केनूद
केनूद भारत के मध्य प्रदेश राज्य में खंडवा जिले की पुनासा तहसील का एक गाँव है। गाँव की स्थापना जोराजी सिंह बादल ने की है। 8 अक्टूबर 1818 को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि को केनूद और चिराखान नामक दो गाँवों की स्थापना एक साथ हुई। यह जमीन ब्रिटिश राज से संस्थापक द्वारा खरीदी गई थी। वर्तमान में गाँव के अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं, रोजगार के लिए कुछ युवा शहरों और महानगरों में रहते हैं कुछ पास के शहर मूँदी और श्री सिंगाजी थर्मल पावर प्रोजेक्ट पर निर्भर हैं।[4]
केनूद । Kenud | |
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निर्देशांक: 22°05′11″N 76°26′48″E / 22.0864191°N 76.4466803°Eनिर्देशांक: 22°05′11″N 76°26′48″E / 22.0864191°N 76.4466803°E | |
देश | भारत |
राज्य | मध्य प्रदेश |
लोकसभा क्षेत्र | खंडवा (लोक सभा क्षेत्र) |
विधान क्षेत्र | मान्धाता (विधान सभा क्षेत्र) |
जिला | खंडवा जिला |
क्षेत्र | निमाड़ |
तहसील | पुनासा |
स्थापना | 8 अक्टूबर 1818 (नवमी तिथि, शारदीय नवरात्रि, शुक्ल पक्ष, आश्विन माह) |
संस्थापक | जोराजी सिंह बादल |
शासन | |
• प्रणाली | पंचायत राज |
• सभा | ग्राम पंचायत |
• विधायक | नारायण पटेल, (भाजपा)[1] |
• सांसद | ज्ञानेश्वर पाटिल, (भाजपा) |
• सरपंच | प्रहलाद झापु |
• पंचायत नाम | चिचली खुर्द |
जनसंख्या (2011) | |
• गाँव | 1,045[2][3] |
भाषा | |
• अधिकारीक | हिंदी |
• Regional | निमाड़ी, (हिंदी की बोली) |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
जलवायु | Cwa / Aw (Köppen) |
वर्षा | 945 मि॰मी॰ (37.2 इंच) |
औसत वार्षिक तापमान | 24.0 °से. (75.2 °फ़ै) |
औसत ग्रीष्मकालीन तापमान | 31 °से. (88 °फ़ै) |
औसत शीतकालीन तापमान | 17 °से. (63 °फ़ै) |
वेबसाइट | khandwa |
भूगोल
संपादित करेंकेनूद गाँव राज्य की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर से 120 किलोमीटर दूर है, और राज्य की राजधानी भोपाल से 228 किलोमीटर दूर है। इसके अतिरिक्त, यह खंडवा जिले के मुख्यालय से 35 किलोमीटर उत्तर में, तहसील मुख्यालय पुनासा से 30 किलोमीटर, मुंडी से 3 किलोमीटर और हनुवंतिया से 17 किलोमीटर दूर है।
इतिहास
संपादित करेंकेनूद गांव की स्थापना जोराजी सिंह बादल ने की थी। 8 अक्टूबर 1818 को नवमी तिथि को केनूद और चिराखान नामक दो गांवों की स्थापना एक साथ हुई। तारीख की गणना ज्योतिष शास्त्र के अनुसार की गयी है। निमाड मालवा के गांवों का स्थापना दिवस हिंदू कैलेंडर के आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि को गांव की भलाई के लिए संस्थापक परिवार द्वारा हनुमान मंदिर मे हवन ग्यारी करके मनाया जाता है। जिसको निमाड क्षेत्र मे नींबू कोल्हा (कद्दू) की नवमी भी कहा जाता है। और 1818 में नवमी तिथि 8 अक्टूबर को थी।
गाँव के संस्थापक परमार वंश के थे, परमार वंश प्राचीन क्षत्रिय अग्निवंशीय राजवंश है, जिसके बारे में कई इतिहासिक ग्रंथों से जानकारी प्राप्त होती है।
परमार वंश ने 8वीं से 14वीं शताब्दी तक शासन करते हुए धार, मालवा, निमाड़, उज्जयिनी, आबू पर्वत, अमरकोट, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों पर अपना विस्तार किया।
परमार वंश में कई प्रतापी एवं दयालु राजा हुऐ है जिनमें चक्रवती सम्राट विक्रमादित्य भी इसी वंश से थे, आगे राजा भोज जैसे प्रतापी और विद्वान राजाओं के नेतृत्व (1010-1060 ईस्वी) में, इस वंश ने कला, साहित्य, शिक्षा और स्थापत्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया।
आज भी, परमार वंश की विरासत कला, स्थापत्य, साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में देखी जा सकती है, और इसके वंशज "परमार" "पवार" "पोवार" 'पंवार" और "पोंवार" उपनाम धारण करते हैं।
14वीं शताब्दी में, पड़ोसी राजाओं ने दिल्ली सल्तनत के साथ गठबंधन करके परमार वंश के शासित क्षेत्रों पर आक्रमण किए। इन आक्रमणों का सामना करने में परमार वंश असमर्थ रहा, क्योंकि उनके पास आक्रमणकारी सेनाओं की तुलना में धन और सैन्य शक्ति कम थी। परिणामस्वरूप, परमार वंश का साम्राज्य बिखर गया और उन्होंने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में कई छोटी-छोटी रियासतों और गांवों की स्थापना की। ढोडवाड़ा उनमें से एक गांव था।[5][6][7]
ढोडवाडा गाँव 14वीं शताब्दी के बाद परमार वंश के लोगों द्वारा बसाए गए स्थानों में से एक था, जहां उन्हें अग्निवंशी क्षत्रिय राजपूत बादलिया पंवार के रूप में जाना जाता था।
17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य का भारतीय उपमहाद्वीप के एक बड़े हिस्से पर प्रभुत्व था। साम्राज्य औपचारिक रूप से 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के साथ अस्तित्व में था और 1818 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों पेशवा बाजीराव द्वितीय की हार के साथ समाप्त हुआ।
वर्ष 1818 में, जब मराठों ने निमाड़ क्षेत्र का शासन ब्रिटिश राज को सौंप दिया, तो ढोडवाड़ा गाँव के जमींदार, जोराजी सिंह बादल, जो कि कुँवरजी पंवार के पुत्र थे, ने अंग्रेजों से जमीन खरीदी और केनूद और चिराखान गाँवों की स्थापना की और अलग-अलग गांवों से अलग-अलग जाति के लोगों को वहां लाया गया और उन्हें घर और खेती के लिए मुफ्त जगह दी गई। वर्तमान में संस्थापक परिवार के वंशज बादल, पंवार और पटेल के नाम से जाने जाते हैं।[8]
आजादी से पहले इस गांव का मुखिया बादल परिवार होता था. स्वतंत्रता के बाद, जमींदारी प्रथा समाप्त कर दी गई, और गाँव पर सरकारी अधिकारियों का शासन होने लगा। 1992 में, भारत में गाँवों पर पंचायती राज व्यवस्था द्वारा शासन किया जाने लगा और वर्तमान में गाँव का मुखिया सरपंच होता है।
स्थलचिह्न
संपादित करें- माता मंदिर केनूद
- शिव मंदिर केनूद
- हनुमान मंदिर केनूद
- भीलट देव मंदिर केनूद
- श्री नृसिंह भगवान धाम आश्रम' केनूद
- केनूद तालाब[9][10] (पुनासा लिफ्ट सिंचाई योजना बीआर-2 केनूद तालाब)[11]
केनूद तालाब की कुछ झलकियां | ||||||
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शिक्षा
संपादित करेंकॉलेज
संपादित करें- सरकारी आई.टी.आई कॉलेज मूंदी
- लायंस कॉलेज मूंदी
- सरकारी डिग्री कॉलेज मूंदी
स्कूल
संपादित करें- शासकीय प्राथमिक विद्यालय केनूद
- शासकीय मध्य विद्यालय केनूद
- शासकीय बॉयज़ हायर सेकेंडरी स्कूल मूंदी
- शासकीय गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल मूंदी
- सेंट मैरी कॉन्वेंट हाई स्कूल मुंडी
- जनपद सेकेंडरी स्कूल मूंदी
- संत सिंगाजी हायर सेकेंडरी स्कूल मुंदी
- लायंस हायर सेकेंडरी स्कूल मूंदी
- आशा देवी पब्लिक स्कूल मुंदी
- सरस्वती विद्या मंदिर मुंदी
- मॉडल पब्लिक स्कूल मुंदी
- संस्कार पब्लिक स्कूल मुंदी
- सरस्वती शिशु विद्या मंदिर मूंदी
- रेवोत्तमा इंटरनेशनल स्कूल केनूद रोड मूंदी
स्वास्थ्य
संपादित करें- सरकारी अस्पताल मूंदी
- गुप्ता नर्सिंग होम मूंदी
- चरक अस्पताल मुंदी
परिवहन
संपादित करेंकेनूद[12] एसएच-41 (खंडवा-मूंदी-आष्टा राज्य राजमार्ग) और एसएच-41ए (ओंकारेश्वर-नर्मदानगर-पुनासा राज्य राजमार्ग) से जुड़ा हुआ है[13][14] यह इंदौर, खंडवा, भोपाल, बुरहानपुर, नागपुर और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। भारतीय रेलवे ने खंडवा जंक्शन को मुंदी से जोड़ने के लिए खंडवा-बीर यात्री मार्ग शुरू किया। दो सौ से अधिक बसें चलती हैं और राज्य के प्रमुख शहरों को सड़क संपर्क प्रदान करती हैं। मुंदी स्थानीय परिवहन प्रणाली में मिनी बसें शामिल हैं, और टेम्पो चालीस से अधिक आस-पास के गांवों को कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "MP Bypoll Results: MANDHATA CONSTITUENCY- Narayan Patel of BJP wins by 22,581 votes". www.freepressjournal.in.
- ↑ "Census of India Website : Office of the Registrar General & Census Commissioner, India". censusindia.gov.in.
- ↑ "Kenood Village Population, Caste - Punasa Khandwa, Madhya Pradesh - Census India". www.censusindia.co.in.
- ↑ "MPPGCL, An Undertaking Of The State Government, Invited Applications On The Demand Of Former MLA Narayan Patel". www.bhaskar.com.
- ↑ Trivedi, Harihar Vitthal (1991). "Inscriptions of the Paramāras, Chandēllas, Kachchapaghātas, and two minor dynasties".
- ↑ Bhanu, B. V. (2004). People of India Maharashtra. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788179911006.
- ↑ "History of Khandwa". www.khandwa.nic.in.
- ↑ "History of Madhya Pradesh". www.mp.gov.in.
- ↑ "केनूद तालाब में पानी खत्म, कुओं से हो रहा जल वितरण; एक दिन के अंतराल से मिल रहा". www.bhaskar.com.
- ↑ "सैकड़ों किसानों को नहीं मिल रहा पुनासा योजना का लाभ". www.naidunia.com.
- ↑ "Moondi News Mp News Full Grown Canned Pond Quenched Thirst For 4 Years". www.bhaskar.com.
- ↑ "Two Bikes Collided On The Kenud Route; Three Injured". www.bhaskar.com.
- ↑ "Madhya Pradesh RTE Portal-Schools eligible for Online Admissions-Revottama International School-Kenud Sanawad Road Mundi". www.educationportal.mp.gov.in.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "environmentclearance.nic.in/writereaddata/modification/Amendment/Attach_file-VILLAGES ALONG THE DIFFERENT ROUTES" (PDF). www.environmentclearance.nic.in.