आशा भोसले

भारतीय पार्श्व गायिका (जन्म 1933)
(आशा भोंषले से अनुप्रेषित)

आशा गणपतराव भोसले (जन्म: 8 सितम्बर 1933) हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका हैं। लता मंगेशकर की छोटी बहन और दिनानाथ मंगेशकर की पुत्री आशा ने फिल्मी और गैर फिल्मी लगभग 16 हजार गाने गाये हैं और इनकी आवाज़ के प्रशंसक पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। हिंदी के अलावा उन्होंने मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और रूसी भाषा के भी अनेक गीत गाए हैं। आशा भोंसले ने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में सावन आया फिल्म चुनरिया में गाया। [1]

आशा भोसले

आशा की विशेषता है कि इन्होंने शास्त्रीय संगीत, गजल और पॉप संगीत हर क्षेत्र में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है और एक समान सफलता पाई है। उन्होने आर॰ डी॰ बर्मन से दूसरा विवाह किया था।

आशा भोसले का जन्म 08 सितम्बर 1933 को महाराष्ट्र के ‘सांगली’ जिले एक मराठी परिवार में हुआ। इनके पिता दिनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध गायक एवं नायक थे। जिन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा काफी छोटी उम्र में ही आशा जी को दी। आशा जी जब केवल 9 वर्ष की थीं, इनके पिता का स्वर्गवास हो गया । पिता के मरणोपरांत, इनका परिवार पुणे से कोल्हापुर और उसके बाद मुंबई आ गया। परिवार की सहायता के लिए आशा और इनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर ने गाना और फिल्मों में अभिनय शुरू कर दिया। 1943 में इन्होंने अपनी पहली मराठी फिल्म ‘माझा बाळ’ में गीत गाया। यह गीत ‘चला चला नव बाळा...’ दत्ता डावजेकर के द्वारा संगीतबद्ध किया गया था। 1948 में हिन्दी फिल्म ‘चुनरिया’ का गीत ‘सावन आया।..’ हंसराज बहल के लिए गाया। दक्षिण एशिया की प्रसिद्ध गायिका के रूप में आशा जी ने गीत गाए। फिल्म संगीत, पॉप, गज़ल, भजन, भारतीय शास्त्रीय संगीत, क्षेत्रीय गीत, कव्वाली, रवीन्द्र संगीत और नजरूल गीत इनके गीतों में सम्मिलित है। इन्होंने 14 से ज्यादा भाषाओं में गीत गाए यथा– मराठी, आसामी, हिन्दी, उर्दू, तेलगू, मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी, तमिल, अंग्रेजी, रशियन, जाइच, नेपाली, मलय और मलयालम। 12000 से अधिक गीतों को आशा जी ने आवाज दी।महान गायक किशोर कुमार आशा जी के सबसे मनपसंद गायक थे।

विवाह एवं व्यक्तिगत जीवन

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16 वर्ष की उम्र में अपने 31 वर्षीय प्रेमी ‘गणपतराव भोसले’ (1916-1966) के साथ घर से पलायन कर पारिवारिक इच्छा के विरूद्ध विवाह किया। इस वजह से उनके रीश्तो में दरार आई । गणपत राव लता जी के निजी सचिव थे। यह विवाह असफल रहा। पति एवं उनके भाइयों के बुरे वर्ताव के कारण इस विवाह का दु:खान्त हो गया। 1960 के आसपास विवाह विच्छेद के बाद आशा जी अपनी माँ के घर दो बच्चों और तीसरे गर्भस्थ शिशु (आनन्द) के साथ लौट आईं। 1980 ई. में आशा जी ने सचिन देव बर्मण के बेटे ‘राहुल देव बर्मन’(पंचम) से विवाह किया। यह विवाह आशा जी ने राहुल देव वर्मन के अंतिम सांसो तक सफलतापूर्वक निभाया।

आशा जी का घर दक्षिण मुम्बई, पेडर रोड क्षेत्र में प्रभुकुंज अपार्टमेंट में स्थित है। इनके तीन बच्चे हैं। साथ ही पाँच पौत्र भी है। इनका सबसे बड़ा लड़का हेमंत भोसले है। हेमंत ने पायलट के रूप में अधिकांश समय बिताया। आशाजी की बेटी जो हेमंत से छोटी है “वर्षा”। वर्षा ने ‘द सनडे ऑबजरवर’ और ‘रेडिफ’ के लिए कॉलम लिखने का काम किया। आशाजी का सबसे छोटा पुत्र आनन्द भोसले है। आनन्द ने बिजनेस और फिल्म निर्देशन की पढाई की। आनन्द भोसले ही आशा के करियर की इन दिनों देखभाल कर रहे हैं। हेमंत भोसले के सबसे बड़े पुत्र चैतन्या (चिंटु) “बॉय बैण्ड” के सफल सदस्य के रूप में विश्व संगीत से जुड़े हुए है। अनिका भोसले (हेमंत भोसले की पुत्री) सफल फोटोग्राफर के रूप में कार्य कर रही है। आशा जी की बहनें लता मंगेसकर और उषा मंगेसकर गायिका है। इनकी अन्य दो सहोदर बहन मीना मंगेसकर और भाई हृदयनाथ मंगेसकर संगीत निर्देशक है। आशाजी गायिका के अलावा बहुत अच्छी कुक (रसोईया) है। कुकिंग इनका पसंदीदा शौक है। बॉलीवुड के बहुत सारे लोग आशा जी के हाथों से बनें ‘कढाई गोस्त’ एवं ‘बिरयानी’ के लिए अनुरोध करते हैं। आशा जी भी इनकार नहीं करती है। बॉलीवुड के ‘कपुर’ खानदान में आशा जी द्वारा बनाए गये ‘पाया करी’, ‘गोझन फिश करी’ और ‘दाल’ काफी प्रसिद्ध है। एक बार जब ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के एक साक्षात्कार में पुछा गया कि यदि आप गायिका न होती तो क्या करती? आशा जी ने जबाब दिया कि मैं एक अच्छी रसोईया (कुक) बनती। आशा जी एक सफल रेस्तरॉ संचालिका है। इनके रेस्तरॉ दुबई और कुवैत में आशा नाम से प्रसिद्ध है।‘वाफी ग्रुप’ द्वारा संचालित रेस्तरॉ में आशा जी के 20% भागीदारी है। वाफी सीटी दुबई और दो रेस्तरॉ कुवैत में पारम्परिक उत्तर भारतीय व्यंजन के लिए प्रसिद्ध है। आशा जी ने ‘कैफ्स’ को स्वंय 6 महीनो का ट्रेंनिग दिया है। दिसम्बर 2004 ‘मेनु मैगजीन’ के रिपोर्ट के अनुसार ‘रसेल स्कॉट’ जो ‘हैरी रामसदेन’ के प्रमुख है आने वाले पाँच सालो में आशा जी के ब्रैण्ड के अंतर्गत 40 रेस्तरॉ पूरे यू॰के॰ के अन्दर खोलने की घोषणा की है। इसी क्रम में आशा जी की की रेस्तरॉ ‘बरमिंगम’ यू॰के॰ में खोला गया है। आशा जी की फैशन और पहनावे में सफेद साड़ी चमकदार किनारो वाली, गले में मोतियों के हार और हीरा प्रसिद्ध है। आशा जी एक अच्छी ‘मिमिक्री’ अदाकारा भी है।

गायिकी के क्षेत्र में संघर्ष

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एक समय जब प्रसिद्ध गायिका यथा- गीता दत्त, शमशाद बेगम और लता मंगेशकर का जमाना था। चारों ओर इन्ही का प्रभुत्व था। आशा जी गाना चाहती थी पर इन्हे गाने का मौका तक नहीं दिया जाता था। आशा जी सिर्फ दुसरे दर्जे की फिल्मों के लिए ही गा पाती थी। 1950 के दशक में बॉलीवुड के अन्य गायिकाओं की तुलना में आशा जी ने कम बजट की ‘बी’ और ‘सी’ ग्रेड फिल्मों के लिए बहुत से गीत गाए। इनके गीतो के संगीतकार ए. आर. कुरैशी (अल्ला रख्खा खान), सज्जाद हुसैन और गुलाम मोहम्मद थे। जो काफी असफल रहे। 1952 ई. में दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म ‘संगदिल’ जिसके संगीतकार सज्जाद हुसैन थे, ने प्रसिद्धि दिलाई। परिणाम स्वरूप बिमल राय ने एक मौका आशा जी को अपनी फिल्म ‘परिणीता’ (1953) के लिए दिया। राज कपूर ने गीत ‘नन्हे मुन्ने बच्चे।...’ के लिए मोहम्मद रफी के साथ फिल्म ‘बुट पॉलिश्’(1954) के लिए अनुबंधित किया जिसने काफी प्रसिद्धि आशा जी को दिलाई। ओ.पी. नैयर ने आशा जी को बहुत बड़ा अवसर ‘सी. आई. डी.’(1956) के गीत गाने के लिए दिया। इस प्रकार 1957 की फिल्म ‘नया दौर’ बी आर. चोपड़ा ने नैयर साहब के संगीतकार रूप में आशा जी को बी. आर. चोपड़ा से पहली सफलता प्राप्त हुई। इस साझेदारी ने कई प्रसिद्ध गीतो को जनमानस के बीच लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। फिर सचिन देव बर्मन और रवि जैसे संगीतकारो ने भी आशा जी को मौका दिया। 1966 ई. में संगीतकार आर. डी. वर्मन की सफलतम फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ में आशा जी ने आर. डी. वर्मन के साथ काफी प्रसिद्धि बटोरी। 1960 से 1970 के बीच प्रसिद्ध डॉसर हेलन की आवाज बनी। ऐसा कहा जाता है कि जब भी आशा जी गाती थी तो हेलन रिकाडिंग के समय मौजुद रहती थी ताकि गाने को अच्छी तरह समझ सके और अच्छी तरह नृत्य उस गाने पर कर सके। आशा जी और हेलन के प्रसिद्ध गीतों में ‘पिया तु अब तो आजा...’(कारवॉ), ‘ ओ हसीना जुल्फो वाली...’(तीसरी मंजिल) और ‘ये मेरा दिल...(डॉन) शामिल है। 1981 में उमराव जान और इजाजत (1987) में पारम्परिक गज़ल गाकर आशा जी ने आलोचकों को करारा जबाब दिया। अपनी गायन प्रतिभा का लोहा मनवाया। इन्ही दिनो इन्हे उपर्युक्त दोनों फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ‘बेस्ट फिमेल प्लेबैक सिंगर’ मिला। आशा जी 1990 तक लगातार गाती रही। 1995 की हिट फिल्म ‘रंगीला’ से एक बार पुन: अपनी दुसरी पारी का आरंभ किया। 2005 में 72 वर्षीय आशा जी ने तमिल फिल्म ‘चन्द्रमुखी’ और पॉप संगीत ‘लक्की लिप्स...’ सलमान खान अभिनित के लिए गाया जो चार्ट बस्टर में प्रसिद्ध रहा। अक्टूबर 2004,’द वेरी बेस्ट ऑफ आशा भोसले’, ‘द क्वीन ऑफ बॉलीवुड’ आशा जी के द्वारा गाए गीतो का एलबम (1966-2003) रिलिज किया गया।

फिल्म जो मिल का पत्थर साबित हुई

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आशा भोसले जी के गायिकी के कैरियर में चार फिल्मे मिल का पत्थर, साबित हुई— नया दौर (1957), तीसरी मंजिल (1966), उमरॉव जान (1981) और रंगीला (1995)। नया दौर (1957):— आशा भोसले जी की पहली बड़ी सफल फिल्म बी. आर. चोपड़ा की ‘नया दौर’(1957) थी। मो. रफी के साथ गाए उनके गीत यथा ‘माँग के हाथ तुम्हारा....’, ‘साथी हाथ बढ़ाना...’ और ‘उड़े जब जब जुल्फे तेरी...’ शाहिर लुधियानवी के द्वारा लिखित और ओ. पी. नैयर द्वरा संगीतबद्ध एक खास पहचान दी। आशा जी ने ओ.पी. नैयर के साथ पहले भी काम किया था पर यह पहली फिल्म थी जिसके सारे गीत आशा जी प्रमुख अभिनेत्री के लिए गाई थी। प्रोड्यूसर बी. आर. चोपडा ने नया दौर में उनकी प्रतिभा की पहचान कर आने वाली बाद की फिल्मों में पुन: मौका दिया। उनमे प्रमुख फिल्म— वक्त, गुमराह, हमराज, आदमी और इंसान और धुंध आदि है। तीसरी मंजिल (1966):- आशा भोसले ने राहुल देव वर्मन की ‘तीसरी मंजिल’(1966) से काफी प्रसिद्ध हुई। जब पहले उन्होने गाने की धुन सुनी तो गीत ‘आजा आजा...’ इस गीत को गाने से इनकार कर दिया था, जो वेस्टर्न डांस नम्बर पर आधारित थी। तब आर. डी. वर्मन ने संगीत को बदलने का प्रस्ताव आशा जी को दिया किंतु आशा जी ने यह चैलेंज स्वीकार करते हुए गीत गाए। 10 दिन के अभ्यास के बाद जब अंतिम तौर पर यह खास गीत आशा जी ने गाए तो खुशी के कायल आर. डी. वर्मन ने 100 रूपये के नोट आशा जी के हाथ में रख दिए। आजा आजा.... और इस फिल्म के अन्य गीत – ओ हसीना जुल्फो वाली... और ओ मेरे सोना रे.... ये सभी गीत रफी जी के साथ तहलका मचा दिया। शम्मी कपूर इस फिल्म के नायक ने एक बार कहा था “यदि में पास मो. रफी इस फिल्म के गीतो को गाने के लिए नहीं होते तो मै आशा भोसले को यह कार्य देता”। उमराव जान (1981):- रेखा अभिनित ‘उमराव जान’(1981) आशा जी ने गज़ल गाया यथा- दिल चीज क्या है।..., इन आँखों की मस्ती के..., ये क्या जगह है दोस्तों... और जुस्त जु जिसकी थी।..। इन गज़लों के संगीतकार खय्याम थे जिन्होने आशा जी से सफलतापूर्वक गज़लो को गाने के लिए स्वरों के उतार चढाव को समझाया। आशा जी स्वयं आश्चर्यचकित थी कि वह इन गज़लो को सफलतापूर्वक गाई है। इन गज़लों ने आशा जी को प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया और उनकी बहुमुखी प्रतिभा साबित हुई। रंगीला (1995):- सन 1995 में 62 वर्षीय आशा जी ने युवा अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर के लिए फिल्म रंगीला में गाई। इन्होंने फिर अपने चाहनेवालों को आश्चर्यचकित कर दिया। सुपर हिट गीत यथा- तन्हा तन्हा... और रंगीला रे... गीत ए. आर. रहमान के संगीत निर्देशन में गाई जो काफी प्रसिद्ध हुआ। बाद में कई अन्य गीतों को ए. आर. रहमान के निर्देशन में गाई। तन्हा तन्हा... गीत काफी प्रसिद्ध हुआ और आज भी लोग गुनगुनाते हैं।

संगीत निर्देशको के साथ साझेदारी

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ओ.पी. नय्यर

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संगीतकार ओ.पी. नैयर की साझेदारी ने आशा भोसले जी को एक खास पहचान दिलाया। कई लोगों ने इनकी आपसी संबंध को प्रेम संबंध मान लिया। नैयर जी पहली बार 1952 में आशा जी से एक गीत छम क्षमा छम... के संगीत रिकार्डिग के समय मिलें। पहली बार इन्होंने फिल्म ‘माँगू’ (1954) के लिए आशा जी को बुलाया। फिर इन्होंने एक बहुत बड़ा मौका फिल्म सी.आई.डी. (1956) में आशा जी को दिया। इस प्रकार नया दौर (1957) की सफलता ने इन दोनों की प्रसिद्धी को बढ़ाया। 1959 के बाद भावानात्मक और व्यावसायिक तौर पर आशा जी नैयर जी के साथ जुड़ी रहीं।

ओ.पी.नैयर और आशा भोसले की यादगार फिल्मे यथा- मधुबाला पर फिल्मांकित गीत ‘आईये मेहरबाँ...’ (हावड़ा ब्रिज-1958) और मुमताज पर फिल्मांकित गीत ‘ये है रेशमी जुल्फो का अंधेरा...(मेरे सनम-1965) आदि है। ओ.पी. नैयर ने कई हिट गीतों को आशा जी के साथ रिकार्ड किया यथा- नया दौर (1957), तुमसा नहीं देखा (1957), हावड़ा ब्रिज (1958), एक मुसाफिर एक हसीना (1962), कशमीर की कली (1964) आदि। इनकी साझेदारी की कुछ प्रसिद्ध गीत- आओ हुजुर तुमको...(किस्मत), जाईये आप कहाँ जाएगे...(मेरे सनम) आदि है। ओ.पी.नैयर की मो. रफी एवं आशा जी के साथ युगल गीत काफी प्रसिद्ध हुए। इनके द्वारा गाए कुछ प्रमुख युगल गीत ‘उडे जब जब जुल्फे तेरी...(नया दौर), मै प्यार का राही हूँ...(एक मुसाफिर एक हसीना), दीवाना हुआ बादल..., इशारो इशारो मे...(काश्मीर की कली) आदि। 5 अगस्त 1972 को दोनों में अलगाव हो गया। यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि किन कारणो से दोनों में अलगाव हुआ।

दूसरे संगीतकार जिन्होने आशा जी के प्रतिभा को पहचाना और इनकी साझेदारी में आशा जी ने इनकी पहली फिल्म बीबी (1948) के लिए गाई। 1950 में खय्याम ने कई अच्छे अनुबंध आशा जी के साथ किए यथा—फिल्म- दर्द, फिर सुबह होगी आदि। किंतु उन दोनों की साझेदारी की सबसे यादगार फिल्म- उमराव जान के गीत रहे।

रवि:— संगीत निर्देशक रवि, आशा भोसले जी को अपनी पसंदीदा गायिका में एक मानते थे। आशा जी इनकी पहली फिल्म वचन (1955) में गीत गाई। चन्दा मामा दूर के.... गीत रातो रात भारतीय माँ के बीच प्रसिद्ध हो गया। जब अधिकांश संगीतकार आशा जी को बी-ग्रेड गीत गाने के लिए जानते थे उन दिनो रवि ने आशा जी से भजन गाने को कहा जिनमें ‘घराना’, ‘गृहस्थी’ ‘काजल’ और ‘फुल और पत्थर’ फिल्में प्रमुख है। रवि और आशा जी ने कई प्रसिद्ध गीतो का रिकार्ड किया जिनमे किशोर कुमार के साथ गाए उनके मजेदार गीत ‘सी ए टी..कैट माने बिल्ली...(दिल्ली का ठग) आदि है। रवि द्वारा संगीतबद्ध आशा जी के प्रसिद्ध भजन ‘तोरा मन दर्पण कहलाए...’(काजल) आदि है। इनकी साझेदारी में कई प्रसिद्ध फिल्मों के गीत रिकार्ड हुए यथा- वक्त, चौदहवी का चाँद, गुमराह, बहु-बेटी, चायना टाउन, आदमी और इंसान, धुंध, हमराज और काजल आदि है। चौदहवीं के चाँद में रवि गीता दत्त (प्रोड्यूसर गुरु दत्त की पत्नी) से गीत गवाना चाहते थे किंतु गुरु दत के जिद के कारण आशा जी ने गीत गाए जो काफी प्रसिद्ध हुए।

सचिन देव बर्मन

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प्रसिद्ध संगीत निर्देशक सचिन देव वर्मन की पसंदीदा गायिका लता मंगेस्कर से 1957 से 1962 के बीच अच्छे संबंध नहीं थे। उन दिनो सचिन देव वर्मन ने आशा भोसले जी का उपयोग किया। इन दोनों की साझेदारी ने कई हिट गीत दिए यथा— फिल्म काला पानी, काला बाजार, इंसान जाग उठा, लाजवंति, सुजाता और तीन देविया (1965) आदि है। 1962 के बाद भी दोनों ने कई गीतों को रिकार्ड किया। मो. रफी और किशोर कुमार के साथ गाए युगल गीत आशा जी के काफी प्रसिद्ध रहे। अब के बरस... गीत बिमल राय की फिल्म बंदनी (1963) ने आशा जी को प्रमुख गायिका के रूप में स्थापित किया। अभिनेत्री तनुजा पर फिल्मांकित गीत रात अकेली है।..(ज्वेल थीफ,1967) काफी प्रसिद्ध हुआ।

राहुल देव बर्मन

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आशा भोसले राहुल देव वर्मन जी से उस समय पहली बार मिली जब वह दो बच्चों की माँ थी और संगीतकार राहुल देव वर्मन (पंचम) की साझेदारी में फिल्म तीसरी मंजिल (1966) में पहली बार लोगों का ध्यान आकर्षित कर पाई। आशा जी ने आर. डी. वर्मन के साथ कैबरे, रॉक, डिस्को, गज़ल, भारतीय शास्त्रीय संगीत और भी बहुत गीत गाए। 1970 में आशा भोसले जी ने पंचम के साथ कई युवा गीत गाए यथा- पिया तू अब तो आ जा.....(कारवॉ-1971) हेलन पर फिल्मांकित, दम मारो दम...(हरे रामा हरे कृष्णा-1971), दुनिया में...(अपना देश-1972) चुरा लिया है तुमने...(यादों की बारात-1973) आदि है। इसके आलावा पंचम के संगीत निर्देशन में आशा जी ने किशोर कुमार के साथ कए प्रसिद्ध युगल गीत गाए यथा— जाने जाँ ढूंढ़ता फिर रहा। ..(जवानी दीवानी), भली भली-सी एक सूरत...(बुढा मिल गया) आदि। 1980 में पंचम और आशा जी कई प्रसिद्ध गीतो को रिकार्ड किया। फिल्म इजाजत (1987)- मेरा कुछ सामान..., खाली हाथ शाम आयी है।.., कतरा कतरा... आदि प्रसिद्ध प्रमुख प्रसिद्ध गीतो को रिकार्ड किया। ओ मारिया...(सागर) के गीतो को भी रिकार्ड किया। गुलजार की इजाजत को आर. डी. वर्मन के संगीत निर्देशन में आशा जी को राष्ट्रीय पुरस्कार ‘बेस्ट सिंगर’ प्राप्त हुआ। आर. डी. वर्मन जी ने कई हिन्दी प्रसिद्ध गीतो को बंगाली भाषा में आशा जी के आवाज को रिकार्ड किया यथा— ‘मोहुए झुमेछे आज माऊ गो, चोखे चोखे कोथा बोले चोखे नामे बृष्टि (बंगाली रूपांतरण गीत जाने क्या बात है।..) बंसी सुने की घोरे टाका जाए, संध्या बेले तुमी आमी..., आज गुन गुन जे आमर (बंगाली रूपांतरण गीत प्यार दीवाना होता है) आदि। यह प्रसिद्ध साझेदारी विवाह में परिणीत हुई। पंचम जी के अंतिम सांसो तक यह साझेदारी चली।

संगीत निर्देशक जयदेव, एस. डी. वर्मन के सहायक के तौर पर पहले काम करते थे बाद में इन्होंने स्वतंत्र रूप से संगीत निर्देशन करना शुरू किया। संगीतकार जयदेव ने आशा जी के साथ कई फिल्मों के गीत रिकार्ड किए, यथा- हम दोनों (1961), मुझे जीने दो (1963), दो बुँद पानी (1971) आदि। जयदेव और आशा जी ने फिल्मी गीतों के अलावा 8 गीतों का एक खास संग्रह जिनमे गज़ल एवं कुछ अन्य गीत शामिल थे को “एन अनफॉर्गेटेबल ट्रिट” के नाम से निकला। आशा जी, जयदेव की अच्छी मित्र मानी जाती थी। 1987 में जयदेव जी के मरणोपरांत आशा जी ने कम प्रसिद्ध गीत जो जयदेव के द्वारा संगीतबद्ध था,’सुरांजली’ नाम से निकाला।

शंकर जयकिशन

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शंकर जयकिशन ने आशा जी के साथ कम काम किया, फिर भी कुछ हिट गीत रिकार्ड किए यथा— परदे में रहने दो। ..(शिखर—1968) इस गीत के लिए आशा जी को द्वितीय फिल्म फेयर अवार्ड मिला। आशा जी ने एक प्रसिद्ध गीत शंकर जयकिशन के लिए गाए जो किशोर कुमार के आवाज में ज्यादा प्रसिद्ध था यथा— जिन्दगी का सफर है सुहाना...(अंदाज)। जब राज कपुर का लता मंगेसकर के साथ बातचीत बंद था, तब आशा जी ने शंकर जयकिशन के संगीत निर्देशन में फिल्म मेरा नाम जोकर (1970) के गीत गाए।

इलैयाराजा

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दक्षिण भारतीय संगीत निर्देशक इलैयाराजा 1980 के दौरान आशा जी के आवाज को रिकार्ड करना शुरू किया। इन दोनों की साझेदारी में फिल्म ‘मुन्दरम पइराई (1982)(या सदमा, इसकी हिन्दी रीमेक 1983में) बनी। 1980 से 1990 के बीच इन दोनों की साझेदारी बनी रही। इस खास साझेदारी की प्रसिद्ध गीत ‘सीनबागमाइ’(इनगा ओरू पट्टुकारन—1987, तमिल फिल्म) आदि है। 2000 ई. में आशा जी ने इलैयाराजा के संगीतनिर्देशन में कमल हसन की फिल्म ‘हे राम’ के मूल गीत गाई। जन्मों की ज्वाला....(या अपर्णा की थीम गीत) को गज़ल गायक हरिहरन के साथ युगल गीत गाई।

अनु मलिक और आशा जी ने कई हिट गीत रिकार्ड किए। जिनमे इनकी संगीतबद्ध पहली फिल्म ‘सोनीमहीवाल’(1984) शामिल है। अनु मलिक के संगीत निर्देशन में बहुत प्रसिद्ध गीतो में ‘फिलहाल...(फिलहाल), किताबें बहुत से...(बाजीगर) आदि शामिल है। अनु मलिक के संगीत निर्देशन में आशा जी ने चार पंक्ति ‘जब दिल मिले...(यादें) सुखबिन्दर सिह, उदित नारायण और सुनिधि चौहान के साथ गाए। आशा जी ने अनु मलिक के पिता ‘सरदार मलिक’ के लिए 1950 ई. से 1960 ई. में गाई जिनमे प्रसिद्ध फिल्म सारंगा (1960) शामिल है।

ए. आर. रहमान

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1995 फिल्म ‘रंगीला’ से आशा जी ने ए. आर. रहमान संगीत निर्देशक के साथ अपनी दुसरी पारी के शुरुआत की। इसका श्रेय ए. आर. रहमान को जाता है। चार्टबस्टर के हिट गीत तन्हा तन्हा... और रंगीला रे... से आशा जी को पुन: प्रसिद्धि मिली। रहमान और आशा जी की साझेदारी में कई गीत रिकार्ड हुए जिनमे हिट गीत ‘मुझे रंग दे...(त्क्षक)’, राधा कैसे न जले...(लगान, युगल गीत उदित नारायण के साथ), कही आग लगे। ..(ताल), ओ भवरें...(दौड, युगल गीत के.जे.यशुदास), वीनीला वीनीला...(अरूवर-1999) प्रमुख है। रहमान ने एक बार कहा-“मै सोचता हूँ आशा और लता जी के कद में जो संगीत फिट बैठ्ता है वैसा मैने तैयार किया।”

अन्य संगीत निर्देशक

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मदन मोहन ने ‘झुमका गिरा रे...(मेरा साया—1966) के प्रसिद्ध गीत को आशा जी की आवाज में रिकार्ड किया। सलिल चौधरी ने फिल्म छोटी सी बात (1975) में जानेमन जानेमन... युगल गीत के.जे.यशुदास के साथ रिकार्ड किया। सलिल चौधरी की फिल्म जागते रहो (1956) गीत ‘ठंडी ठंडी सावन की फुहार...’ आशा जी की आवाज में रिकार्ड किया। संगीतकार संदीप चौटा के साथ आशा जी ने ‘कमबख्त इश्क ..(एक युगल गीत सोनू निगम के साथ) फिल्म प्यार तुने क्या किया (2001) के लिए गाई जो युवाओं में काफी लोकप्रिय हुआ। आशा जी ने लक्षमीकांत-प्यारेलाल, नौशाद, रवीन्द्र् जैन, एन. दता, हेमंत कुमार के लिए गाए और साथ काम किया। बॉलीवुड के अन्य प्रसिद्ध संगीतकार के साथ भी आशा जी ने काम किया जिनमे जतिन ललित, बप्पी लाहिरी, कल्याण जी आन्नद जी, उषा खन्ना, चित्रगुप्त एवं रौशन शामिल है।

मराठी संगीत

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लता मंगेसकर के साथ आशा जी मराठी संगीत की सिरमौर रही है (क्योंकि मराठी उनकी मातृभाषा है)। आशा जी मराठी भाषा की अनेको गीत गा चुकी है जिनमे प्रसिद्ध कविओं की कविता है, जो भाव गीत के रूप में प्रसिद्ध है। यथा प्रसिद्ध एलबन ‘रूतु हिरावा’(‘ग्रीन सीजन’) जो श्रीधर पाडके द्वारा रचित है। अपने भाई हृदयनाथ मंगेसकर द्वारा संगीतबद्ध आशा जी के कई प्रसिद्ध गीत है। आशा जी द्वारा गाए मराठी भजन काफी प्रचलित और प्रसिद्ध है।

निजी एलबम

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8 सितम्बर 1987 आशा जी के जन्म दिवस पर “दिल पड़ोसी है” नामक एलबम, गुलजार द्वारा रचित और आर.डी.वर्मन द्वारा संगीतबद्ध जारी किया गया। आशा जी उस्ताद अली अकबर खान से 1995 में विशेष रूप से मिली, बाद में आशा जी ने उस्ताद अली अकबर खान के साथ ग्यारह बंदिसे रिकार्ड की ’कैलीफिर्निया मे’। जो ग्रेमी अवार्ड के लिए नामांकित हुआ। 1990 में आर.डी.वर्मन द्वारा संगीतबद्ध गीतो को आशा जी ने ‘रिमिक्स’ कर प्रयोगात्मक अनुभव किया जो कई लोगों द्वारा आलोचना का विषय बना। संगीतकार खय्याम ने भी इसकी आलोचना की। किंतु ‘राहुल और मै’ नामक एलबम काफी प्रसिद्ध रही। इंडोपॉप एलबम ‘जानम समझा करो’ लेस्ली लुईस के साथ काफी प्रसिद्ध रहा। कई पुरस्कारो सहित 1997 एम.टी.वी. एवार्ड इस खास एलबम को मिला। 2002 ई. में अपनी एलबम ‘आप की आशा’ जो आठ गीतों वाला वीडियो एलबम था, खुद आशा जी ने संगीत तैयार किया। इसके गीत मुजरूह सुल्तांनपुरी द्वारा रचित (अंतिम रचना सुलतान पुरी द्वारा) था। 21 मई 2001 को सचिन तेन्दुलकर द्वारा मुम्बई में एक खास पार्टी में यह एलबम जारी किया गया।

जब पाकिस्तानी गायक अदनान सामी सिर्फ 10 वर्ष के थे तब आशा जी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। आशा जी ने अदनान सामी को गायन प्रतिभा विकसित कर आगे बढने के लिए प्रेरित किया। जब अदनान बड़े हुए तब आशा जी के साथ’कभी तो नज़र मिलाओ’ एलबम में गीत गाए जो काफी प्रसिद्ध रहा। फिर ‘बरसे बादल’ नामक एलबम में भी अदनान सामी के साथ गाई। आशा जी ने कई एलबमों के लिए गज़ल गाई यथा-मीराज-ए-गज़ल, अबशहर-ए-गज़ल और कशीश। 2005 में आशा जी ने एलबम ‘आशा’ जो चार गज़ल गायको को समर्पित था- मेंहदी हसन, गुलाम अली, फरीदा खानम और जगजीत सिंह जारी किया। इस एलबम में आशा जी के आठ पसंदीदा गजल यथा- फरीदा खानम की ‘आज जाने की जिद ना करो..., गुलाम अली की ‘चुपके चुपके...’, ‘आवारगी...’ और ‘दिल में एक लहर...’ जगजीत सिह की ‘आहिस्ता आहिस्ता...’, मेहदी हसन की ‘रंजीश है सही...’,’रफ्ता रफ्ता...’ और ‘मुझे तुम नज़र से...’ शामिल था। इसके संगीतकार पंडित सोमेश माथुर थे जिन्होने युवाओ के ध्यान में रखते हुए संगीत दिए। आशाजी के 60वें जन्मदिवस पर इ.एम.आई. इंडिया ने तीन कैसेट जारी किए- ‘बाबा मै बैरागन होंगी (भक्ति गीत)’, ‘द गोलडेन कलैक्सन-गज़ल (संगीतकार गुलाम अली, आर.डी.वर्मन और नज़र हुसैन)’ और ‘द गोलडेन कलेक्शन- द एवर भरसाटाइल आशा भोसले’ जो 44 प्रसिद्ध गीतो का संग्रह था। 2006 में आशा जी ने ‘आशा एण्ड फ्रैण्डस’ नामक एलबम रिकार्ड किया जिनमे युगल गीत संजय दत्त और उर्मिला मातोंडकर के साथ गाए साथ ही प्रसिद्ध क्रिकेटर ब्रेट ली के साथ आशा जी ने ‘यू आर द वन फॉर मी (हाँ मै तुम्हारी हूँ)’ गीत गाए। इन गीतो के संगीतकार समीर टण्डन थे। इसका विडियो निर्माण एस. रामचन्द्रन ने किया (जो पत्रकार से निर्देशक् बने थे)।

पुरस्कार और सम्मान

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फिल्म फेयर बेस्ट फिमेल प्लेबैक अवार्ड

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अन्य पुरस्कार

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  • 1996-स्पेशल अवार्ड (रंगीला-* 1995)
  • 2001-फिल्म फेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
  • 1981- “दिल चीज क्या है।..”(उमरॉव जान)
  • 1986 “मेरा कुछ सामान...”(इजाजत)
अन्य यादगार पुरस्कार
  • 1987- नाइटीनेंगल ऑफ एशिया अवार्ड (इंडो पाक एशोशिएशन यु.के.)
  • 1989- लता मंगेस्कर अवार्ड (मध्य प्रदेश सरकार) * 1997- स्क्रीन वीडियोकॉन अवार्ड (जानम समझा

करो- एलबम के लिए)

  • 1997- एम.टी.वी. अवार्ड (जानम समझा करो- एलबम के लिए)
  • 1997- चैनल वी अवार्ड (जानम समझा करो- एलबम के लिए)
  • 1998- दयावती मोदी अवार्ड
  • 1999- लता मंगेस्कर अवार्ड (महाराष्ट्र सरकार)
  • 2000- सिंगर ऑफ द मिलेनियम (दुबई) 2000- जी गोल्ड बॉलीवुड अवार्ड (मुझे रंग दे- फिल्म तक्षक के लिए)
  • 2001- एम.टी.वी. अवार्ड (कमबख्त इशक – के लिए) 2002- बी.बी.सी. लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड (यू॰के॰ प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के द्वारा प्रदत) 2002- जी सीने अवार्ड फॉर बेस्ट प्लेबैक सिंगर - फिमेल (राधा कैसे न जले..-फिल्म लगान के लिए)
  • 2002- जी सीने स्पेशल अवार्ड फॉर हॉल ऑफ फेम 2002- स्क्रीन वीडियोकॉन अवार्ड (राधा कैसे न जले..-फिल्म लगान के लिए)
  • 2002-सैनसुई मुवी अवार्ड (राधा कैसे न जले..-फिल्म लगान के लिए)
  • 2003- सवराल्या येशुदास अवार्ड (भारतीय संगीत में उत्कृष्ट योगदान के लिए) 2004- लाईविग लीजेंड अवार्ड (फेडरेशन ऑफ इंडियन चेम्बर ऑग कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के द्वारा)
  • 2005- एम.टी.वी. ईमीज, बेस्ट फीमेल पॉप ऐक्ट (आज जाने की जिद न करो। .) 2005- मोस्ट स्टाइलिश पीपुल इन म्यूजिक

सम्मान एवं विशेष पहचान

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  • 1997 मई आशा जी पहली भारतीय गायिका बनी जो ‘ग्रेमी अवार्ड के लिए नामांकित की गई (उस्ताद अली अकबर खान के साथ एक विशेष एलबम के लिए)
  • आशा जी “सत्तरहवी महाराष्ट्र स्टेट अवार्ड” प्राप्त की।
  • भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए सन 2000 में “दादा साहेब फाल्के अवार्ड” से सम्मानित की गई।
  • आशा जी को साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि से अमरावती विश्वविद्यालय एवं जलगाँव विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया।
  • “द फ्रिडी मरकरी अवार्ड” कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए आशा जी को इस खास पुरस्कार से सममानित किया गया।
  • नवम्बर 2002 में आशा जी को “बर्मिंघम फिल्म फेस्टिवल” विशेष रूप से समर्पित किया गया।
  • पद्मविभूषण” के द्वारा राष्टपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 5 मई 2008 को आशा जी को सम्मानित किया। यह सम्मान भारत सरकार के महत्वपूर्ण सम्मानो में है।

बाहरी कड़ियाँ

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  1. "आशा भोंसले का जन्मदिन है आज". पत्रिका समाचार समूह. 8 सितंम्बर 2014. मूल से 8 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंम्बर 2014. |accessdate=, |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)