ईसाई धर्म
ईसाई धर्म या क्रिश्चियन धर्म एक इब्राहीमवादी धर्म है जो प्राचीन यहूदी परंपरा से निकला है। अन्य इब्राहीमी धर्मों के सामान यह भी एक त्रिएक धर्म है। ईसाई परंपरा के अनुसार इसकी शुरूआत प्रथम सदी ई. में फिलिस्तीन में हुई, जिसके अनुयायी 'ईसाई' या 'क्रिश्चियन' या 'यीशूई' कहलाते हैं। यह धर्म ईसा मसीह की उपदेशों पर आधारित है। ईसाइयों में मुख्ययतः तीन संप्रदाय हैं, कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स तथा इनका धर्मिक ग्रंथ बाइबिल है।[1] ईसाइयों के धर्मिक स्थल को गिरिजाघर कहते हैं। विश्व में ईसाई धर्म के अनुयायियों की संख्या सर्वाधिक हैं।
चौथी सदी तक यह धर्म किसी क्रांति की तरह फैला, किंतु इसके बाद ईसाई धर्म में अत्यधिक कर्मकांडों की प्रधानता तथा धर्म सत्ता ने दुनिया को अंधकार युग में धकेल दिया था। फलस्वरूप पुनर्जागरण के बाद से इसमें रीति-रिवाजों के बजाय आत्मिक परिवर्तन पर अधिक जोर दिया जाता है।
ईश्वरसंपादित करें
ईसाई तीन तत्व वादी हैं, और वे ईश्वर को तीन रूपों में समझते हैं - परमपिता परमेश्वर, उनके पुत्र ईसा मसीह (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा।
परमपितासंपादित करें
परमपिता इस सृष्टि के रचयिता हैं और इसके शासक भी।
ईसा मसीहसंपादित करें
ईसा मसीह स्वयं परमेश्वर के पुत्र है| जो पतन हुए (पापी) सभी मनुष्यों को पाप और मृत्यु से बचाने के लिए जगत में देहधारण होकर (देह में होकर) आए थे। परमेश्वर जो पवित्र हैं। एक देह में प्रकट हुए ताकि पापी मनुष्यों को नहीं परंतु मनुष्यों के अंदर के पापों को खत्म करें। वे इस पृथ्वी पर जो पापी, बीमार, मूर्खों और सताए हुए थे उनका पक्ष लिया और उनके बदले में पाप की कीमत अपनी जान देकर चुकाई ताकि मनुष्य बच सकें। यह पापी मनुष्य और पवित्र परमेश्वर के मिलन का मिशन था जो प्रभु ईसा मसीह के कुरबानी से पूरा हुआ। एक सृष्टिकर्ता परमेश्वर हो कर उन्होंने पापियों को नहीं मारा बल्कि पाप का इलाज किया।
यह बात परमेश्वर पिता का मनुष्यों के प्रति अटूट प्रेम को प्रकट करता है। मनुष्यों को पाप से बचाने के लिये परमेश्वर शरीर में आए। यह बात ही ईसा मसीह का परिचय है। ईसा मसीह परमेश्वर के पुत्र थे। यही बात आज का ईसाई धर्म का आधार है। उन्होंने स्वयं कहा मैं हूँ। ईसा मसीह (यीशु) एक यहूदी थे जो इजराइल के गाँव बेतलहम में जन्मे है (4 ईसा पूर्व)। ईसाई मानते हैं कि उनकी माता मरियम "नर्तकी" थीं। ईसा मसीह उनके गर्भ में परमपिता परमेश्वर की कृपा से चमत्कारिक रूप से आये है। ईसा मसीह के बारे में यहूदी रब्बीयों ने भविष्यवाणी की थी कि एक मसीहा (नबी) जन्म लेगा। ईसा मसीह ने इजराइल में यहूदियों के बीच प्रेम का संदेश सुनाया और कहा कि वो ही ईश्वर के पुत्र हैं। इन बातों पर पुराणपंथी यहूदी धर्मगुरु भड़क उठे और उनके कहने पर इजराइल के रोमन राज्यपाल ने ईसा मसीह को क्रॉस पर चढ़ाकर मारने का प्राणदंड दे दिया। ईसाई मानते हैं कि इसके तीन दिन बाद ईसा मसीह का पुनरुत्थान हुआ या ईसा मसीह पुनर्जीवित हो गये। ईसा के उपदेश बाइबिल के नये नियम में उनके 12 शिष्यों द्वारा रेखांकित किये गये हैं।
ईसा मसीह का पुनरुत्थान यानी मृत्यु पर विजय पाने के बाद अथवा तीसरे दिन में जीवित होने के बाद ईसा मसीह एक साथ प्रार्थना कर रहे सभी शिष्य और अन्य मिलाकर कुल 40 लोग वहाँ मौजूद थे पहले उन सभी के सामने प्रकट हुए । उसके बाद बहुत सी जगहों पर और बहुत लोगो के साथ भी।
पवित्र आत्मासंपादित करें
पवित्र आत्मा त्रित्व परमेश्वर के तीसरे व्यक्तित्व हैं जिनके प्रभाव में व्यक्ति अपने अंदर ईश्वर का अहसास करता है। ये ईसा मसीह के गिरजाघर एवं अनुयाईयों को निर्देशित करते हैं।
बाइबिलसंपादित करें
ईसाई धर्मग्रंथ बाइबिल में दो भाग हैं। पहला भाग पुराना नियम कहलाता है, जो कि यहूदियों के धर्मग्रंथ तनख़ का ही संस्करण है। दूसरा भाग नया नियम कहलाता तथा ईसा मसीह के उपदेश, चमत्कार और उनके शिष्यों के कामों का वर्णन करता है।
संप्रदायसंपादित करें
ईसाइयों के मुख्य संप्रदाय हैं :
कैथोलिकसंपादित करें
कैथोलिक संप्रदाय में पोप को सर्वोच्च धर्मगुरु मानते हैं।
ऑर्थोडॉक्ससंपादित करें
ऑर्थोडॉक्स रोम के पोप को नहीं मानते, पर अपने-अपने राष्ट्रीय धर्मसंघ के कुलपति (पैट्रिआर्च) को मानते हैं और परंपरावादी होते हैं।
प्रोटेस्टेंटसंपादित करें
प्रोटेस्टेंट किसी पोप को नहीं मानते है और इसके बजाय पवित्र बाइबल में पूरी श्रद्धा रखते हैं। मध्य युग में जनता के बाइबिल पढ़ने के लिए नकल करना मना था। जिससे लोगो को ईसाई धर्म का उचित ज्ञान नहीं था। कुछ बिशप और पादरियों ने इसे सच्चे ईसाई धर्म के अनुसार नहीं समझा और बाइबिल का अपनी अपनी भाषाओ में भाषांतर करने लगे, जिसे पोप का विरोध था। उन बिशप और पादारियों ने पोप से अलग होके एक नया संप्रदाय स्थापित किया जिसे प्रोटेस्टेंट कहते हैं।
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
संदर्भसंपादित करें
- ↑ "ईसाई धर्म का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य". आज तक. अभिगमन तिथि 31 जनवरी 2021.