आग (1994 फ़िल्म)
आग 1994 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य एक्शन फ़िल्म है। यह सोनाली बेंद्रे के लिये पहली फ़िल्म है।
आग | |
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आग का पोस्टर | |
निर्देशक | के रवि शंकर |
लेखक | सतीश जैन |
निर्माता | ए॰ कृष्णामूर्ति |
अभिनेता |
गोविन्दा, शिल्पा शेट्टी, सोनाली बेंद्रे |
संगीतकार | दिलीप सेन—समीर सेन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
12 अगस्त, 1994 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंराजू (गोविन्दा) एक अनाथ लड़का है, जो अपनी छोटी बहन, लक्ष्मी के साथ गरीबी में जीवन बिताते रहता है। एक दिन राजू की मुलाक़ात पारुल (सोनाली बेंद्रे) से होती है, और बीच बीच में उसके साथ पढ़ने वाला, बॉबी (मोहनीश बहल) भी मिलता है। पारुल और राजू को एक दूसरे से प्यार हो जाता है, लेकिन पारुल के अंकल, जगपाल, उसकी शादी पुलिस इंस्पेक्टर सूर्यदेव सिंह (शक्ति कपूर) से करना चाहते हैं। पारुल शादी करने से मना कर देती है, और जब सूर्यदेव को पता चलता है कि वो राजू से प्यार करती है, तो वो राजू को गिरफ्तार कर उस पर हत्या करने का आरोप लगा देता है और उसकी खूब पिटाई करता है।
किसी तरह राजू की बहन एक पुलिस अफसर से गन छिन लेती है और राजू को फरार होने में मदद करती है। राजू किसी तरह पारुल की शादी रोकने के लिए जाता है, पर उसे काफी देर हो चुकी होती है। पारुल जहर पी कर आत्महत्या कर लेती है। वहीं पुलिस उसे फिर से गिरफ्तार कर लेती है, वहीं सूर्यदेव उसकी बहन के साथ बलात्कार करता है, जिससे वो अपना मानसिक संतुलन खो देती है।
राजू अपनी बहन को एक छोटे से गाँव ले जाता है, और लोगों से छिपा कर रखता है, ताकि कोई उसे गर्भवती के रूप में न देख ले। वहीं वो अपना नाम बदल कर बिरजू कर लेता है। वहाँ उसकी मुलाक़ात बिजली (शिल्पा शेट्टी) से होती है, जो उससे शादी करना चाहते रहती है। राजू को पता नहीं होता है, कि वो लड़की असल में एक पुलिस अफसर, बरखा शर्मा है, जो उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा कर उसे पकड़ने आई है। किसी तरह वो राजू से बुलवा ही लेती है कि उसी ने पारुल के अंकल की हत्या की है और उसे गिरफ्तार कर लेती है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- गोविन्दा — बिरजू / राजू
- शिल्पा शेट्टी — बिजली
- सोनाली बेंद्रे — पारुल
- सदाशिव अमरापुरकर — भोलाराम
- विकास आनन्द — पुलिस कमिश्नर
- मोहनीश बहल — बॉबी
- सुरेश चटवाल — लाला
- अवतार गिल — जगपाल
- गुलशन ग्रोवर — छोटे ठाकुर माधव सिंह
- दिनेश हिंगू — पिल्लई
- सुहास जोशी — तोलाराम और भोलाराम की माँ
- गोगा कपूर — ठाकुर मदन सिंह
- शक्ति कपूर — इंस्पेक्टर सूर्यदेव सिंह
- कादर ख़ान — तोलाराम
- विजू खोटे — गाँव के डॉक्टर
- राजू श्रेष्ठ — पारुल का भाई
संगीत
संपादित करेंसभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत दिलीप सेन—समीर सेन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "आँखों में तुम हो" | कुमार सानु, साधना सरगम | 5:27 |
2. | "मैं तेरा मजनूँ" | कुमार सानु, पूर्णिमा | 6:56 |
3. | "अँगिया में अंग न समाएँ" | पूर्णिमा | 4:59 |
4. | "तेरा क्या लगता है" | ईला अरुण, अलका याज्ञिक, सोनू निगम | 6:21 |
5. | "ये कन्या कुँवारी है" | हरिहरन, सुदेश भोंसले, अलका याज्ञिक | 6:29 |
6. | "मुस्कुरा के जियो जिंदगी" | कुमार सानु | 6:27 |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंवर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1995 | सोनाली बेंद्रे | लक्स वर्ष का चेहरा पुरस्कार | जीत |