पंडित अहोबल मधयकालीन भारत में संगीत के विद्वान थे। उन्होने संस्कृत में संगीत पारिजात नामक संगीत ग्रन्थ की रचना ही है।

अबोहल का जन्म सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में दक्षिण भारत में हुआ। अपने पिता, कृष्ण पंडित जो कि संस्कृत भाषा के विद्वान् थे, से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होनें दक्षिण भारतीय शैली के कर्नाटक संगीत का गहन अध्ययन किया। तत्पश्चात उत्तर भारत आकर इन्होनें हिन्दुस्तानी संगीत का गहन अध्ययन किया। उत्तर भारत के धनबढ़ स्थान पर रहते हुए सन १६५० में संगीत पारिजात नामक संगीत ग्रन्थ की रचना की | इस ग्रन्थ में उत्तर और दक्षिणी दोनों संगीत पद्धतियों का समावेश है।


भारतीय संगीत में योगदान

पंडित अहोबल द्वारा रचित संगीत पारिजात संगीत का परम ग्रन्थ है जिसमें प्राचीन परम्परा को मानते हुए २२ श्रुतियों पर आधुनिक सप्तक के सात स्वरों की स्थापना की गयी | प्राचीन परंपरा के अनुसार २२ श्रुतियों की गणना के आधार पर संगीत के स्वरों की स्थापना की जाती थी परन्तु अहोबल ने वींणा के तार की लम्बाई का विधान करके इस पर ७ शुध्द और ५ विकृत स्वरों का स्थान निश्चित करके स्वरों की स्थापना को सरल और वैज्ञानिक बना दिया |


स्रोत संपादित करें

राग परिचय, भाग दो ,पृष्ठ संख्या २३३ ,लेखक हरिश्चंद्र श्रीवास्तव, प्रकाशक :संगीत सदन प्रकाशन ,प्रयागराज