कपोलकल्पना
कपोलकल्पना या काल्पनिक साहित्य (अंग्रेज़ी: fiction; हिन्दी में फ़िक्शन) एक कहानी या अभिविन्यास हैं जो कल्पना से व्युत्पन्न होती हैं ― अन्य शब्दों में, जो इतिहास या तथ्यों पर सख्ती से आधारित न हो।[1][2][3] कपोलकल्पना की अभिव्यक्ति विभिन्न प्रारूपों में की जा सकती हैं, जिसमें लेखन, लाइव प्रदर्शन, फ़िल्में, टेलीविजन कार्यक्रम, एनिमेशन, वीडियो गेम, और भूमिका-निभाने वाले खेल शामिल हैं, भले ही वह शब्द मूल रूप से और सबसे आम तौर पर साहित्य के कथात्मक रूपों को संदर्भित करता हैं (साहित्यिक कपोलकल्पना देखें), जिसमें उपन्यास, नॉवेल, लघुकथाएँ, और नाटक शामिल हैं। कपोलकल्पना को कभी-कभी किसी भी "साहित्यिक कथा" का अर्थ देने के लिए इसकी सबसे कम समझ में उपयोग किया जाता है।
कपोलकल्पना साहित्य की वह शाखा है जिसमें कथाओं में दर्शाए गए स्थान, व्यक्ति, घटनाएँ और सन्दर्भ कुछ मात्रा में या पूरी तरह लेखक की कल्पना पर आधारित हों और वास्तविकता से हट के हों। इसके विपरीत गैर-कपोलकल्पना है जो पूर्णतः वास्तविकता पर ही आधारित होता है।
उर्दू, फ़ारसी, अरबी और कभी-कभी हिंदी में भी काल्पनिक साहित्य को "ख़्याल" (خيال) या "ख़्याली साहित्य" बोलते हैं।
प्रारूपसंपादित करें
- इन्हें भी देखें: कपोलकल्पित विधाओं की सूची
विधा कपोलकल्पनासंपादित करें
साहित्यिक कपोलकल्पनासंपादित करें
यथार्थवादसंपादित करें
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ "fiction Archived 2017-10-24 at the Wayback Machine." Merriam-Webster.com. Merriam-Webster, Incorporated. 2015.
- ↑ Sageng, Fossheim, & Larsen (eds.) (2012). The Philosophy of Computer Games Archived 2017-03-13 at the Wayback Machine. Springer Science & Business Media. pp. 186-187.
- ↑ William Harmon and C. Hugh Holman A Handbook to Literature (7th edition). New York: Prentice Hall, 1990, p. 212.