रावल अल्लट या अल्लट गुहिल राजवंश के एक शासक थे जिन्होंने ९५१ से ९७१ तक शासन किया | वह रावल भृतपत द्वितीय के पुत्र और उत्तराधिकारी थे | अल्लट ने गुर्जर(राजपूत) प्रतिहार साम्राज्य के साथ गुहिलों का संग्राम जारी रखा और गुर्जर शासक देवपाल को युद्ध में ९५४ में मार गिराया |[1] अल्लट ने गुर्जर साम्राज्य के निर्बल हो जाने का भरपूर लाभ उठाया | [2] गुर्जरों के पतन के पश्चात् वह साम्राज्य उसके सामंतों के भीतर बात गया जैसे मालवा के परमार, अजमेर के चौहान और गुजरात के सोलंकी |[2]

अल्लट
रावल
गुहिल राजवंश के रावल
शासनावधि951 - 971 CE
पूर्ववर्तीभृतपत
उत्तरवर्तीनरवाहन
निधन971
जीवनसंगीहरियादेवी [1]
संताननरवाहन
पिताभृतपत
मातामहालक्ष्मी

अल्लट ने हूणों के साथ मैत्रयी सम्बन्ध विकसित किये और हूण  राजकुमारी हरियादेवी से विवाह किया |[1] इतिहासकार रामवल्लभ सोमानी के मुताबिक रावल अल्लट का शासनकाल एक समृद्ध और यशस्वी काल था | [3] डेवलप को पराजित करने के पश्चात् मेवाड़ की राजधानी बदलकर आहड़ बना दी गयी जिसके बाद आहड़ एक वव्यावसायिक केंद्र के रूप में उभरा [4]

जगत गाव उदयपुर में अम्बिका माता का मंदिर बनवाया |

  1. Ram Vallabh Somani 1976, पृ॰ 52.
  2. Ram Vallabh Somani 1976, पृ॰ 53.
  3. Ram Vallabh Somani 1976, पृ॰ 52-54.
  4. Ram Vallabh Somani 1976, पृ॰ 53-54.
  • Ram Vallabh Somani (1976). History of Mewar, from Earliest Times to 1751 A.D. Mateshwari. OCLC 2929852.