कुमुद सोमकुवर पावड़े (जन्म 1938) एक भारतीय दलित कार्यकर्ता हैं। वह संस्कृत के पहले अम्बेडकरवादी विद्वान हैं। उनकी आत्मकथा एंटाह्सफोट में दलित महिलाओं के शोषण के मुद्दे पर चर्चा की गई है।[1] वह नेशनल फेडरेशन ऑफ दलित वुमन की संस्थापक सदस्य हैं।

उनका जन्म 1938 में महाराष्ट्र में एक महार दलित परिवार में हुआ था। बाद में वह बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गई। वह 14 अक्टूबर, 1956 को ऐतिहासिक धम्म दीक्षा समारोह ( बौद्ध धर्म में रूपांतरण) की गवाह भी बनी, क्योंकि उनके माता-पिता बाबासाहेब अंबेडकर के दलित बौद्ध आंदोलन का हिस्सा थे।[2] [3] उन्होने उस समय संस्कृत का अध्ययन किया जब अस्पृश्यता सर्व्याप्त थी और दलितों को बाधाओं का सामना करना पड़ता था; वह संस्कृत सीखने वाले पहले दलितों में से थी और संस्कृत पंडिता अर्थात संस्कृत की विद्वान बन गई[4][5] वह सरकारी कॉलेज, अमरावती, महाराष्ट्र में संस्कृत विभाग की प्रमुख थीं।[6][7]

संदर्भ संपादित करें

  1. "Dalit Lives Matter: 8 Dalit Women Activists You Must Know About". Geetika Sachdev. Yahoo. 14 October 2020. अभिगमन तिथि 15 November 2020.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 अप्रैल 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2021.
  3. https://indianexpress.com/article/gender/how-three-generations-of-dalit-women-writers-saw-their-identities-and-struggle-4984202/
  4. "Meet Dr Kumud Sonkuwar Pawde, Sanskrit Pandita And Dalit Activist". Kalwyna Rathod. Femina. 2 November 2020. अभिगमन तिथि 15 November 2020.
  5. "The Dalit girl who became a Sanskrit Pandita: the incredible story of Dr Kumud Sonkuwar Pawde". Sagarika Ghose. द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. 25 March 2019. अभिगमन तिथि 15 November 2020.
  6. "EVALUATION OF DALIT LITERATURE IN INDIA" (PDF). YESUPAKU DINESH. Pune Research. अभिगमन तिथि 15 November 2020.
  7. "Social, Economic and Political Reverberations of Untouchability: Kumud Pawde's "The Story of My Sanskrit"". Jayasree, K. IUP Journal of English Studies. मूल से 16 नवंबर 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 November 2020.