जोनंग (Jonang, तिब्बती: ཇོ་ནང་) तिब्बती बौद्ध धर्म के छह मुख्य सम्प्रदायों में से एक है। अन्य पाँच न्यिंगमा, कग्यु, सक्या, गेलुग और बोन हैं। इसका आरम्भ तिब्बत में १२वीं शताब्दी में यूमो मिक्यो दोर्जे ने करा और सक्या सम्प्रदाय में शिक्षित दोल्पोपा शेरब ग्याल्त्सेन नामक भिक्षु ने इसका प्रसार करा। १७वीं शताब्दी के अन्तभाग में ५वें दलाई लामा ने इस सम्प्रदाय का विरोध करा था और माना जाता था कि यह विलुप्त हो चुका है। लेकिन यह तिब्बत के खम और अम्दो क्षेत्रों के गोलोक, नाशी और मंगोल समुदायों वाले इलाकों में जीवित रहा और वर्तमान में लगभग ५,००० भिक्षु-भिक्षिका जोनंग धर्मधारा से जुड़े हैं।[1][2]

इन्हें भी देखें

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  1. Gruschke 2001, p.72; and A. Gruschke, "Der Jonang-Orden: Gründe für seinen Niedergang, Voraussetzungen für das Überdauern und aktuelle Lage", in: Henk Blezer (ed.), Tibet, Past and Present. Tibetan Studies I (Proceedings of the Ninth Seminar of The IATS, 2000), Brill Academic Publishers, Leiden 2002, pp. 183-214
  2. Dolpopa Shesrab Rgyalmtshan (2006). Mountain doctrine : Tibet's fundamental treatise on other-emptiness and the Buddha-matrix. Ithaca, NY: Snow Lion Publ. ISBN 978-1559392389.