आदिपुराण
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आदिपुराण जैनधर्म का एक प्रख्यात पुराण है जो सातवीं शताब्दी में जिनसेन आचार्य द्वारा लिखा गया था। इसका कन्नड भाषा में अनुवाद आदिकवि पम्प ने चम्पू शैली में किया था। इसमें जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ के दस जन्मों का वर्णन है। [1]
आदिपुराण | |
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आदिपुराण (प्रकाशित संस्करण की झलक) |
परिचय संपादित करें
जैन धर्म के अनुसार 63 महापुरुष बड़े ही प्रतिभाशाली, धर्मप्रवर्तक तथा चरित्रसम्पन्न माने जाते हैं और इसीलिए वे 'शलाकापुरुष' के नाम से विख्यात हैं। ये 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, नौ नारायण, नौ प्रतिनारायण तथा नौ बलदेव (या बलभद्र) हैं। इन शलाकापुरुषों के जीवनप्रतिपादक ग्रन्थों को श्वेतांबर लोग 'चरित्र' तथा दिगंबर लोग 'पुराण' कहते हैं। आचार्य जिनसेन ने इन समग्र महापुरुषों की जीवनी काव्यशैली में संस्कृत में लिखने के विचार से इस 'महापुराण' का आरंभ किया, परंतु ग्रन्थ की समाप्ति से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। फलत: अवशिष्ट भाग को उनके शिष्य आचार्य गुणभद्र ने समाप्त किया। ग्रन्थ के प्रथम भाग में 48 पर्व और 12 सहस्र श्लोक हैं जिनमें आद्य तीर्थकर ऋषभनाथ की जीवनी निबद्ध है और इसलिए 'महापुराण' का प्रथमार्ध 'आदिपुराण' तथा उत्तरार्ध 'उत्तरपुराण' के नाम से विख्यात है।
आदिपुराण के भी केवल 42 पर्व पूर्ण रूप से तथा 43वें पर्व के केवल तीन श्लोक आचार्य जिनसेन की रचना हैं और अन्तिम पर्व (1620 श्लोक) गुणभद्र की कृति है। इस प्रकार आदि पुराण के 10,380 श्लोकों के कर्ता जिनसेन स्वामी हैं। हरिवंश पुराण के रचयिता जिनसेन आदिपुराण के कर्ता से भिन्न तथा बाद के हैं, क्योंकि जिनसेन स्वामी की स्तुति अपने ग्रन्थ के मंगलश्लोक में की है।
आदिपुराण कवि की अन्तिम रचना है। जिनसेन का लगभग श.सं. 770 (=848 ई.) में स्वर्गवास हुआ। राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष का वह राज्यकाल था। फलत: आदिपुराण की रचना का काल नवीं शताब्दी का मध्य भाग है। यह ग्रन्थ काव्य की रोचक शैली में लिखा गया है।[2]
सन्दर्भ ग्रन्थ संपादित करें
1. नाथूराम प्रेमी : जैन साहित्य और इतिहास, बंबई 1942; 2.डॉ॰ विंटरनित्स : हिस्ट्री ऑव इंडियन लिटरेचर, द्वितीय खंड, कलकत्ता, 1933
इन्हें भी देखें संपादित करें
बाहरी कड़ियाँ संपादित करें
- Adipurana, 1, Bhartiya Jnanpith, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-263-1604-5
- Adipurana, 2, Bhāratīya Jñānapīṭha, 2007, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-263-0922-1
- Adipurana, Eastern Book Linkers, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-785-4202-7
- आदिपुराण