ग़ज़वा ए सवीक
ग़ज़वा ए सवीक (अंग्रेज़ी:Invasion of Sawiq) इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद का एक अभियान था जिसमें बद्र की लड़ाई में हारे हुए क़ुरैश क़बीला वालों द्वारा खेतों को बर्बाद करने के कारण पीछा किया गया। यह घटना ज़िलहज 2 हिजरी के महीने में हुई थी।[1]
पृष्ठभूमि
संपादित करेंबद्र की लड़ाई में शर्मनाक हार झेलने के बाद, कुरैश नेता अबू सुफयान बिन हर्ब ने कसम खाई कि वह अपनी हार का बदला लेने तक स्नान (ग़ुस्ल जनाबत: स्त्री से मिलने के बाद वाला) नहीं करेंगे।अर्थात बदल लेने तक स्त्री से दूर रहेगा।
इस प्रयोजन के लिए, उसने दो सौ घुड़सवारों को लिया और मदीना से 12 मील दूर क़नात घाटी के अंत में स्थित नीब पर्वत के किनारे डेरा डाला। सीधे हमला करने के बजाय, उसने एक अलग तरीका अपनाया। वह रात में गुप्त रूप से बनू नज़ीर जनजाति की बस्ती में पहुंचा। लेकिन यह सोचकर कि परिणाम बुरा हो सकता है, सीधे हमले की हिम्मत ना कर सका। क़बीले के मुखिया हुआ इब्न अख़ताब ने अबू सुफ़यान को घर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी।
अबू सुफ़ियान ने बनू नज़ीर के एक अन्य नेता और जनजाति के कोषाध्यक्ष सल्लम इब्न मिशकम से मुलाकात की। अबू सुफियान ने सलाम इब्न मिशकाम का आतिथ्य स्वीकार किया। सल्लम ने उनका अभिवादन किया और उन्हें मदीना के बारे में गुप्त जानकारी दी। रात में अबू सुफ़ियान वापस आया और अपनी पार्टी में शामिल हो गया। उसने अपनी सेना के लोगों को मदीना के पास उरैद नामक स्थान पर हमला करने के लिए भेजा। इसी बीच सुरक्षाबलों ने यहां के खजूर के पेड़ों को काटकर आग लगा दी। हमले के दौरान यहां रह रहे दो मुसलमानों की मौत हो गई थी। फिर वे मक्का भाग गए।
खबर मिलने के बाद, मुहम्मद ने मदीना का प्रशासन अबू लुबाबा इब्न अब्दुल मुंज़िर को सौंप दिया और मुसलमानों की एक सेना के साथ कुरैश का पीछा किया। हालाँकि, कुरैश जल्दी से भाग गए और उन पर हमला नहीं कर सके। मुसलमानों ने कुरैश का पीछा करकरत अल-कुदर तक किया। भागते समय, कुरैश के समूह ने बोझ को हल्का करने के लिए अपने कुछ छतरियों और सामानों को पीछे छोड़ दिया। उन्हें मुसलमानों ने अपने कब्जे में ले लिया।
सराया और ग़ज़वात
संपादित करेंअरबी शब्द ग़ज़वा [2] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[3] [4]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "ग़ज़वा-ए-सवीक". पृ॰ 483. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
- ↑ Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
- ↑ siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
- ↑ ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up