आगरा प्रेसीडेंसी
आगरा प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत के छह पश्चिमोत्तर प्रांतों में से एक थी। यह ९,४७९ वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ था और १८३५ में इसकी जनसंख्या ४,५००,००० थी।[1]
आगरा प्रेसीडेंसी | |||||||||
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प्रान्त of कंपनी राज | |||||||||
14 नवंबर 1834–1 जून 1836 | |||||||||
Capital | आगरा | ||||||||
Area | |||||||||
• 1835 | 9,479 कि॰मी2 (3,660 वर्ग मील) | ||||||||
Population | |||||||||
• 1835 | 45,00,000 | ||||||||
History | |||||||||
• Established | 14 नवंबर 1834 | ||||||||
• Disestablished | 1 जून 1836 | ||||||||
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Today part of | उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड राजस्थान मध्य प्रदेश हिमाचल प्रदेश हरियाणा दिल्ली |
आगरा प्रेसीडेंसी की स्थापना १४ नवंबर १८३४ को गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट १८३३ के प्रावधानों के तहत की गयी थी।[2] उससे पहले यह विजित एवं सत्तांतरित प्रांत कहलाता था। सर चार्ल्स मैटकाफ को इस प्रेसीडेंसी का पहला गवर्नर नियुक्त किया गया था।[3] हालांकि, १८३५ में इस प्रेसीडेंसी का नाम बदलकर उत्तर-पश्चिमी प्रान्त कर दिया गया। १ जून १८३६ को आगरा प्रेसीडेंसी को भंग कर दिया गया।