तक के हो सकते हैं।[1] तना और जड़ के खोल भिन्न भिन्न रंग लिये होते हैं। इसके उद्गम व विकास की कथा अभी तक अध्ययन अधीन है।[2] यह पेड़ मूलतः दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर, पूर्वी अफ़्रीका एवं भारत की उपज है, किन्तु अब उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खूब पनपा और फैला हुआ है।[3]
अरण्डी | |
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अरंडी का फल लगा पौधा | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | पादप |
संघ: | मैग्नोलियोफाइटा |
वर्ग: | मैग्नोलियोप्सीडा |
गण: | मैल्पीजिएल्स |
कुल: | यूफोर्बियेसी |
उपकुल: | अकैलीफोएडी |
वंश समूह: | अकैलीफी |
उपगणजाति: | रिसीनिनी |
वंश: | रिसिनस |
जाति: | आर. कॉम्म्युनिस |
द्विपद नाम | |
रिसिनस क‘ओम्युनिस L. |
बीज
अरण्डी का बीज ही बहुप्रयोगनीय कैस्टर ऑयल (अरंडी के तेल) का स्रोत होता है। बीज में ४०-६०% तक तेल उपस्थित होता है, जिसमें ट्राईग्लाइसराइड्स, खासकर रिसिनोलीन बहुल होता है। इस बीज में रिसिन नामक एक कुछ विषैला पदार्थ भी होता है, जो लगभग पेड़ के सभी भागों में उपस्थित रहता है।
तेल
अरण्डी का तेल साफ, हल्के रंग का होता है, जो अच्छे से सूख कर कठोर हो जाता है और गंध से मुक्त होता है। यह शुद्ध ऍल्कालोइड़स के लिये एक उत्कृष्ट सॉल्वैंट के रूप में नेत्र शल्य चिकित्सा में प्रयुक्त होता है। यह मुख्य रूप से कृत्रिम चमड़े के विनिर्माण में उपयोग होता है। यह कुछ कृत्रिम रगड़नेवाला रबर में एक आवश्यक घटक है। एक सबसे बड़ा प्रयोग पारदर्शी साबुन के निर्माण में होता है। इसके अलावा इसके औषधीय प्रयोग भी होते हैं। इस तेल को दवा में एक मूल्यवान जुलाब माना जाता है।[1] यह अस्थायी कब्ज में, उपयोग में आता है और यह बच्चों और वृद्ध के लिये विशेष उपयोगी होता है। यह पेट के दर्द और तीव्र दस्त में धीमी पाचन के कारण प्रयोग किया जाता है। अरंड़ी तेल बाह्य रूप में, दाद, खुजली, आदि विभिन्न रोगो के लिए विशेष उपयोगी होता है। इसके ताजा पत्तो को कैनरी द्वीप में नर्सिंग माताओं द्वारा एक बाहरी अनुप्रयोग के रूप में, दूध का प्रवाह बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।. यह आंखों में विदेशी निकायों को हटाने के बाद की जलन को दूर करने के लिए डाला जाता है।[1] लीमू मरहम के साथ संयुक्त रूप में, यह आम कुष्ठ में एक सामयिक आवेदन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
वाणिज्यिक प्रयोग
अरण्डी के तेल का वैश्विक उत्पादन लगभग १० लाख टन प्रति वर्ष होता है। इसके सर्वोच्च उत्पादकों में भारत (विश्व के कुल उत्पादन का ६०%), चीन एवं ब्राज़ील हैं। इनके अलावा इथियोपिया में भी इसका काफ़ी उत्पादन होता है। वहां बहुत से ब्रीडिंग कार्यक्रम भी सक्रिय हैं।
उत्पादन
भारत अरण्डी के उत्पादन में सबसे आगे है, जिसके बाद चीन और ब्राज़ील आते हैं।
सर्वोच्च १० अरण्डी तेल उत्पादक - ११ जून २००८ | ||||
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देश | उत्पादन (टन) | पादटिप्पणी | ||
भारत | ८३०००० | * | ||
चीनी जनवादी गणराज्य | २१०००० | * | ||
ब्राज़ील | ९१५१० | |||
इथियोपिया | १५००० | F | ||
पैराग्वे | १२००० | F | ||
थाईलैण्ड | ११०५२ | |||
वियतनाम | ५००० | * | ||
दक्षिण अफ्रीका | ४९०० | F | ||
फ़िलीपीन्स | ४५०० | F | ||
अंगोला | ३५०० | F | ||
विश्व | १२०९७५६ | ए | ||
चिह्न नहीं = आधिकारिक आंकड़े, P = आधिकारिक आंकड़े, F = FAO अनुमान, * = अनाधिकारिक/अर्ध-अधिकारिक/मिरर आंकड़े, C = परिकलित आंकड़े A = सकल (आधि; अर्ध-अधि. या अनुमानित भी शामिल किये जा सकते हैं); स्रोत: खाद्य एवं कृषि संगठन, संयुक्त राष्ट्र: आर्थिक एवं सामाजिक विभाग: सांख्यिकीय प्रभाग |
अन्य भाषाओं में
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दीर्घा
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रिसिनस कॉम्युनिस, पराग-कण (स्कैनिंक इले.सूक्ष्मदर्शी चित्र)
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रिसिनस कॉम्युनिस, फल
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बीजपत्रों सहित अंकुरित हुआ बीज
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रिसिनस कॉम्युनिस, फूल एवं फल
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रिसिनस कॉम्युनिस "कार्मेनसिटा"
सन्दर्भ
- ↑ अ आ इ अरंडी खेती
- ↑ "यूफोर्बियेसी (स्पर्ज) जीनोमिक्स". इंस्टीट्यूट फ़ॉर जीनोमिक्स साइसेज़. मैरीलैंड आयुर्विज्ञान संस्थान, बाल्टीमोर. मूल से 17 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ९ मार्च २००९.
- ↑ फ़िलिप्स, रोजर; मार्टिन रिक्स (१९९९). एनुअल्स एण्ड बानियल्स. लंदन: मैक्मिलन. पृ॰ १०६. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0333748891.
बाहरी कड़ियाँ
रिसिनस कॉम्युनिस से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
- अरंडी की उन्नत खेती
- पत्तियों में छिपे औषधीय गुण। प्रतिवाद.कॉम
- बहु उपयोगी औद्योगिक तिलहन : अंडी (वेबदुनिया)
- अरंडी की फसल में रोगों का इलाज (सरिता)