तिलचट्टा

ब्लाट्टोडेया जीववैज्ञानिक गण के कीड़े
(काँकरोच से अनुप्रेषित)

तिलचट्टा (Cockroach) कीटों का एक जीववैज्ञानिक उपगण है। यह ब्लाट्टोडेया जीववैज्ञानिक गण का भाग हैं, जिसमें दीमक भी शामिल हैं। विश्व में लगभग 4,600 ज्ञात तिलचट्टा जातियाँ हैं जो लगभग 500 उपगणों में आयोजित हैं। इनमें से केवल 30 जातियाँ ही मानव बसेरों से सम्बन्धित पाई जाती हैं।[1][2]

तिलचट्टा
Cockroach
कई तिलचट्टा जातियाँ: (A) जर्मन तिलचट्टा (B) अमेरिकी तिलचट्टा (C) ऑस्ट्रेलियाई तिलचट्टा (D, E) ओरियेंटेल तिलचट्टा
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)
वर्ग: कीट (Insecta)
अधिगण: डिक्ट्योप्टेरा (Dictyoptera)
गण: ब्लाट्टोडेया (Blattodea)
कुल

तिलचट्टे एक सर्वाहारी, रात्रिचर प्राणी है जो अंधेरे में, गर्म स्थानों में, जैसे रसोई घर, गोदाम, अनाज और कागज के भंडारों में पाया जाता है। पंख से ढका हल्का लाल एवं भूरे रंग का इसका शरीर तीन भागों सिर, वक्ष और उदर में विभाजित रहता है। सिर में एक जोड़ी संयुक्त नेत्र पाया जाता है एवं एक जोड़ी संवेदी श्रृंगिकाएँ (एन्टिना) निकली रहती है जो भोजन ढूँढ़ने में सहायक होती हैं। वक्ष से दो जोड़ा पंख और तीन जोड़ी संधियुक्त टाँगें लगी रहती हैं जो इसके प्रचलन अंगों का कार्य करते हैं।[3] शरीर में श्वसन रंध्र पाये जाते हैं। उदर दस खंडों में विभक्त रहता है। छिपकली तथा बड़ी-बड़ी मकड़ियाँ इसके शत्रु हैं।

तिलचट्टे का शरीर २.५ सेण्टीमीटर से ४ सेण्टीमीटर लम्बा तथा १.५ सेण्टीमीटर चौड़ा होता है। शरीर ऊपर से नीचे की ओर चपटा एवं खंडयुक्त होता है। नर तिलचट्टा मादा तिलचट्टा से साधारणतः छोटा होता है।[4] तिलचट्टे का श्वसन तंत्र अनेक श्वासनलिकाओं से बनता है। ये नलिकाएँ बाहर की ओर श्वासरंध्रों द्वारा खुलती हैं। तिलचट्टे में दस जोड़े श्वासरंध्र होते हैं, दो वक्ष में और आठ उदर में। तिलचट्टे की श्रृंगिकाये तीन भागों में विभक्त होती है । जिसका आधारीय खंड स्केप मध्य खंड पेडिसेल ओर ऊपरी खंड फ्लेजिलम कहलाता है। यह विज्ञान जगत में अपने मेहनत के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका परिसंचरण तंत्र खुला होता है इसलिए ये अपने शरीर के प्रत्येक खंड में उपस्थित छोटे छोटे छिद्रों से सांस ले सकते हैं। काकरोच सांस लेने के लिए मुंह या सिर पर निर्भर नहीं होते हैं। इसलिए सिर कटने के बाद भी काकरोच एक सप्ताह या इससे अधिक दिनों तक जिंदा रह सकते हैं। इनकी मौत इसलिए होती है, क्योंकि मुंह के बिना ये पानी नहीं पी पाते और प्यास से मर जाते हैं।

इन्हें भी देखें

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  1. Gordh, G.; Headrick, D. H. (2009). A Dictionary of Entomology (2nd ed.). Wallingford: CABI. p. 200. ISBN 978-1-84593-542-9.
  2. McKittrick, F.A. (1965). "A contribution to the understanding of cockroach-termite affinities". Annals of the Entomological Society of America. 58 (1): 18–22. doi:10.1093/aesa/58.1.18. PMID 5834489.
  3. यादव, नारायण, रामनन्दन, विजय (मार्च २००३). अभिनव जीवन विज्ञान. कोलकाता: निर्मल प्रकाशन. पृ॰ ११३.
  4. बनर्जी, विवेकानंद (जुलाई २००४). इंटर प्राणिविज्ञान. पटना: भारती भवन. पृ॰ २३८.