खड़ोतिया
खड़ोतिया, मध्यप्रदेश के इंदौर जिले की देपालपुर तहसील का एक मध्यम आकार का गांव है, जहाँ लगभग 117 परिवार निवास करते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार गांव की जनसंख्या 651 है, जिसमें से 332 पुरुष और 319 महिलाएँ हैं। [1]
खड़ोतिया | |
---|---|
गाँव | |
उपनाम: ठिकाना खड़ोतिया | |
देश | भारत |
राज्य | मध्य प्रदेश |
जिला | इंदौर |
तहसील | देपालपुर |
ग्राम पंचायत | देवराखेड़ी |
स्थापना | 1247 ईस्वी (संवत् १३०४) |
संस्थापक | पँवार राजपूत |
शासन | |
• प्रणाली | ग्राम पंचायत |
• सरपंच | कैलाश प्रजापत |
क्षेत्रफल(वर्ग किमी) | |
• कुल | 3.763600 किमी2 (1.453134 वर्गमील) |
ऊँचाई(मीटर) | 497 मी (1,631 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 651 |
• घनत्व | 170 किमी2 (450 वर्गमील) |
भाषा | |
• बोलचाल | मालवी |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
पिन | 453115 |
STD कोड | 07322 |
वाहन पंजीकरण | MP09 |
खड़ोतिया,मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले में स्थित लगभग 770 वर्ष पुराना गाँव है।गांव जिला मुख्यालय इंदौर से 36 किलोमीटर दूर, देपालपुर से 17 किलोमीटर और राज्य की राजधानी भोपाल से 212 किलोमीटर दूर स्थित है।खड़ोतिया मुख्यतः रामसा पीर मंदिर,श्री आदिनाथ केशवर्णा मन्दिर,एवम् होली पर प्रतिवर्ष आयोजित मेले के लिए जाना जाता है।
भूगोल
संपादित करेंखड़ोतिया,मालवा पठार के दक्षिणी किनारे पर मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। यह गंभीर नदी के पश्चिमी तट पर स्थित हैं,जो केवल वर्षा ऋतु में बहती है।समुद्र तल से औसत ऊंचाई ४९७.०० मीटर है। मिट्टी काफी हद तक काले रंग की है। क्षेत्र के अंतर्निहित चट्टान काली बेसाल्ट से बनी है, और उनके अम्लीय और बुनियादी वेरिएंट क्रीटेशयस युग तक जाते हैं। इस क्षेत्र को भारत के भूकंपीय जोन तृतीय क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसके अनुसार रिक्टर पैमाने पर ६.५ व ऊपर की तीव्रता के एक भूकंप उम्मीद की जा सकती है।
पश्चिम में देवराखेड़ी,उत्तर में रुद्राख्या,दक्षिण में उजालिया एवम् पूर्व में नदी के पूर्वी तट पर खतेड़िया से इसकी सीमायें लगी हुई हैं।
इतिहास
संपादित करेंखड़ोतिया की स्थापना संवत् १३०४ (सन् 1247) में सल्तनत काल में हुई थी,जिसे पलदूना[2] से आये पँवार राजपूतों ने बसाया था।इसके पूर्व यहां रंगारा जनजाति के लोग निवास करते थे जो युद्ध के पश्चात यहां से पलायन कर गए। इसके अलावा यहां के इतिहास पर जैन अवलम्बियों का भी प्रभाव रहा है।
गमनागमन
संपादित करेंवायु मार्ग से
यह गाँव देवी अहिल्या विमानक्षेत्र से केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में स्थित है।
सड़क मार्ग से
खड़ोतिया, इंदौर से 30 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। सड़क मार्ग से इंदौर >> हातोद >> मिर्ज़ापुर >> उजालिया होते हुए पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग से
सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन अजनोद रेलवे स्टेशन (8 किलोमीटर) है।
अर्थव्यवस्था
संपादित करेंअधिकांश जनसंख्या प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। वर्षा की अधिकता,मिट्टी का उपजाऊपन और भूमिगत जल स्तर ऊपर होने के कारण वर्ष में दो फसलें उगाई जाती हैं,कुछ कृषक साल में तीन फसलें भी ऊगा लेते हैं।
वर्षाऋतु में केवल सोयाबीन की फसल उगाई जाती है जबकि रबी की फसल में गेंहू,चना,लहसुन एवं आलू प्रमुखता से उगाये जाते हैं।
कुछ कृषक ग्रीष्मकाल में मूंग,कद्दू,प्याज,धनिया आदि की फसल भी लेते हैं।
दुग्ध उत्पादन भी ग्रामीणों की आय का स्रोत है।प्रत्येक कृषक परिवार के पास न्यूनतम तीन अथवा चार मवेशी हैं,परन्तु उनका पालन आज भी पारम्परिक तरीके से ही किया जा रहा है।
संस्कृति
संपादित करेंराजपूतों के बहुसंख्यक होने के कारण यहां की संस्कृति में राजपूताने और मालवा की संस्कृति का मिला-जुला रूप देखने को मिलता है। सामान्य बोलचाल की भाषा मालवी है।
प्रमुख त्यौहार-
जमरा
संपादित करेंइस दिन सभी ग्रामीण कृष्ण मंदिर में एकत्रित होकर एक दुसरे पर रंग उड़ाते;नाचते गाते हुए श्री कृष्ण की पालकी को इमलीवाड़ी(मेला क्षेत्र)तक ले जाते हैं,तत्पश्चात मेले में खरीददारी शुरू करते हैं।
भादवी बीज
संपादित करेंभाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वितीया को लोकदेवता रामसापीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
माता पूजन
संपादित करेंनवरात्र के दौरान अश्विन शुक्ल पंचमी को समस्त ग्रामीण और गाँव के वंशज यहाँ आकर माता पूजन करते हैं।
डोल ग्यारस
संपादित करेंडोल ग्यारस पर्व भादौ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। कृष्ण जन्म के 11वें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को 'डोल ग्यारस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण की मूर्ति को पालकी में बिठाकर ग्राम भ्रमण पर ले जाया जाता जाता है।
रामसा पीर मन्दिर
संपादित करेंश्री केशवर्णा आदिनाथ जैन मंदिर
संपादित करेंखड़ोतिया में ऋषभ धर्मचक्र विहार ट्रस्ट द्वारा भव्य जैन तीर्थ का निर्माण किया गया है। 2011 में यहाँ पर नवनिर्मित भव्य जिनालय में 540 वर्ष पुरानी प्रतिष्ठित 'श्री केशरवर्णा आदिनाथ भगवान' की मूर्ति का मंगल प्रवेश समारोह हुआ। ट्रस्ट के डॉ॰ अनिल जैन (बाफना) के अनुसार यहाँ आधुनिक धर्मशाला, बगीचों, उपाश्रय आदि बनाये गए हैं। पंन्यास प्रवर वीररत्नविजयजी की निश्रा में यह मंदिर निर्मित किया गया है। [3]
वार्षिक मेला
संपादित करेंखड़ोतिया में होली के अगले दो दिनों तक मेले का आयोजन होता है जिसमे स्थानीय ग्रामीण व आस-पास के गाँवों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2017.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2017.
- ↑ जैन तीर्थ खड़ोतिया[मृत कड़ियाँ]