इण्डियन एसोसियेशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साईन्स
इण्डियन एसोसियेशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साईन्स (IACS) भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अन्तर्गत एक स्वायत्त शोध संस्थान है। इसकी संस्थापना 29 जुलाई 1876 को डॉ महेन्द्रलाल सरकार ने की थी। यह भारत का प्राचीनतम शोध संस्थान है।
चित्र:Indian Association for the Cultivation of Science Logo.svg IACS की मुद्रा (सील) | |
ध्येय | अपावृणु तन्वम् |
---|---|
प्रकार | मानित विश्वविद्यालय |
स्थापित | 29 July 1876 |
संस्थापक | महेन्द्रलाल सरकार |
संबद्ध | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग |
अध्यक्ष | मनमोहन शर्मा |
निदेशक | शान्तनु भट्टाचार्य [1] |
स्थान | 2A एवं 2B राजा एस सी मल्लिक मार्ग, कोलकाता-700032, पश्चिम बंगाल, भारत 22°29′54″N 88°22′07″E / 22.4983°N 88.3686°E |
परिसर | नगरीय |
जालस्थल | www |

यह संस्थान भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान, उर्जा, बहुलक तथा पदार्थों के सीमांतवर्ती क्षेत्रों में मौलिक शोध कार्य में समर्पित है। प्रत्येक क्षेत्र में आई ए सी एस युवा एवं प्रगतिशील शोध अध्येताओं का उनके डॉक्टरॉल कार्यक्रमों में उचित पोषण करती है।
चन्द्रशेखर वेंकट रमन आई ए सी एस में 1907 से 1933 तक भौतिकी के विविध विषयों पर शोध कार्य करते रहे तथा 1928 में उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन के प्रभाव पर अपना बहुचर्चित आविष्कार किया जिसने उन्हें ख्याति के साथ अनेक पुरस्कार भी दिलवाए जिनमें 1930 में प्राप्त नोबेल पुरस्कार भी शामिल है। अमेरिकन केमिकल सोसाइटी ने 1998 में रमन प्रभाव को 'अंतर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक रासायनिक युगांतकारी घटना' की स्वीकृति प्रदान की है।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "IACS director". iacs.res.in. Archived from the original on 9 अक्तूबर 2017. Retrieved 8 October 2017.
{{cite web}}
: Check date values in:|archive-date=
(help)