ग्रहण युग (खगोल विज्ञान)

ग्रहण युग (अंग्रेजी: saros ) ठीक २२३ चंद्रमास की अवधि है। दूसरे शब्दों में लगभग ६५८५.३२११ दिन, या १८ साल और १० और ८ घंटे ( इस बीच आए अधिवर्षों की संख्या के आधार पर ये ११, या १२ दिन भी हो सकता है) । ग्रहण युग का उपयोग ग्रहणों की भविष्यवाणी करने के लिए किया जा सकता है । किसी ग्रहण होने के एक ग्रहण युग के समयांतराल के बाद , सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा लगभग वैसी ही सापेक्ष ज्यामितिय स्थिति में पुनः आ जाते हैं और लगभग वैसा ही ग्रहण होता है, जिसे ग्रहण चक्र के रूप में जाना जाता है। एक ग्रहण-अर्धयुग एक ग्रहण युग का आधा है। [1]

एक ग्रहण युग में हुए सभी ग्रहणों को मिलकर ग्रहण युग श्रृंखला कहा जाता है।

ग्रहण युग की माप ये हैं :

मान ले कि यदि आज कोई सूर्य ग्रहण होता है इसका अर्थ है कि आज अमावस्या है और चन्द्रमा किसी एक चन्द्रपात पर है। इसके एक ग्रहण युग के बाद जो अमावस्या होती तब चंद्रमा की कक्षा के इसी चन्द्रपात एक और सूर्य ग्रहण होगा ।

ग्रहण युग (अंग्रेजी: saros ) का प्राचीनतम ऐतिहासिक रिकॉर्ड ईसा पूर्व की अंतिम कुछ शताब्दियों में कलडीन (नव बेबीलोन) खगोलविदों के द्वारा है । [2] [3] [4] इसे बाद में हिप्पार्कस, प्लिनी [5] और टॉलेमी के ने भी जाना है । [6]

यह सभी देखें

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  1. van Gent, Robert Harry (8 September 2003). "A Catalogue of Eclipse Cycles".
  2. Tablets 1414, 1415, 1416, 1417, 1419 of: T. G. Pinches, J. N. Strassmaier: Late Babylonian Astronomical and Related Texts. A. J. Sachs (ed.), Brown University Press 1955
  3. A. J. Sachs & H. Hunger (1987–1996): Astronomical Diaries and Related Texts from Babylonia, Vol.I–III. Österreichischen Akademie der Wissenschaften. ibid. H. Hunger (2001) Vol. V: Lunar and Planetary Texts
  4. P. J. Huber & S. de Meis (2004): Babylonian Eclipse Observations from 750 BC to 1 BC, par. 1.1. IsIAO/Mimesis, Milano
  5. Naturalis Historia II.10[56]
  6. Almagest IV.2

बाहरी कड़ियाँ

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