कम्पिल (Kampil) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के फ़र्रूख़ाबाद ज़िले में स्थित एक नगर है। यह एक ऐतिहासिक नगर है, जिसका प्राचीन नाम काम्पिल्य था। कम्पिल फर्रुखाबाद से ४५ किमी दूरी पर स्थित है।[1][2]कंपिल नगर की स्थापना राजा औपुर ने कपिल ऋषि के आश्रम के रूप में की थी।शांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल ऋषि का पुराना आश्रम संकिसा में था जो उन्होंने इक्ष्वाकु वंशी राजा सुजात के पुत्रों के के लिए छोडा था। यहां पर द्रापदी का जन्म हुआ था यहां पर प्राचीन रामेश्वर नाथ मंदिर व गीता ज्ञान आश्रम स्थित है

कम्पिल
Kampil
कम्पिल का अगस्त्य मंदिर
कम्पिल का अगस्त्य मंदिर
कम्पिल is located in उत्तर प्रदेश
कम्पिल
कम्पिल
उत्तर प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 27°37′N 79°17′E / 27.62°N 79.28°E / 27.62; 79.28निर्देशांक: 27°37′N 79°17′E / 27.62°N 79.28°E / 27.62; 79.28
ज़िलाफ़र्रूख़ाबाद ज़िला
राज्यउत्तर प्रदेश
देश भारत
जनसंख्या (2011)
 • कुल10,281
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)

इसकी गणना भारत के प्रचीनतम नगरों में है। इसका प्राचीन नाम 'काम्पिल्य' था। यह बदायूँ और फ़र्रूख़ाबाद के बीच गंगा तट पर स्थित एक प्राचीन कालीन ऐतिहासिक नगर है। यह उत्तर पूर्व रेलवे लाइन पर कायमगंज रेलवे स्टेशन से लगभग २० किलोमीटर दूर है। कम्पिल फ़र्रूख़ाबाद जिले में फतेहगढ़ से उत्तर-पश्चिम दिशा में ४५ किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसका उल्लेख रामायण, महाभारत में भी मिलता है। महाभारत में इसका उल्लेख द्रौपदी के स्वयंवर के समय किया गया है कि राजा द्रुपद ने द्रौपदी स्वयंवर यहाँ आयोजित किया था। कम्पिल पांचाल देश की राजधानी थी। यहाँ कपिल मुनि का आश्रम है जिसके अनुरुप यह नामकरण प्रसिद्ध हुआ। यह स्थान हिन्दू व जैन दोनों ही के लिए पवित्र है। कम्पिल जैन धर्म का प्रसिद्ध पवित्र तीर्थ स्थल है। जैन धर्मग्रन्थों के अनुसार प्रथम तीर्थकर श्री ॠषभदेव ने इस नगर को बसाया तथा अपना पहला उपदेश दिया। इसे तेरहवें तीर्थंकर विमलनाथ जी का जन्मस्थल भी बताया गया है। तेरहवें तीर्थकर बिमलदेव ने अपना सम्पूर्ण जीवन यहीं पर व्यतीत किया।

कम्पिल पर अनेक प्रसिद्ध राजाओं ने शासन किया। महाभारत की द्रोपदी के पिता राजा द्रुपद ने यहाँ पर शासन किया। काम्पिल्य नरेश धर्मरुचि बहुत ही पवित्रात्मा माना गया है। रामायण में इसे इन्द्रपुरी अमरावती की भाँति भव्य और सुन्दर कहा गया है। कुछ विद्वानों की मान्यता है कि प्रसिद्ध ज्योतिषी वाराहमिहिर इसी नगर में जन्मे थे। द्रोपदी का स्वयंवर यहीं हुआ था। कम्पिल में अनेक वैभवशाली मंदिर हैं। वर्तमान कम्पिल में दो प्रसिद्ध जैन मन्दिर है।[3] यहां रामेश्वरनाथ शिवलिंग है। जिनकी स्थापना शत्रुघ्न के द्वारा स्थापित की गई थी।

यहां से 9 किलोमीटर की दूरी पर एक गाँव गढ़िया जगन्नाथ जहां पर इस मन्दिर के मठाधीश ने तपस्या की ।

इन्हें भी देखें

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  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
  3. पद्मभूषण ईश्वरी प्रसाद, प्राचीन भारतीय संस्कृति कला राजनीति धर्म दर्शन, द्वितीय संस्करण- १९८६ ई०, मीनू पब्लिकेशन्स इलाहाबाद, पृष्ठ-५५९