चैत्रवंश कायस्थ राजा श्री गृहपति भगवान शिव के उन्नीस अवतारों में से छठे अवतार माने जाते हैं। शिव महापुराण के अनुसार इनके पिता का नाम चैत्रवंश राजा विश्वानर सुचारू वंशीएवम् माता का नाम रानी शुचिषमति था। पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की आर्धना की थी

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श्री शिव अवतार चैत्रवंश महाराज ग्रहपति

जन्म संपादित करें

इनके जन्म के विषय में दो कथाएँ प्रचलित हैं। 

प्रथम कथा संपादित करें

पहली कथा का उल्लेखन शिव महापुराण के रूद्र कोटि सहिंता के प्रथम खण्ड में मिलता है।

एक बार भगवान शिव का बालरूप देखने के लिए भगवान विष्णु ने प्रार्थना की। अपने आराध्य की इच्छा का सम्मान करते हुए भगवान शंकर ने गृहपति अवतार लिया।

दूसरी कथा संपादित करें

दूसरी कथा का उल्लेखन शिवमहपुराण और लिंगपुराण में भी मिलता है। इसके अनुसार धर्मपुर में विश्वानर नामक एक परम पराकर्मी चैत्रवंश गौर कायस्थ राजा हुआ करता था। राजा धर्मात्मा तो था ही उदार दिल भी बहुत था। वह भगवान शंकर का परम भक्त था लेकिन विवाह के कई वर्षों के पश्चात् भी उसे सन्तान की प्राप्ति नहीं हुई। अपने राजगुरु की आज्ञा लेकर वह काशी में विश्वनाथ मन्दिर में जाकर उसने काशी में जाकर वीरेश लिंग का रुद्राभिषेक किया। उसकी पूजा अर्चना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे वरदान दिया कि कालांतर में वे स्वयं उसके पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। समय आने पर भगवान शंकर ने विश्वानर की पत्नी शुचिषमति के गर्भ से गृहपति के रूप में जन्म लिया।

स्वरूप संपादित करें

भगवान चैत्रवंश कायस्थ राजा गृहपति भगवान शिव के उन्नीस अवतारों में से एकमात्र अवतार ऐसे हैं जो बाल रूप में हैं और हाथ में त्रिशूल तलवार सिर पर चन्द्रमा स्वर्ण मुकुट , गले और जटा में नाग ऐसा है भगवान गृहपति का स्वरूप। चित्रगुप्त पुत्र सुचारू गौड़ा नरेश राजा विश्वनार राजा ग्रहपति गौड़ा कायस्थ वंश वंशावली गौर वंश 6 कुल मैं बाटा था एक चित्रवंश रघुवंश ब्रघुवंश और यदुवंश निषाद