अरावन देव
अरावन देव
इस लेख या इसके भागों में दिए गए सन्दर्भ विकिपीडिया के विश्वसनीय स्रोतों के मापदंडो पर खरे नहीं उतरते। कृपया सन्दर्भ जांच कर सहकार्य करे। अधिक जानकारी या वार्ता संवाद पृष्ठ पर देखे जा सकते है। इस लेख को अक्टूबर 2020 से टैग किया गया है। |
अरावन | |
---|---|
[[चित्र:|175px]] | |
हिंदू पौराणिक कथाओं के पात्र | |
नाम: | अरावन |
संदर्भ ग्रंथ: | {{{संदर्भ ग्रंथ}}} |
जन्म स्थल: | {{{उत्त्पति स्थल}}} |
मुख्य शस्त्र: | {{{मुख्य शस्त्र}}} |
राजवंश: | {{{राजवंश}}} |
माता-पिता: | अर्जुन और उलूपी |
भाई-बहन: | {{{भाई-बहन}}} |
जीवनसाथी: | {{{जीवनसाथी}}} |
संतान: | {{{संतान}}} |
इरावन [1] अर्जुन और नागकन्या उलूपी का पुत्र था। वह एक कुशल धनुर्धर और मायावी अस्त्रों का ज्ञाता था।
इरावन के नाम से भी जाना जाता है। अरावन हिंजड़ो ,गे ,सिसी के देवता है इसलिए दक्षिण भारत में हिंजड़ो को अरावनी कहा जाता है। हिंजड़ो और अरावन देवता के सम्बन्ध में सबसे अचरज वाली बात यह है कि हिंजड़े अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते हैं। हालांकि यह विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है।
अरावन देव कथा व किन्नर
संपादित करेंअरावन देवता का संबंध भारत के तमिलनाडु राज्य से है. यहां पर अरावन देवता की पूजा बड़ी ही श्रद्धाभाव से की जाती है. अरावन को इरावन देव के नाम से भी जाना जाता है. किन्नर अरावन को अपना देवता मानते हैं. जिस कारण किन्नरों को दक्षिण भारत में अरावनी कहा जाता है.
किन्नर एक दिन के लिए विवाह करते हैं ।
किन्नर अरावन देवता के साथ एक दिन के लिए विवाह भी रचाते हैं. विवाह करने के अगले दिन अरावन देवता की मौत के साथ ही किन्नरों का वैवाहिक जीवन समाप्त हो जाता है. इस कथा का संबंध महाभारत से माना जाता है.जब कोई रास्ता नहीं बचता है तो भगवान श्री कृष्ण स्वंय को मोहिनी रूप में बदलकर अरावन से शादी करते हैं. अगले दिन अरावन स्वंय अपने हाथो से अपना शीश माँ काली के चरणो में अर्पित करते हंै. अरावन की मृत्यु के बाद श्री कृष्ण उसी मोहिनी रूप में काफी देर तक अरावन की मृत्यु का विलाप भी करती हैं.
कृष्ण पुरुष होते हुए स्त्री रूप में अरावन से शादी रचाते हैं इसलिए किन्नर, जो स्त्री रूप में पुरुष माने जाते हैं, भी अरावन से एक रात की शादी रचाते हैं और उन्हें अपना आराध्य देव मानकर उपासना करते हैं. तमिलनाडु के कूवगम में अरावन का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में अरावन देवता के शीश की पूजा की जाती है. यहां पर हर वर्ष तमिल नव वर्ष की पहली पूर्णिमा को 18 दिनों तक एक उत्सव का भी आयोजन किया जाता है.पांडवों को जीत के लिए देनी पड़ी बलि
युद्ध में जीत के लिए पांडवो को मां काली के चरणों में एक नर बलि देनी होती है जिसके लिए एक राजकुमार की जरूरत पड़ती है. जब कोई भी राजकुमार आगे नहीं आता है तो अरावन खुद को अपनी इच्छा से अपनी बलि देने के लिए कहते हैं. लेकिन अरावन एक शर्त रखते हैं कि वे अविवाहित नहीं मरना चाहते हैं. इस शर्त के कारण एक नया संकट आ जाता है क्योकि कोई भी राजा एक दिन अपनी पुत्री का विवाह कैसे कर सकता है. कोई राजा इसके लिए तैयानहोताहै.
अर्जुन के पुत्र हैं अरावन
एक पौराणिक कथा के अनुसार अरावन को अर्जुन का पुत्र माना गया है. एक बार अर्जुन ने द्रोपदी से शादी की एक शर्त का पालन नहीं किया. जिस कारण अर्जुन को इंद्रप्रस्थ से निष्कासित कर दिया गया और एक साल की तीर्थयात्रा जाने का आदेश दिया जाता है. इस यात्रा के दौरान अर्जुन उत्तर पूर्व भारत में जाते हैं.
जहां की उनकी मुलाक़ात एक विधवा नाग राजकुमारी उलूपी से होती है. अर्जुन इस कन्या से विवाह कर लेते हैं. विवाह के बाद उलूपी एक पुत्र को जन्म देती है जिसका नाम अरावन रखा जाता है. अरावन के जन्म के बाद अर्जुन पत्नी और पुत्र को छोड़कर आगे की यात्रा आरंभ करते हैं. युवा होने पर अरावन नागलोक छोड़कर अपने पिता अर्जुन के पास आते हैं. लेकिन तब कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध चल रहा होता है इसलिए अर्जुन अरावन को युद्ध करने के लिए रणभूमि में भेज देते हैं.
अरावन पूजा व तंत्र
संपादित करेंअरावन तंत्र साधना व पूजा से किन्नर ओर गे समलैंगिकता से छुटकारा पाया जाता है. जिसमें अरावन देव से 18 दिन का पूजा पर्व व अरावन देव से शादी से सम्पन्न होता है. तंत्र क्रिया सेक्स पर आधारित होती है जिसमें सेक्सुअल ऊर्जा को मोहिनी व अरावन की ऊर्जा से जोड़ कर पाप मुक्त हुआ जाता है.
संदर्भ
संपादित करेंइरावन
Sacred Texts Hinduism Mahabharata Index Previous Next
- ↑ Brandon, James R., संपा॰ (1993). On thrones of gold: three Javanese shadow plays. University of Hawaii Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-8248-1425-8.