अर्द्धांगिनी (1959 फ़िल्म)
अर्धांगिनी १९५९ में श्याम महेशवरी द्वारा निर्देशित चलचित्र है जिनमे मुख्य पात्र निभाया है मीना कुमारी,राज कुमार और शुभा खोटे ने। यह एक तना हुआ सामाजिक नाटक है। इस फिल्म की कथानक, 'छाया' नाम की एक साधारण लडकी के जीवन पर आधारित है जो एक पारंपरिक परिवार से संबंध रखती है।[1] [2] [3]
अर्द्धांगिनी | |
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चित्र:अर्द्धांगिनी.jpg अर्द्धांगिनी का पोस्टर | |
निर्देशक | अजीत चक्रवर्ती |
अभिनेता |
मीना कुमारी, राज कुमार, दुर्गा खोटे |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कहानी
संपादित करेंछाया एक बहुत ही सुंदर लड़की है जो जानती है कि वह किसी भी आदमी को आकर्षित कर सकता है, लेकिन वह उम्मीद रखती है कि उन्हे एक ऐसा जीवन साथी मिल जाये जो उसको सम्मान देगा और केवल उनकी सुंदरता की ही नहीं। परन्तु जब उसकी सुंदरता उसे अभिशाप बन जाता है, यह उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदलता है।लोगो ने निर्दयतापूर्वक उसे एक अयोग्य बदकिस्मत लड़की के रूप में खारिज कर दिया था जो समाज के किसी भी धागा करने के लिए योग्य नहीं है।उसकी उपस्थिति किसी भी सामाजिक समारोह में त्याग दिया और उसे एक अछूत के रूप में इलाज किया था।वह एक माँ के बिना, किसी भी दोस्त के बिना और बिना किसी भी समानुभूतिक दृष्टि से बडी हुई थी परन्तु वह अपनी पिता से बहुत प्यार करती थी और सभी अन्य लडकियो की तरह वह भी उस दिन की कल्पना करती है जब एक सभ्य आदमी से उसका विवाह हग और उनकि ज़िन्दगी हमेशा के लिये बदल जायेगी। छाया को जन्म देने के समय ही उसकी माँ की म्रत्यू हुई और उसकी पिता को अपने से निकाल दिया गया। इसलिये समाज उसको परिवार के लिए कयामत का एक अग्रदूत के रूप में देखने लगा। परन्तु उसकी पिता उसको कभी किसी भी चीज़ को लेकर क्रोधित नहीं होता था। एक दिन उसके पित यह खबर लेकर आया कि उनका दोस्त की विधवा अपने बेटे के लिये,छायस को देखने आ रही होगी।जब बूढ़ी औरत (दुर्गा खोटे) आती है, तब उसके भाई टोंगा से अपनी लापरवाही के कारण नीचे गिर जाता। है। यह निर्देशक से एक संकेत है कि छाया की जीवन में कोइ दुर्घट्ना होने वाली है। हालांकि, महिला को छाया पसंद आती है और उसके शब्द शिवराज के लिए देता है। लेकिन बाद में,जब उसके भाई उस्से यह कह्ता है कि पड़ोसियों को छाया के बारे में बुरि अभिप्राय है,तब् सगाई टूट जाता है। यहाँ फिल्म में एक माहिस्सार्मिक है। छाया को जब मुंबई से पत्र मिलती है , तब वह खुश हो जाती है पर उसको यह बात नहीं जानती थी कि पत्र में अस्वीकृति के शब्द था। सगाई टूटी होने की खबर सुनकर, शिवराज का निधन हुआ। लेकिन छाया आगे बढ़ती है। वह शहर में पुन: निर्धारण करती और लीला (शुभा खोटे) और उसके पति मुरारी (आगा) के साथ रहने के लिए चला जाती है।
संक्षेप
संपादित करेंचरित्र
संपादित करेंमुख्य कलाकार
संपादित करें- मीना कुमारी - छाया
- राज कुमार - प्रकाश
- दुर्गा खोटे
दल
संपादित करेंसंगीत
संपादित करेंरोचक तथ्य
संपादित करेंपरिणाम
संपादित करेंबौक्स ऑफिस
संपादित करेंसमीक्षाएँ
संपादित करेंनामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जनवरी 2017.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2017.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2017.