कार्तिक कृष्ण चतुर्थी
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी भारतीय पंचांग [1] के अनुसार आठवें माह की उन्नीसवी तिथि है, वर्षान्त में अभी १३१ तिथियाँ अवशिष्ट हैं।
पर्व एवं उत्सव
संपादित करेंपूूर्णिमान्त वर्षपद के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करक चतुर्थी व्रत किया जाता है। करक चतुर्थी को हिन्दी में करवा चौथ के नाम से जाना जाता है।[2] यतः वर्ष के प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ) के रूप में मनाया जाता है, अत: करक चतुर्थी भी एक प्रकार की संकष्टी चतुर्थी ही है। इस दिन को वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी व्रत कहते है।[3] इसलिये इस भगवान चन्द्रभाल गणेश और माता गौरी की (उमापति भगवान शङ्कर सङ्ग) उपासना की जाती है। कार्तिक मास में पड़ने के कारण इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा जाती है। रात्रि मेें चन्द्रदेेेव को अर्घ्य भी दिया जाता है। करक चतुर्थी पर भगवान के सोमस्कंदमूर्ति रूप को पूजा जाता है।
प्रमुख घटनाएँ
संपादित करेंजन्म
संपादित करेंनिधन
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंबाह्य कड़ीयाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 अक्तूबर 2016.
- ↑ Shukl, Prof Tribhuvannath (2020-09-29). Awadhi Lok Sahitya : Kala Evam Sanskriti. Vāṇī Prakāśana. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-89563-22-1.
- ↑ "Sankashti Chaturthi 2022: इस दिन रखा जाएगा कार्तिक मास का संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें तिथि और मुहूर्त". DNA Hindi. अभिगमन तिथि 2022-10-13.