कग्यु

हिमालयी या तिब्बती बौद्ध धर्म के छ्हह मुख्य स्कूलोन मेइन से एक के रूप मेइन मान जात है, अन्य पान्छ न

कग्यु (Kagyu) या कग्युद (तिब्बती: བཀའ་བརྒྱུད) तिब्बती बौद्ध धर्म के छह मुख्य सम्प्रदायों में से एक है। अन्य पाँच न्यिंगमा, सक्या, जोनंग, गेलुग और बोन हैं। इनमें से सक्या, गेलुग और कग्यु को वज्रयान का नवप्रसार (New Transmission) या सारमा (གསར་མ) कहा जाता है, क्योंकि यह तिब्बत में बौद्ध धर्म के फैलाव की द्वितीय शृंख्ला में उत्पन्न हुए। न्यिंगमा, सक्या और कग्यु लाल टोपी सम्प्रदाय हैं क्योंकि औपचारिक समारोहों पर इनके अनुयायी लाल रंग की टोपियाँ पहनते हैं। कग्यु को गुरु-शिष्य परम्परा और गुरु से शिष्य को व्यक्तिगत सीख देने के लिए जाना जाता है। बहुत से प्रभावशाली कग्यु गुरुओं और उनके द्वारा स्थापित शाखाओं के कारण इतिहास में कग्यु सम्प्रदाय के कई उपसम्प्रदाय बनते चले गए।[1][2]

कग्यु शरण वृक्ष

इन्हें भी देखें

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  1. Kapstein, Matthew. "The Shangs-pa bKa'-brgyud: an unknown school of Tibetan Buddhism" in M. Aris and Aung San Suu Kyi (eds.), Studies in Honor of Hugh Richardson Warminster: Aris and Phillips, 1980, pp. 138–44.
  2. Khenpo Konchog Gyaltsen. The Great Kagyu Masters: The Golden Lineage Treasury. Ithica: Snow Lion Publications, 1990. [A translation of part of the Bka' brgyud kyi rnam thar chen mo- a collection of 'Bri gung Bka' brgyud hagiographies by Rdo rje mdzes 'od]