ग़ुस्ल
इस्लामी स्नान
ग़ुस्ल (अरबी: غسل Ġusl , IPA: [ˈɣʊsl]) एक अरबी भाषा शब्द का है। जिसका मतलब पुरे शरीर को नहलाना अर्थात स्नान होता है , अगर वयस्क व्यक्ति अपनी पाकीज़गी (शुद्धता) खो चुका है तो इस्लाम में नमाज और अन्य इस्लामी अनुष्ठानो (Rituals) के समय सबसे पहले[1] [2]ग़ुस्ल करना ज़रूरी है हर उस वयस्क इन्सान पर जो कि :
- यौन-संबंध कर चुका हो
- प्राकृतिक मौत मर गया हो
- जिस लड़की मासिक धर्म पूरा हो गया हो[3]
ग़ुस्ल को "पूर्ण स्नान" भी कहा जा सकता है, इसके विपरीत "आधा स्नान" , वुज़ु जिसे मुस्लिम छोटी नापाकी जैसे मूत्र त्याग करने, शौच करने, पादने, गहरी नींद सोने, ज़रा भी खून बहने पर किया जाता है।
ग़ुस्ल के प्रकारसंपादित करें
ग़ुस्ल के प्रकार (सुन्नि इस्लाम मे)संपादित करें
ग़ुस्ल के प्रकार (शिया इस्लाम मे)संपादित करें
छ: वजह जब ग़ुस्ल करना ज़रूरी, और हरेक वजह का खास नाम है।[4]
- ग़ुस्ल -जनाबत : वीर्य निकलने पर
- ग़ुस्ल -हय्द : मासिक धर्म होने पर
- ग़ुस्ल -इस्तीहदाद : महिलाओ मे अनियमित खून का बहाव
- ग़ुस्ल -निफस : प्रसव होने के बाद खून आने पर
- ग़ुस्ल -ए-मय्यत : मुसलमान के मरने पर
- ग़ुस्ल मस्स अल-मय्यत : शव छूने के बाद (शिआ अक़िदाह)
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ Sahih Muslim, Hadith number 616
- ↑ अ आ Sahih Muslim, Hadith number 616
- ↑ http://seekershub.org/ans-blog/2010/08/25/the-ritual-bath-ghusl-obligatory-recommended-and-disliked-acts/ Archived 2017-11-28 at the Wayback Machine 2010-08-26. Retrieved 2016-06-26.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 नवंबर 2017.
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