कान्हेरी गुफाएँ

भारत के बम्बई शहर में स्थित प्राचीन गुफाएँ


कान्हेरी गुफाएँ मुंबई शहर के पश्चिमी क्षेत्र में बसे में बोरीवली के उत्तर में स्थित हैं। ये संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के परिसर में ही स्थित हैं और मुख्य उद्यान से ६ कि.मी. और बोरीवली स्टेशन से 7 कि.मी. दूर हैं। ये गुफाएं बौद्ध कला दर्शाती हैं। कान्हेरी शब्द कृष्णगिरी यानी काला पर्वत से निकला है।[1] इनको बड़े बड़े बेसाल्ट की चट्टानों से तराशा गया है।[2]

कान्हेरी का यह गिरिमंदिर मम्बई से लगभग 25 मील दूर सालसेट द्वीप पर अवस्थित पर्वत की चट्टान काटकर बना बौद्धों का चैत्य है। हीनयान संप्रदाय का यह चैत्यमंदिर आंध्रसत्ता के प्राय: अंतिम युगों में दूसरी शती ई. के अंत में निर्मित हुआ था। यह बना प्राय: कार्ले की परंपरा में ही हैं, उसी का सा इसका चैत्य हाल है, उसी के से स्तंभों पर युगल आकृतियों इसमें भी बैठाई गई हैं। दोनों में अतंर मात्र इतना है कि कान्हेरी की कला उतनी प्राणवान्‌ और शालीन नहीं जितनी कार्ली की है। कार्ले की गुफा से इसकी गुफा कुछ छोटी भी है। फिर, लगभग एक तिहाई छोटी यह गुफा अपूर्ण भी रह गई है। इसकी बाहरी दीवारों पर जो बुद्ध की मूर्तियाँ बनी हैं, उनसे स्पष्ट है कि इसपर महायान संप्रदाय का भी बाद में प्रभाव पड़ा और हीनयान उपासना के कुछ काल बाद बौद्ध भिक्षुओं का संबंध इससे टूट गया था जो गुप्त काल आते-आते फिर जुड़ गया, यद्यपि यह नया संबंध महायान उपासना को अपने साथ लिए आया, जो बुद्ध और बोधिसत्वों की मूर्तियों से प्रभावित है। इन मूर्तियों में बुद्ध की एक मूर्ति 25 फुट ऊँची है।

कान्हेरी के चैत्यमंदिर का प्लान प्राय: इस प्रकार है - चतुर्दिक्‌ फैली वनसंपदा के बीच बहती जलधाराएँ, जिनके ऊपर उठती हुई पर्वत की दीवार और उसमें कटी कन्हेरी की यह गहरी लंबी गुफा। बाहर एक प्रांगण नीची दीवार से घिरा है जिसपर मूर्तियाँ बनी हैं और जिससे होकर एक सोपानमार्ग चैत्यद्वार तक जाता है। दोनों ओर द्वारपाल निर्मित हैं और चट्टानी दीवार से निकली स्तंभों की परंपरा बनती चली गई है। कुछ स्तंभ अलंकृत भी हैं। स्तंभों की संख्या 34 है और समूची गुफा की लंबाई 86 फुट, चौड़ाई 40 फुट और ऊँचाई 50 फुट है। स्तंभों के ऊपर की नर-नारी-मूर्तियों को कुछ लोगों ने निर्माता दंपति होने का भी अनुमान किया है जो संभवत: अनुमान मात्र ही है। कोई प्रमाण नहीं जिससे इनको इस चैत्य का निर्माता माना जाए। कान्हेरी की गणना पश्चिमी भारत के प्रधान बौद्ध गिरिमंदिरों में की जाती है और उसका वास्तु अपने द्वार, खिड़कियों तथा मेहराबों के साथ कार्ली की शिल्पपरंपरा का अनुकरण करता है।

छविदीर्घा

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  1. "कन्हेरी गुफाएं". Archived from the original on 12 मई 2001. Retrieved 2007-01-28.
  2. "मुंबई की प्राचीन कान्हेरी गुफाएं". Archived from the original on 5 फ़रवरी 2008. Retrieved 2007-01-31. {{cite web}}: Unknown parameter |religion= ignored (help)

बाहरी कड़ियाँ

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