कोयला
कोयला एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयला अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का 35% से 40% भाग कोयलें से प्राप्त होता हैं। कोयले से अन्य दहनशील तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किए जाते हैं। ऊर्जा के अन्य स्रोतों में पेट्रोलियम तथा उसके उत्पाद का नाम सर्वोपरि है। विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है।
- (1) ऐन्थ़्रसाइट(Anthracite)
अवसादी चट्टान | |
ऐन्थ़्रसाइट कोयला | |
बनावट | |
---|---|
मुख्य | कार्बन |
सहायक |
हाइड्रोजन सल्फ़र ऑक्सिजन नाइट्रोजन |
यह सबसे उच्च गुणवत्ता वाला कोयला माना जाता है क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा 80 से 95प्रतिशत तक पाई जाती है। यह कोयला मजबूत, चमकदार काला होता है। इसका प्रयोग घरों तथा व्यवसायों में स्पेस-हीटिंग के लिए किया जाता है।
- (2) बिटुमिनस (Bituminous)
यह कोयला भी अच्छी गुणवत्ता वाला माना जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा 77 से 80 प्रतिशत तक पाई जाती है। यह एक ठोस अवसादी चट्टान है, जो काली या गहरी भूरी रंग की होती है। इस प्रकार के कोयले का उपयोग भाप तथा विद्युत संचालित ऊर्जा के इंजनों में होता है। इस कोयले से कोक का निर्माण भी किया जाता है।
- (3) लिग्नाइट (Lignite)
यह कोयला भूरे रंग का होता है तथा यह स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक हानिकारक सिद्ध होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 28 से 30 प्रतिशत तक होती है। इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
- (4) पीट (Peat)
यह कोयले के निर्माण से पहले की अवस्था होती है। इसमें कार्बन की मात्रा 27 प्रतिशत से भी कम होती है। तथा यह कोयला स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक हानिकारक होता है। यह घरेलू ईंधन मे काम आता है ♠️
कोयला और पेट्रोलियम परतद्दार चटानो मे पाया जाता है
कोयले का सर्वाधिक उत्पादन झरिया, झारखण्ड मे किया जाता है
परिचय
संपादित करें'कोयला' ओर 'कोयल' दोनों संस्कृत के 'कोकिल' शब्द से निकले हैं। साधारणतया लकड़ी के अंगारों को बुझाने से बच रहे जले हुए अंश को 'कोयला' कहा जाता है। उस खनिज पदार्थ को भी कोयला कहते हैं जो संसार के अनेक स्थलों पर खानों से निकाला जाता है। पहले प्रकार के कोयले को लकड़ी का कोयला या काठ कोयला और दूसरे प्रकार के कोयले को 'पत्थर का कोयला' या केवल कोयला, कहते हैं। एक तीसरे प्रकार का भी कोयला होता है जो हड्डियों को जलाने से प्राप्त होता है। इसे हड्डी का कोयला या अस्थि कोयला कहते हैं।
तीनों प्रकार के कोयले महत्व के हैं और अनेक घरेलू कामों, रासायनिक क्रियाओं और उद्योगधंधों में प्रयुक्त होते हैं। कोयले का विशेष उपयोग ईंधन के रूप में होता है। कोयले के जलने से धुँआ कम या बिल्कुल नहीं होता। कोयले की आँच तेज और लौ साफ होती है तथा कालिख या कजली बहुत कम बनती है। कोयले में गंधक बहुत कम होता है और वह आग जल्दी पकड़ लेता है। कोयले में राख कम होती है और उसका परिवहन सरल होता है। ईंधन के अतिरिक्त कोयले का उपयोग रबर के सामानों, विशेषत: टायर, ट्यूब और जूते के निर्माण में तथा पेंट और एनैमल पालिश, ग्रामोफोन और फोनोग्राफ के रेकार्ड, कारबन, कागज, टाइपराइटर के रिबन, चमड़े, जिल्द बाँधने की दफ्ती, मुद्रण की स्याही और पेंसिल के निर्माण में होता है। कोयले से अनेक रसायनक भी प्राप्त या तैयार होते हैं। कोयले से कोयला गैस भी तैयार होती है, जो प्रकाश और ऊष्मा प्राप्त करने में आजकल व्यापक रूप से प्रयुक्त होती हैं।
कोयले की एक विशेषता रंगों और गैसों का अवशोषण है, जिससे इसका उपयोग अनेक पदार्थों, जैसे मदिरा, तेलों, रसायनकों, युद्ध और अश्रुगैसों आदि के परिष्कार के लिये तथा अवांछित गैसों के प्रभाव को कम या दूर करने के लिये मुखौटों (mask) में होता है। इस काम के लिये एक विशेष प्रकार का सक्रियकृत कोयला (ऐक्टिवेटेड कोल) तैयार होता है जिसकी अवशोषण क्षमता बहुत अधिक होती है। कोयला बारूद का भी एक आवश्यक अवयव है।
कोयला पत्थर और कोयला क्षेत्र
संपादित करेंआधुनिक युग में उद्योगों तथा यातायात के विकास के लिये पत्थर का कोयला परमावश्यक पदार्थ हैं। लोहे तथा इस्पात उद्योग में ऐसे उत्तम कोयले की आवश्यकता होती है जिससे कोक बनाया जा सके। भारत में साधारण कोयले के भंडार तो प्रचुर मात्रा में प्राप्त हैं, किंतु कोक उत्पादन के लिये उत्तम श्रेणी का कोयला अपेक्षाकृत सीमित है।
भारत में कोयला मुख्यत: दो विभिन्न युगों के स्तरसमूहों में मिलता है :
- पहला गोंडवाना युग (Gondwana Period) में, तथा
- दूसरा तृतीय कल्प (Tertiary Age) में।
इनमें गोंडवाना कोयला उच्च श्रेणी का होता है। इसमें राख की मात्रा अल्प तथा तापोत्पादक शक्ति अधिक होती है। तृतीय कल्प का कोयला घटिया श्रेणी का होता है। इसमें गंधक की प्रचुरता होने के कारण यह कतिपय उद्योगों में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।
भारत में गोंडवाना युग के प्रमुख क्षेत्र झरिया (झारखंड) तथा रानीगंज (बंगाल) में स्थित है। अन्य प्रमुख क्षेत्रों में बोकारो, गिरिडीह, करनपुरा, पेंचघाटी, उमरिया, सोहागपुर, सिगरेनी, कोठा गुदेम आदि उल्लेखनीय हैं। भारत में उत्पादित संपूर्णै कोयले का ७० प्रतिशत केवल झरिया और रानीगंज से प्राप्त होता है। तृतीय कल्प के कोयले, लिग्नाइट और बिटूमिनश आदि के निक्षेप असम, कश्मीर, राजस्थान, तमिलनाडू और गुजरात राज्यों में है।
मुख्य गोंडवाना विरक्षा (Exposures) तथा अन्य संबंधित कोयला निक्षेप प्रायद्वीपीय भारत में दामोदर, सोन, महानदी, गोदावरी और उनकी सहायक नदियों की घाटियों के अनुप्रस्थ एक रेखाबद्ध क्रम (linear fashion) में वितरित हैं।
कोयले की कहानी
संपादित करेंलगभग तीन सौ मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी पर निचले जलीय क्षेत्रों में घने वन थे।बाढ़ जैसे प्राकृतिक प्रक्रमों के कारण ये वन मृदा के नीचे दब गए।उनके ऊपर अधिक मृदा जम जाने के कारण वे संपिडित हो गये।जैसे-जैसे वे गहरे होते गये उनका ताप भी बढ़ता गया। उच्च ताप और उच्च दाब के कारण पृथ्वी के भीतर मृत पेड़ पौधे धीरे धीरे कोयले में परिवर्तित हो गये। कोयले में मुख्य रूप से कार्बन होता है।मृत वनस्पति के धीमे प्रक्रम द्वारा कोयले में परिवर्तन को कार्बनीकरण कहते हैं। क्योंकि वह वनस्पति के अवशेषों से बना है अतः कोयले को जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं।
संरचना
संपादित करेंकोयले में मुख्यतः कार्बन तथा उसके यौगिक रहते है। कार्बन तथा हाइड्रोजन के अतिरिक्त नाईट्रोजन, ऑक्सीजन तथा गंधक (Sulphur) भी रहते हैं। इसके अतिरिक्त फॉस्फोरस तथा कुछ अकार्बनिक द्रव्य भी पाया जाता है।
कोयले के प्रकार
संपादित करेंनमीरहित कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयले को निम्नलिखित चार प्रकारो मे बांटा गया हैं -
- एन्थ्रेसाइट (94-98%)
- बिटूमिनस (78-86%)
- लिग्नाइट (28-30%)
- पीट (27%)
भंजक आसवन
संपादित करेंहवा की ग़ैरमौज़ूदग़ी में 1000-1400 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करने पर कोलतार, कोल गैस, अमोनिया प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया को कोयले का भंजक आसवन कहते हैं।
कोयले के स्रोत
संपादित करेंखानों से निकाले जाने वाला यह शक्तिप्रदायक खनिज मुख्यतः - चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया तथा भारत में पाया जाता है। भारत में यह मुख्यतः झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल आंध्र प्रदेश/तेलंगाना एवं तमिनाडु में पाया जाता है। जनवरी 2000 में किए गए आकलन के अनुसार भारत की खानों में कुल 211.5 अरब टन कोयले का भंडार है।
भारत में वाणिज्यिक कोयला खनन का इतिहास लगभग 220 वर्ष पुराना है जिसकी शुरूआत दामोदर नदी के पश्चिमी तट पर स्थित रानीगंज कोलफील्ड में ईस्ट इंडिया कंपनी के मैसर्स सुमनेर और हीटली द्वारा 1774 को की गयी थी। तथापि, एक शताब्दी तक भारतीय कोयला खनन का विकास मांग की कमी के कारण मंदा रहा, लेकिन 1853 में वाष्पचालित रेलगाड़ी के आने से इसे बढ़ावा मिला।[1]
केन्द्र सरकार ने इन्हीं कारणों से निजी कोयला खानों के राष्ट्रीयकरण का निर्णय लिया। राष्ट्रीयकरण दो चरणों में किया गया-पहले कोककर कोयला खानों का 1971-72 में और तब 1973 में अकोककर कोयला खानों का।[2]
स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी
संपादित करेंकोयला एक जीवाश्म ईंधन है जो मुख्य रूप से कार्बनों तथा हाइड्रोकार्बनों से बना है। बिज़ली उद्योग में इसका बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है। इसे जलाकर वाष्प बनाई जाती है जो टर्बाइनों को घुमाकर बिज़ली तैयार करती है। जब इसको जलाया जाता है तो इससे उत्सर्जन होता है जो प्रदूषण और वैश्विक तापन को बढ़ाता है। भारत सहित कई देशों में बिज़ली का उत्पादन मुख्य रूप से कोयले पर निर्भर है इसलिए सरकार स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी पर जोर दे रही है। इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से कोयले को स्वच्छ बनाकर और उसके उत्सर्जन को नियंत्रित करके पर्यावरण पर पड़ने वाले कुप्रभावों को कम किया जा सकता है।
स्वच्छ कोयला प्रौद्यांगिकी में कोयले की धुलाई, कोल बेड मीथेन/कोल माइन मीथेन निष्कर्षण, भूमिगत कोयले को गैस उपचारित करना एवं कोयले का द्रवीकरण करना आदि शामिल है।
कोयला प्रक्षालन
संपादित करेंपर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशानिर्देंशों के अनुसार 34 प्रतिशत से अधिक राख वाले कोयले का उपयोग उन थर्मल पावर स्टेशनों में मना किया गया है जो लदान केन्द्रों से दूर तथा अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में हैं। ऐसे में प्रक्षालित कोयले का इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण हो गया है। इससे ऐसे पावर स्टेशनों के संचालन से संबंधित खर्च में भी कमी आती है। धुले कोयले की आपूर्ति 10वीं पंचवर्षीय योजना के आरंभ में 170 लाख टन थी जो इस योजना के अंत में बढ़कर 550 लाख टन हो गई। 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक इसके 2500 लाख टन होने की संभावना है।
थर्मल पावर स्टेशनों के लिए कोयला धुलाई केंद्रों की मौजूदा क्षमता 1080 लाख टन है जिसे इस अवधि में बढ़ाकर 2500 लाख टन करने की कोशिश की जा रही है। इसमें से अधिकतर निजी क्षेत्र से संबंधित हैं। इसके अलावा कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी ने भी अपनी खदानों से धुले कोयले की आपूर्ति करने का फैसला किया है। इसके लिए वह 20 कोयला धुलाई केंद्रों का निर्माण करेगी जिनकी क्षमता 1110 लाख टन होगी। 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक इन केंद्रों के शुरू होने की संभावना है।
सीबीएम तथा सीएमएम
संपादित करेंजो मिथेन गैस कोयले की अनछुई परतों से निकाली जाती है उसे कोल बेड मीथेन (सीबीएम) कहते हैं और जो चालू खदानों से निकाली जाती है उसे कोल माइन मीथेन (सीएमएम) कहते हैं। कोल बेड मीथेन तथा कोल माइन मीथेन के विकास को भारत सरकार ने 1997 में एक नीति के ज़रिए बढ़ावा दिया था। इस नीति के अनुसार कोयला मंत्रालय तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय दोनों मिलकर कार्य कर रहे हैं। सरकार ने वैश्विक बोली के तीन दौरों के ज़रिए कोल बेड मीथेन के लिए 26 ब्लॉकों की बोली लगाई थी। इनका कुल क्षेत्र 13,600 वर्ग किलोमीटर है और इसमें 1374 अरब घनमीटर गैस भंडार होने की संभावना है। वर्ष 2007 में रानीगंज कोयला क्षेत्र के एक ब्लॉक में वाणिज्यिक उत्पादन आरंभ कर दिया गया था और दो केंद्रों में भी उत्पादन जल्द ही आरंभ हो जाएगा। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत हाइड्रोकार्बन महानिदेशक (डीजीएच) कोल बेड मिथेन संबंधी गतिविधियों के लिए विनियामक की भूमिका निभाता है। डीजीएच ने सीबीएम-4 के तहत 10 नये ब्लॉकों की पेशकश की है।
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड में भूमिगत बोरहोल के ज़रिए यूएनडीपी#ग्लोबल एन्वायरमेंटल फेसिलिटी के साथ मिलकर भारत कोकिंग कोल लिमिटेड में भूमिगत बोरहालों के माध्यम सीएमएम की एक प्रदर्शनात्मक परियोजना को लागू किया गया है। इस परियोजना में कोल बेड मीथेन को एक ऊर्ध्वाधर बोर के ज़रिए प्राप्त किया गया है जहां 500 कि.वाट बिजली पैदा होती है और उसे बीसीसीएल को आपूर्ति की जाती है।
हाल ही में संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण अभिकरण के सहयोग से सीएमपीडीआईएल, रांची में सीबीएमसीएमएम निपटारा केन्द्र स्थापित किया गया है जो भारत में कोल बेड मीथेनकोल माइन मीथेन के विकास के लिए आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराएगा।
भूमिगत कोयला गैसीकरण (यूसीजी)
संपादित करेंभूमिगत कोयला गैसीकरण अप्रयुक्त कोयले को दहनशील गैस में बदलने की प्रक्रिया है। यह गैस उद्योगों, विद्युत उत्पादन तथा हाइड्रोजन सिंथेटिक प्राकृतिक गैस एवं डीजल ईंधन के निर्माण में इस्तेमाल की जा सकती है। भूमिगत गैसीकरण में उन कोयला भंडारों का दोहन करने की क्षमता है जिनका निष्कर्षण आर्थिक दृष्टि से मंहगा है या जो गहराई प्रतिकूल भूगर्भीय स्थिति सुरक्षा की दृष्टि से निष्कर्षण के लायक नहीं है।
भूमिगत कोयला गैसीकरण की महत्ता तथा योजना आयोग की समेकित ऊर्जा समिति एवं कोयला क्षेत्र में सुधार के लिए रोडमेप पर टीएल शंकर समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कोयला गैसीकरण अधिसूचना जारी की है जिसमें खनन नीति के तहत भू एवं भूमिगत गैसीकरण को भी शामिल किया गया है।
कोल इंडिया लिमिटेड ने अपनी साझीदार कंपनियों के साथ मिलकर सीसीएल कमांड एरिया में रामगढ काेलफील्ड के कैथा ब्लाक तथा पश्चिमी कोल फील्ड लिमिटेड कमांड एरिया में पेंच कोलफील्ड के थेसगोड़ा ब्लाक में यूसीजी के विकास के लिये दो स्थल चिन्हित किए हैं। साझीदार कंपनियों के चयन के संबंध में शीघ्र ही आशय पत्र जारी किए जाएंगे।
इसके अतिरिक्त 5 लिंग्नाइट और 2 कोयला खंड भी यूसीजी के विकास के वास्ते भावी उद्यमियों को दिये जाने के लिए चिन्हित किए गए हैं।
कोयला के लिए एस एंड टी कार्यक्रम के तहत सरकार ने राजस्थान के लिए एक यूसीजी परियोजना मंजूर की है जिसका क्रियान्वयन एनएलसी करेगा। एनएलसी ने इस परियोजना के लिए अभी सलाहकार अंतिम रूप से तय नहीं किए हैं।
कोयला द्रवीकरण
संपादित करेंऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से देश में कोयला द्रवीकरण को बढावा देने के लिए नीतिगत निर्णय लिया गया है। गजट अधिसूचना जारी की गई है जिसमें कैप्टिव कोयलालिग्नाइट ब्लाकों के उन उद्यमियों को कोयला द्रवीकरण के बारे में जानकारी दी गई है जिन्हें इसे आबंटित किया जाना है। कोयला मंत्रालय के अंतर-मंत्रालीय समूह की सिफारिशों के आधार पर कोयला मंत्रालय ने तलचर कोल फील्ड के दो कोयला ब्लाकों क्रमश: मैसर्स स्ट्रैटेजिक इनर्जी टेक्नोलोजी सिस्टम लिमिटेड (एसईटीएल) तथा मैसर्स जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) को आवंटित किए हैं। मैसर्स एसईटीएल को उत्तरी अर्खा पाल श्रीरामपुर खंड तथा मैसर्स जेएसपीएल को रामचांदी खंड आवंटित किए गए हैं। हर परियोजना की प्रस्तावित उत्पादन क्षमता 80000 बैरल तेल प्रतिदिन है। प्रस्तावित तेल उत्पादन सात वषों में शुरू हो जाएगा।
कोयले के आरक्षित भण्डार
संपादित करेंदेश | एन्थ्रेसाइट एवं बिटुमिनस | सब-बिटुमिनस | लिग्नाइट | कुल | सकल विश्व का प्रतिशत |
---|---|---|---|---|---|
United States | 108,501 | 98,618 | 30,176 | 237,295 | 22.6 |
Russia | 49,088 | 97,472 | 10,450 | 157,010 | 14.4 |
China | 62,200 | 33,700 | 18,600 | 114,500 | 12.6 |
Australia | 37,100 | 2,100 | 37,200 | 76,400 | 8.9 |
India | 56,100 | 0 | 4,500 | 60,600 | 7.0 |
Germany | 99 | 0 | 40,600 | 40,699 | 4.7 |
Ukraine | 15,351 | 16,577 | 1,945 | 33,873 | 3.9 |
Kazakhstan | 21,500 | 0 | 12,100 | 33,600 | 3.9 |
South Africa | 30,156 | 0 | 0 | 30,156 | 3.5 |
Serbia | 9 | 361 | 13,400 | 13,770 | 1.6 |
Colombia | 6,366 | 380 | 0 | 6,746 | 0.8 |
Canada | 3,474 | 872 | 2,236 | 6,528 | 0.8 |
Poland | 4,338 | 0 | 1,371 | 5,709 | 0.7 |
Indonesia | 1,520 | 2,904 | 1,105 | 5,529 | 0.6 |
Brazil | 0 | 4,559 | 0 | 4,559 | 0.5 |
Greece | 0 | 0 | 3,020 | 3,020 | 0.4 |
Bosnia and Herzegovina | 484 | 0 | 2,369 | 2,853 | 0.3 |
Mongolia | 1,170 | 0 | 1,350 | 2,520 | 0.3 |
Bulgaria | 2 | 190 | 2,174 | 2,366 | 0.3 |
Pakistan | 0 | 166 | 1,904 | 2,070 | 0.3 |
Turkey | 529 | 0 | 1,814 | 2,343 | 0.3 |
Uzbekistan | 47 | 0 | 1,853 | 1,900 | 0.2 |
Hungary | 13 | 439 | 1,208 | 1,660 | 0.2 |
Thailand | 0 | 0 | 1,239 | 1,239 | 0.1 |
Mexico | 860 | 300 | 51 | 1,211 | 0.1 |
Iran | 1,203 | 0 | 0 | 1,203 | 0.1 |
Czech Republic | 192 | 0 | 908 | 1,100 | 0.1 |
Kyrgyzstan | 0 | 0 | 812 | 812 | 0.1 |
Albania | 0 | 0 | 794 | 794 | 0.1 |
North Korea | 300 | 300 | 0 | 600 | 0.1 |
New Zealand | 33 | 205 | 333-7,000 | 571–15,000[4] | 0.1 |
Spain | 200 | 300 | 30 | 530 | 0.1 |
Laos | 4 | 0 | 499 | 503 | 0.1 |
Zimbabwe | 502 | 0 | 0 | 502 | 0.1 |
Argentina | 0 | 0 | 500 | 500 | 0.1 |
All others | 3,421 | 1,346 | 846 | 5,613 | 0.7 |
World Total | 404,762 | 260,789 | 195,387 | 860,938 | 100 |
प्रमुख कोयला उत्पादक देश
संपादित करेंदेश | 2003 | 2004 | 2005 | 2006 | 2007 | 2008 | 2009 | 2010 | 2011 | Share | Reserve Life (years) |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
China | 1834.9 | 2122.6 | 2349.5 | 2528.6 | 2691.6 | 2802.0 | 2973.0 | 3235.0 | 3520.0 | 49.5% | 35 |
United States | 972.3 | 1008.9 | 1026.5 | 1054.8 | 1040.2 | 1063.0 | 975.2 | 983.7 | 992.8 | 14.1% | 239 |
India | 375.4 | 407.7 | 428.4 | 449.2 | 478.4 | 515.9 | 556.0 | 573.8 | 588.5 | 5.6% | 103 |
European Union | 637.2 | 627.6 | 607.4 | 595.1 | 592.3 | 563.6 | 538.4 | 535.7 | 576.1 | 4.2% | 97 |
Australia | 350.4 | 364.3 | 375.4 | 382.2 | 392.7 | 399.2 | 413.2 | 424.0 | 415.5 | 5.8% | 184 |
Russia | 276.7 | 281.7 | 298.3 | 309.9 | 313.5 | 328.6 | 301.3 | 321.6 | 333.5 | 4.0% | 471 |
Indonesia | 114.3 | 132.4 | 152.7 | 193.8 | 216.9 | 240.2 | 256.2 | 275.2 | 324.9 | 5.1% | 17 |
South Africa | 237.9 | 243.4 | 244.4 | 244.8 | 247.7 | 252.6 | 250.6 | 254.3 | 255.1 | 3.6% | 118 |
Germany | 204.9 | 207.8 | 202.8 | 197.1 | 201.9 | 192.4 | 183.7 | 182.3 | 188.6 | 1.1% | 216 |
Poland | 163.8 | 162.4 | 159.5 | 156.1 | 145.9 | 144.0 | 135.2 | 133.2 | 139.2 | 1.4% | 41 |
Kazakhstan | 84.9 | 86.9 | 86.6 | 96.2 | 97.8 | 111.1 | 100.9 | 110.9 | 115.9 | 1.5% | 290 |
World Total | 5,301.3 | 5,716.0 | 6,035.3 | 6,342.0 | 6,573.3 | 6,795.0 | 6,880.8 | 7,254.6 | 7,695.4 | 100% | 112 |
कोयले के प्रमुख उपभोक्ता देश
संपादित करेंCountry | 2008 | 2009 | 2010 | 2011 | Share |
---|---|---|---|---|---|
China | 2,966 | 3,188 | 3,695 | 4,053 | 50.7% |
United States | 1,121 | 997 | 1,048 | 1,003 | 12.5% |
India | 641 | 705 | 722 | 788 | 9.9% |
Russia | 250 | 204 | 256 | 262 | 3.3% |
Germany | 268 | 248 | 256 | 256 | 3.3% |
South Africa | 215 | 204 | 206 | 210 | 2.6% |
Japan | 204 | 181 | 206 | 202 | 2.5% |
Poland | 149 | 151 | 149 | 162 | 2.0% |
World Total | 7,327 | 7,318 | 7,994 | N/A | 100% |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "History of Coal Mining".
- ↑ "history-background".
- ↑ World Energy Council – Survey of Energy Resources 2010. (PDF) . Retrieved on 24 अगस्त 2012.
- ↑ Sherwood, Alan and Phillips, Jock. Coal and coal mining – Coal resources Archived 2010-11-27 at the वेबैक मशीन, Te Ara – the Encyclopedia of New Zealand, updated 2009-03-02
- ↑ "BP Statistical review of world energy 2012" (XLS). British Petroleum. मूल से 19 जून 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अगस्त 2011.
- ↑ EIA International Energy Annual – Total Coal Consumption (Thousand Short Tons) Archived 2016-02-09 at the वेबैक मशीन. Eia.gov. Retrieved on 2013-05-11.