कोहिमा
कोहिमा (Kohima) भारत के नागालैण्ड राज्य के कोहिमा ज़िले में स्थित एक नगर है और उस राज्य की राजधानी है।[1]
कोहिमा Kohima | ||||
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(ऊपर) रात्रि में कोहिमा, (नीचे) राज्य संग्रहालय | ||||
निर्देशांक: 25°40′12″N 94°06′29″E / 25.670°N 94.108°Eनिर्देशांक: 25°40′12″N 94°06′29″E / 25.670°N 94.108°E | ||||
देश | ![]() | |||
प्रान्त | नागालैण्ड | |||
ज़िला | कोहिमा ज़िला | |||
जनसंख्या (2011) | ||||
• कुल | 99,039 | |||
भाषा | ||||
• प्रचलित | अंगामी, नागामी | |||
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) | |||
पिनकोड | 797001 | |||
दूरभाष कोड | 91 (0)370 | |||
वाहन पंजीकरण | NL-01 | |||
लिंगानुपात | 927 ♂/♀ | |||
वेबसाइट | kohima |
विवरणसंपादित करें
कोहिमा एक सुन्दर शहर है। कोहिमा में अधिकतर नागा समुदाय के लोग रहते हैं। सांस्कृतिक दृश्यों व अनुभवों के अलावा पर्यटक यहां पर कई बेहतरीन और ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों की सैर भी कर सकते हैं। इनमें राज्य संग्राहलय, एम्पोरियम, नागा हेरिटेज कॉम्पलैक्स, कोहिमा गांव, दजुकोउ घाटी, जप्फु चोटी, त्सेमिन्यु, खोनोमा गांव, दज्युलेकी और त्योफेमा टूरिस्ट गांव प्रमुख हैं। यह सभी पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं क्योंकि इनकी खूबसूरत उन्हें मंत्रमुग्ध कर देती है।
भूगोलसंपादित करें
कोहिमा की औसत ऊंचाई है 1261 मीटर (4137 फीट)।
प्रमुख आकर्षणसंपादित करें
समाधियांसंपादित करें
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों ने नागालैंड पर हमला किया था। इस हमले में बड़ी संख्या में सैनिक और अधिकारी मारे गए थे। हमले में मारे गए सैनिकों को गैरीसन हिल पर दफनाया गया था। वहां पर सैनिकों को समर्पित 1421 समाधियों का निर्माण किया गया है। स्थानीय निवासी शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए नियमित रूप से यहां आते हैं। स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पर्यटकों में भी यह समाधियां काफी लोकप्रिय हैं और कोहिमा आने वाले पर्यटक इन समाधियों के दर्शन जरूर करते हैं।
कोहिमा चर्चसंपादित करें
नागालैंड की राजधानी कोहिमा में पर्यटक एशिया के सबसे बड़े चर्च को देख सकते हैं।[तथ्य वांछित] यह चर्च काफी बड़ा है और कोहिमा की पहचान बन चुका है। इस चर्च में लगभग 3,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है और यह लगभग 25,000 वर्ग फीट में फैला है। चर्च में बेथलेहम जैतुन की लकड़ी से बनी सुन्दर नाद देखी जा सकती। यह नाद चर्च की खूबसूरती को कई गुना बड़ा देती है। पर्यटकों को यहां पर आकार बहुत अच्छा लगता है क्योंकि यहां प्रार्थना करने के बाद उन्हें शांति का अहसास होता है।
संग्राहलयसंपादित करें
नागा आदिवासियों की संस्कृति से जुड़े कोई विशेष दस्तावेज नहीं मिलते लेकिन उनकी संस्कृति और इतिहास काफी रोचक है। नागालैंड सरकार ने बयावी पहाड़ी पर संग्राहलय का निर्माण कराया है। इस संग्राहलय में नागालैंड की संस्कृति और इतिहास से जुड़ी अनेक वस्तुओं को देखा जा सकता है। इन वस्तुओं में कीमती रत्नों, हाथी दांत व मोतियों से बना हार, लकड़ी और भैंस के सींगों से बने वाद्ययंत्र तथा अन्य वस्तुएं प्रमुख हैं। कला प्रेमियों के लिए इस संग्राहलय में आर्ट गैलरी भी बनाई गई हैं। इसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाई गई खूबसूरत पेंटिंग्स को देखा और खरीदा जा सकता है।
नागा हेरिटेज कॉम्पलैक्ससंपादित करें
नागालैंड सरकार ने 1 दिसम्बर 2003 को इस कॉम्पलैक्स का उदघाटन किया था। यहां पर प्रतिवर्ष हॉरनबिल उत्सव मनाया जाता है। उत्सव के अलावा यहां पर नागालैंड का छोटा प्रतिरूप देखा जा सकता है। कॉम्पलैक्स में द्वितीय युद्ध की घटनाओं से जुड़े संग्रहालय, खरीदारी के लिए दुकानों, खाने-पीने के लिए रेस्तरां और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एम्फीथियेटर का निर्माण किया गया है। इन सबके अलावा यहां पर फूलों के बगीचे के मनोरम दृश्य भी देखे जा सकते हैं। यह कॉम्पलैक्स बहुत खूबसूरत है और पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है।
कोहिमा गांवसंपादित करें
कोहिमा गांव को एशिया में सबसे घनी आबादी वाला गांव माना जाता है। इसकी स्थापना व्हिनुओ नामक व्यक्ति ने की थी। इस गांव को भूतकाल और भविष्यकाल का संगम माना जाता है। यह कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां पर सात झीलें और सात द्वार थे। लेकिन एक द्वार को छोड़कर यह सभी गायब हो चुके हैं। यह द्वार बहुत सुन्दर है और इस को भैंस के सींगो व विभिन्न आकार के पत्थरों से सजाया गया है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। पर्यटकों को यह बहुत पसंद आता है और वह इसकी खूबसूरत तस्वीरों को अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं।
दजुकोउ घाटी और जप्फु चोटीसंपादित करें
कोहिमा की दक्षिण दिशा में 30 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित दजुकोउ घाटी बहुत खूबसूरत है। अपनी खूबसूरती के दम पर इसने पर्यटकों के बीच खास पहचान बनाई हैं। यहां पर पर्यटक विभिन्न रंगों और आकार के खूबसूरत फूलों को देख सकते हैं। इन फूलों में एकोनिटम और एन्फोबियस प्रमुख हैं। दजुकोउ घाटी के खूबसूरत दृश्य देखने के बाद जप्फु चोटी के मनोहारी दृश्य देखे जा सकते हैं। यह चोटी सदाबहार जंगलों से भरी पड़ी है। इन जंगलों में सबसे ऊंचे वृक्ष को देखा जा सकता है। अपनी इस विशेषता के कारण इस पेड़ को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्डस में शामिल किया गया है।
आवागमनसंपादित करें
- वायु मार्ग
नागालैंड के दीमापुर विमानक्षेत्र में हवाई अड्डे का निर्माण किया गया है। यहां से कोहिमा तक पहुंचना काफी आसान है।
रेल मार्गसंपादित करें
हवाई अड्डे के अलावा दीमापुर में रेलवे स्टेशन का भी निर्माण किया गया है। दीमापुर से कोहिमा मात्र 74 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है।
सड़क मार्गसंपादित करें
कोहिमा बस अड्डा नागालैंड का सबसे व्यस्तम बस अड्डा है। यहां से नागालैंड के विभिन्न स्थानों के लिए बसों का परिचालन किया जाता है। बसों के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 39 से निजी वाहनों द्वारा भी कोहिमा तक पहुंचा जा सकता है।
चित्रदीर्घासंपादित करें
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ "Mountains of India: Tourism, Adventure and Pilgrimage," M.S. Kohli, Indus Publishing, 2002, ISBN 9788173871351