ईसाई दर्शन (Christian philosophy) में ईसाइयों द्वारा या ईसाई धर्म के संबंध में किए गए सभी दर्शन शामिल हैं। ईसाई दर्शन, ईसाई रहस्योद्घाटन की मदद से प्राकृतिक तर्कसंगत व्याख्यायों से शुरू होकर, विज्ञान और आस्था में सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से उभरा। अलेक्जेंड्रिया के ऑरिजेन और ऑगस्टीन जैसे कई विचारकों का मानना था कि विज्ञान और आस्था के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध है, टर्टुलियन जैसे अन्य लोगों ने दावा किया कि उनमें अन्तर्विरोध है और अन्य दूसरों ने उनमें विभेद करने का प्रयास भी किया। [1]

ऐसे अकादमिक विद्वान भी हैं जो ईसाई दर्शन के अस्तित्व पर ही सवाल उठाते हैं। इनका दावा है कि ईसाई चिंतन में कोई मौलिकता नहीं है और उनकी अवधारणाएं और विचार यूनानी दर्शन से विरासत में लिए गये हैं। इस प्रकार, ईसाई दार्शनिक उन विचारों की संरक्षा करता है, जिसे पहले से ही ग्रीक दर्शन द्वारा निश्चित रूप से विस्तृत किया जा चुका है। [2]

हालाँकि, बोहेनर और गिलसन का दावा है कि ईसाई दर्शन प्राचीन दर्शन की सरल पुनरावृत्ति मात्र नहीं है, हालाँकि वे यूनानी विज्ञान के लिए प्लेटो, अरस्तू और नव-प्लेटोवादियों द्वारा विकसित ज्ञान के ऋृणी हैं। वे यहां तक दावा करते हैं कि ईसाई दर्शन में ग्रीक संस्कृति सावयव रूप में जीवित है। [3]

  1. Murray, Michael J.; Rea, Michael (2016). Zalta, Edward N. (संपा॰). Philosophy and Christian Theology. Metaphysics Research Lab, Stanford University.
  2. Existe uma filosofia cristã. 1978.
  3. Boehner, Philoteus. Gilson, Etienne. História da filosofia cristã: desde às origens até Nicolau de Cusa, 8a edição, Petrópolis, Vozes, 2003, pág. 571