ख़िलाफ़त
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मुहम्मद साहब की मृत्यु के पश्चात् इस्लाम के प्रमुख को खलीफ़ा कहते थे। इस विचारधारा को खिलाफ़त कहा जाता है। इस्लामी मान्यता के अनुसार, ख़लीफ़ा को जनता द्वारा चुना जाता है अर्थात ख़लीफ़ा जनता का प्रतिनिधि व सेवक होता है। प्रथम चार ख़लीफ़ाओं का शासनकाल इस्लामी सिद्धांतो के अनुसार था और इन चारों ख़लीफाओं (अबूबक्र, उमर, उस्मान तथा अली) को राशिदुन कहते हैं।

इस के पश्चात् ख़िलाफ़त की जगह राजतन्त्र आ गया यघपि राजा जोकि वंशानुगत होते थे, स्वयं को 'ख़लीफ़ा' ही कहलवाते रहे। उम्मयद, अब्बासी और फ़ातिमी खलीफा जो क्रमशः दमिश्क, बग़दाद और काहिरा से शासन करते थे, केवल नाममात्र के ख़लीफ़ा थे जबकि इनकी वास्तविकता राजतन्त्र था। इसी तरह इसके बाद उस्मानी (ऑटोमन तुर्क) खिलाफ़त आया। उस्मानी साम्राज्य के अंत तक यह नाममात्र का ख़लीफ़ा पद सामुदायिक एकता का प्रतीक बना रहा। यघपि इस्लामी जगत मे इन्हें ख़लीफ़ा कहा तो जाता है किंतु वास्तविक रूप मे इन्हें ख़लीफ़ा नहीं बल्कि बादशाह ही माना जाता है।
मुहम्मद साहब के नेतृत्व में अरब बहुत शक्तिशाली हो गए थे। उन्होंने एक बड़े साम्राज्य पर अधिकार कर लिया था जो इससे पहले अरबी इतिहास में शायद ही किसी ने किया हो। खलीफ़ा बनने का अर्थ था - इतने बड़े साम्राज्य का मालिक। अतः इस पद को लेकर विवाद होना स्वाभाविक था।
राशिदून ख़लीफ़ा
संपादित करेंकाल | ख़लीफ़ा | इस्लामी अक्षरांकन | मुहम्मद S.A.W.से रिश्तेदारी | माता पिता | कुटुंब | विषय |
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8 जून 632 – 22 अगस्त 634 | अबू बक्र (أبو بكر) 'अब्दुल्ला सहाबी अस-सिद्दीक़ |
मुहम्मद की पत्नी हज़रत आईशा के पिता | बनू तयिम |
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23 अगस्त 634 – 3 नवंबर 644 | 'उमर इब्न अल-ख़त्ताब (عمر بن الخطاب) सहाबी अल-फ़ारूक़ अमीर अल-मूमिनीन |
मुहम्मद की पत्नी हफ़सा के पिता |
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बनू अदिय |
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11 नवम्बर 644 – 20 जून 656 | 'उस्मान इब्न अफ़्फ़ान (عثمان بن عفان) सहाबी Dhun Nurayn अमीर अल-मूमिनीन |
मुहम्मद की बेटियां रुक़य्या और उम् कुलसुम के पती |
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बनू उमय्या |
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20 जून 656 – 29 जनवरी 661 | अली (علي بن أبي طالب) सहाबी अमीर अल-मूमिनीन |
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बनू हाशिम |
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हजरत हसन अली खलीफत (661)
संपादित करेंकाल | ख़लीफ़ा | इस्लामी अक्षरांकन | हजरत मुहम्मद से रिश्तेदारी | माता-पिता | वंश | टिप्पणी |
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661 (छह महीने तक) | हसन इब्न अली (الحسن بن علي) अहलेबैत अमीर अल-मूमिनीन |
हजरत मुहम्मद (स०) के नवासे. हजरत अली के पुत्र |
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बनू हाशिम |
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उमय्यद ख़लीफ़ा (661 – 6 अगस्त 750)
संपादित करेंकाल | ख़लीफ़ा | हजरत मुहम्मद से रिश्तेदारी | माता-पिता | टिप्पणी |
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661 – 29 अप्रैल और 1 मई 680 | मुआविया प्रथम (معاوية) सहावी अमीर अल-मुमिन |
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680 – 11 नवम्बर 683 | यजीद प्रथम (يزيد) अमीर अल-मुमिन |
मुआविया प्रथम के पुत्र |
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नवम्बर 683 – 684 | मुआविया द्वितीय (معاوية الثاني) अमीर अल-मुमिन |
यजीद प्रथम का पुत्र |
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684 – 7 मई 685 | मरवान प्रथम (مروان بن الحکم) सहावी अमीर अल-मुमिन |
उस्मान बिन अफ्फान के चचेरे भाई |
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685 – 8 अक्टूबर 705 | 'अब्द अल मलिक इब्न मरवान (عبد الملك بن مروان) अमीर अल-मुमिन |
मरवान प्रथम के पुत्र |
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अक्टूबर 705 – 23 फरवरी 715 | अव वालिद प्रथम (الوليد الأول) अमीर अल-मुमिन |
अब्द अल-मलिक इब्न मरवान के पुत्र |
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फरवरी 715 – 22 सितम्बर 717 | सुलेमान इब्न अब्द अल-मलिक (سلیمان بن عبدالملک) अमीर अल-मुमिन |
अब्द अल-मलिक के पुत्र और अल-वालिद प्रथम के भाई |
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सितम्बर 717 – फरवरी 720 | 'उमर इब्न अब्द अल अजीद (عمر بن عبد العزيز) अमीर अल-मुमिन
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नोट: लोग गलती से कहते हैं कि वह पांचवे रशीदून ख़लीफ़ा थे - जबकि पांचवे ख़लीफ़ा वास्तव में हजरत हसन इब्न अली थे | |
10 फरवरी 720 – 26 जनवरी 724 | यजीद द्वितीय व (يزيد الثاني) अमीर अल-मोमीन |
अब्द अल-मलिक इब्न मरवान के पुत्र |
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26 जनवरी 724 – 6 फरवरी 743 | हिशाम इब्न अब्द अल-मलिक (هشام بن عبد الملك) अमीर अल-मुमिन |
अब्द अल-मलिक इब्न मरवान के पुत्र |
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6 फरवरी 743 – 17 अप्रैल 744 | अल-वालिद द्वितीया (الوليد الثاني) अमीर अल-मोमीन |
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अप्रैल 15 to अक्टूबर 3 और 4, 744 | यजीद तृतीय (يزيد الثالث) अमीर अल-मुमीन |
अल-वालिद प्रथम के पुत्र |
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744 (केवल कुछ हफ्ते) | इब्राहिम इब्न अल-वालिद (ابراهيم ابن الوليد) अमीर अल-मुमिन |
अल-वालिद प्रथम |
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744 – 6 अगस्त 750 | मरवान द्वितीया (مروان بن محمد) अमीर अल-मुमिन |
मरवान प्रथम के पोते |
उम्मयद खिलापत के संस्थापक मुआविया (r.a) थे[1]
जिन्होंने अपनी राजधानी डमास्कस (सीरिया) को बनाया ,जहां से वोह शासन करते थे ।
उम्मयद सल्तनत इस्लामिक सिद्धांतों से हटकर राजतंत्र का प्रारंभ था और यह पहला नाममात्र का ख़लीफा वंश था जिसके खलीफ़ा वंशानुगत रूप से बने। इस समय इस्लामी साम्राज्य पूर्व की दिशा में सिन्ध और बलूचिस्तान तक फैल गया। ये सांसारिक और विलासी थे और मुहम्मद साहब (और क़ुरआन) द्वारा बताए गए रास्तों से अलग रहे। इन्हीं के साम्राज्य मे मुहम्मद के घर वालों पर भी अत्याचार किये गये और प्रसिद्ध कर्बला की घटना हुई जिसको इस्लामिक जगत मे दुखद घटना के रूप मे याद रखा जाता है। इस वंश के एक ख़लीफ़ा उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ को वास्तविक ख़लीफ़ा माना जाता है क्योंकि इनके राजपाट के त्यागने के पश्चात् इन्हें जनता द्वारा शासन सौंपा गया था और इनका शासनकाल इस्लामी सिद्धांतों के अनुरूप रहा। इनकी हत्या इनके परिवार द्वारा ही कर दी गयी।
अब्द अल-रहमान प्रथम नामित उमायद खलीफा ने नरसंहार से भाग कर इबेरियन प्रायद्वीप (अल-आँडालस) में ख़िलाफ़त ए क़र्तबा की स्थापना की।
इसके पश्चात् अब्बासियों का शासन आया। और इनकी राजधानी बग़दाद थी जोकि इराक में है।
ख़िलाफ़त ए क़र्तबा
संपादित करें744-747 में तीसरे मुस्लिम गृहयुद्ध द्वारा कमजोर उमायदाओं को अंततः 750 ईस्वी या 132 हिजरी में अब्बासी क्रांति द्वारा गिरा दिया गया। जिसके पश्चात् उमय्यद परिवार की एक शाखा उत्तरी अफ्रीका और अल- अन्डलस चली गई, जहां उन्होंने ख़िलाफ़त ए क़र्तबा की स्थापना की, जो कि 1031 तक जारी रही।
अब्बासी
संपादित करेंअब्बासियों ने बग़दाद से शासन किया। नौंवी सदी के अन्त तक उनकी शक्ति स्थानीय शासकों या अमीरों का हाथ चली गई थी। ग्यारहवीं सदी में उन्हीं के द्वारा निर्मित ग़ुलाम प्रथा (मामलुक) ने साम्राज्य को सैनिक रूप से कई भागों में बाँट लिया था। 1258 में मंगोलों के आक्रमण के कारण बगदाद का पतन हो गया पर उनकी एक शाखा ने काहिरा से अपना प्रभुत्व 1517 तक बनाया।
उस्मानी
संपादित करेंपन्द्रवीं सदी से लेकर 1924 तक इस्लामी जगत पर उस्मानों (ऑटोमन तुर्क) का दबदबा बना रहा। मक्का पर उस्मानों का अधिकार हो गया। 1924 में तुर्की के शासक कमाल पाशा ने खिलाफ़त का अन्त कर दिया और तुर्की को एक गणराज्य घोषित कर दिया।
21 वी सदी में आईएसआईएस (2014 -वर्तमान)
संपादित करेंआईएसआईएस (इस्रामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) ने 29 जून 2014 को अपने प्रमुख "अब्दु बकर सिद्धीक" को एक नया 'खलीफा' घोषित किया हैं। मुस्लिम विद्वानों के अनुसार, आईएसआईएस एक इस्लाम विरोधी विचारधारा है और आईएसआईएस के द्वारा अपने प्रमुख के लिये ख़लीफ़ा शब्द की घोषणा को इस्लामिक जगत मे "ख़लीफा" शब्द के दुरूपयोग के तौर पर देखा जाता है। [2][3]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ डॉक्टर किशोरी प्रसाद साहु,रीडर, इतिहास विभाग, रांची विश्व विद्यालय. "अध्याय--६ उमय्यद खिलाफत की स्थापना और मुआविया: अरब साम्राज्य का निर्माता". पुस्तक: 'इस्लाम - उद्भव और विकास' Islam - The Origin and Development (Hindi,archive),प्रकाशन-१९८७, बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित: पृष्ठ 222.
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: CS1 maint: multiple names: authors list (link) - ↑ "इराक में 'इस्लामिक शासन', अल-बगदादी बना दुनिया के मुस्लिमों का 'खलीफर'". समय लाइव. ३० जून २०॥४. Retrieved २६ जुलाई २०१४.
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(help) - ↑ "आईएसआईएऐ ने बनाया इस्लामिक स्टेट, बगदादी खलीफा". लाइव हळन्दुस्तान. ३० जून २०१४. Archived from the original on 29 जुलाई 2014. Retrieved २६ जुलाई ॠ०१४.
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इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- मुसलमान क्यों ख़िलाफ़त चाहते हैं? (बीबीसी हिन्दी)