गहोई
गहोई एक मध्य भारत में एक व्यापारी समुदाय तथा एक भारतीय उपनाम है।[1] गहोई समुदाय को 12 गोत्रों में बांटा गया है, प्रत्येक गोत्र छः उपजातियों में विभाजित हैं। उन्होंने पारंपरिक रूप से बुंदेलखंड के परवर जैन समुदाय के साथ सहभागिता की है।[2][3]
ग्रहापति कोक्काल शिलालेख में उल्लिखित "ग्रहापति" परिवार को उसी समुदाय से माना जाता है जिसे अब गहोई के नाम से जाना जाता है।[4] खजुराहो अवस्थित यह शिलालेख जिसपर विक्रम संवत १०५६, कार्तिक मास अंकित है, ग्रहपति परिवार का सबसे पुराण संकेत है[5]
गोत्र
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "गहोई वैश्य जाति का उदभव और विकास". मूल से 30 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 सितंबर 2014.
- ↑ "गहोई समाज ने मनाया होली मिलन समारोह, Bhaskar News Network, Mar 30, 2016,". मूल से 2 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 मार्च 2020.
- ↑ "अखिल भारतीय गहोई वैश्य महासभा के शताब्दी समारोह में समाज के मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया, Amar Ujala, 26 जून 2013". मूल से 2 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 मार्च 2020.
- ↑ Kallidaikurichi Aiyah Nilakanta Sastri; Indian History Congress (1959). A Comprehensive History of India. Orient Longmans. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7304-561-5.
- ↑ Svasti Śrī: Dr. B.Ch. Chhabra felicitation volume, K. V. Ramesh, Agam Prasad, S. P. Tewari, p. 139