चमोली जिला

उत्तराखण्ड का जिला
(चमोली तहसील से अनुप्रेषित)

चमोली भारतीय राज्य उत्तरांचल का एक जिला है। बर्फ से ढके पर्वतों के बीच स्थित यह जगह काफी खूबसूरत है। चमोली अलकनंदा नदी के समीप बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है। यह उत्तराचंल राज्य का एक जिला है। यह प्रमुख धार्मिल स्थानों में से एक है। काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। चमोली की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पूरे चमोली जिले में कई ऐसे मंदिर है जो हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। चमोली में ऐसे कई बड़े और छोटे मंदिर है तथा ऐसे कई स्थान है जो रहने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस जगह को चाती कहा जाता है। चाती एक प्रकार की झोपड़ी है जो अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। चमोली मध्य हिमालय के बीच में स्थित है।

चमोली
—  जिला  —
उत्तराखण्ड में स्थिति
उत्तराखण्ड में स्थिति
उत्तराखण्ड में स्थिति
निर्देशांक: (निर्देशांक ढूँढें)
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य उत्तराखंड
नगर पालिका अध्यक्ष
जनसंख्या
घनत्व
3,70,359 (2001 के अनुसार )
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
8,030 वर्ग कि.मी. कि.मी²
• 960 मीटर (3,150 फी॰)

अलकनंदा नदी यहाँ की प्रसिद्ध नदी है जो तिब्बत की जासकर श्रेणी से निकलती है।

चमोली का क्षेत्रफल 8,030 वर्ग कि.मी. है।

जिले के प्रशासनिक मुख्यालय गोपेश्वर नगर में स्थित हैं। प्रशासनिक कार्यों से जिले को १२ तहसीलों में बांटा गया है। ये हैं: चमोली, जोशीमठ, पोखरी, कर्णप्रयाग, गैरसैण, थराली, देवाल, नारायणबगड़, आदिबद्री, जिलासू, नंदप्रयाग तथा नंदानगर। इसके अतिरिक्त, जिले को ९ विकासखंडों में भी बांटा गया है: दशोली, जोशीमठ, नंदानगर, पोखरी, कर्णप्रयाग, गैरसैण, नारायणबगड़, थराली तथा देवाल। पूरा जिला गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है, और इसमें ३ उत्तराखण्ड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं; बद्रीनाथ, थराली और कर्णप्रयाग

प्रमुख स्थल

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बद्रीनाथ

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बद्रीनाथ देश के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। यह चार धामों में से एक धाम है। श्री बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। इसके बाद इसका निर्माण दो शताब्दी पूर्व गढ़वाल राजाओं ने करवाया था। बद्रीनाथ तीन भागों में विभाजित है- गर्भ गृह, दर्शन मंडप और सभा मंडप।

अलखनंदा नदी के किनार पर ही तप कुंड स्थित कुंड है। इस कुंड का पानी काफी गर्म है। इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले इस गर्म पानी में स्नान करना जरूरी होता है। यह मंदिर प्रत्येक वर्ष अप्रैल-मई माह में खुलता है। सर्दियों के दौरान यह नवम्बर के तीसर सप्ताह में बंद रहता है। इसके साथ ही बद्रीनाथ में चार बद्री भी है जिसे सम्मिलित रूप से पंच बद्री के नाम से जाना जाता है। यह अन्य चार बद्री- योग ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री और वृद्धा बद्री है।

हेमकुंड साहिब

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हेमकुंड को स्न्रो लेक के नाम से भी जाना जाता है। यह समुद्र तल से 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां बर्फ से ढके सात पर्वत हैं, जिसे हेमकुंड पर्वत के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त तार के आकार में बना गुरूद्वारा जो इस झील के समीप ही है सिख धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। यहां विश्‍व के सभी स्थानों से हिन्दू और सिख भक्त काफी संख्या में घूमने के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि गुरू गोविन्द सिंह जी, जो सिखों के दसवें गुरू थे, यहां पर तपस्या की थी। यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय जुलाई से अक्टूबर है।

गोपेश्‍वर

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गोपेश्‍वर शहर में तथा इसके आस-पास बहुत सारे मंदिर है। यहां के प्रमुख आकर्षण केन्दों में पुराना शिव मंदिर, वैतामी कुंड आदि है। It is the District Headquarter of Chamoli District..Till 1970, the district Headquarter oc Chamoli was in Chamoli..but in 20 July 1970, due to flood in Alakanand River, the chamoli washed away and it was shifted to Gopeshwar....it is a beautiful place..

अनुसूया मंदिर

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सती माता अनसूइया मन्दिर(संस्कृत: अनसूया देवी) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले के मण्डल नामक स्थान में स्थित है। नगरीय कोलाहल से दूर प्रकृति के बीच हिमालय के उत्तुंग शिखरों पर स्थित इन स्थानों तक पहुँचने में आस्था की वास्तविक परीक्षा तो होती ही है, साथ ही आम पर्यटकों के लिए भी ये यात्रा किसी रोमांच से कम नहीं होती। यह मन्दिर हिमालय की ऊँची दुर्गम पहडियो पर स्थित है इसलिये यहाँ तक पहुँचने के लिये पैदल चढाई करनी पड़ती है।

पंच प्रयाग

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पंच प्रयाग में गढ़वाल हिमालय से निकलने वाली पांच प्रमुख नदियों का संगम होता है। ये पांच नदियां विष्णु प्रयाग, नंद प्रयाग, कर्ण प्रयाग, रूद्र प्रयाग और देव प्रयाग है।

देव प्रयाग

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यहां दो प्रमुख नदियों अलखनंदा और भागीरथी आपस में मिलती है। इसके अलावा यहां कई प्रसिद्ध मंदिर और नदी घाट भी है। ऐसा माना जाता है कि देव प्रयाग में भगवान विष्णु ने राजा बाली से तीन कदम भूमि मांगी थी। यहां रामनवमी, दशहरा और बसंत पंचमी के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है।

विष्णु प्रयाग

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यहां अलखनंदा और धौली गंगा नदियों का संगम होता है। यह समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। विष्णु प्रयाग से जोशीमठ सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

फूलों की घाटी

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फूलों की घाटी, चमोली

प्राकृतिक प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग के समान है। इस स्थान की खोज फ्रेंक स्मिथ और आर.एल. होल्डवर्थ ने 1930 में की थी। इस घाटी में सबसे अधिक संख्या में जंगली फूलों की किस्में देखी जा सकती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा के लिए यहां से संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे। इस घाटी में पौधों की 521 किस्में हैं। 1982 में इस जगह को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित कर दिया गया था। इसके अलावा यहां आपको कई जानवर जैसे, काला भालू, हिरण, भूरा भालू, तेंदुए, चीता आदि देखने को मिल जाएंगें।

औली बहुत ही खूबसूरत जगह है। अगर आप बर्फ से ढ़के पर्वतों और स्की का मजा लेना चाहते हैं तो औली बिल्कुल सही जगह है। जोशीमठ के रास्ते से आप औली तक पहुंच सकते हैं। जो कि लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सर्दियों में कई प्रतियोगियों का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन गढ़वाल मंडल विकास सदन द्वारा करवाया जाता है। इसके अलावा आप यहां से नंदा देवी, कामत औद और दुनागिरी पर्वतों का नजारा भी देख सकते हैं। जनवरी से माच के समय में औली पूरी तरह बर्फ की चादर से ढ़का हुआ रहता है। यहां पर बर्फ करीबन तीन फीट तक गहरी होती है। औली में होने वाले स्की कार्यक्रम यहां पर्यटकों को अपनी ओर अधिक आकर्षित करते हैं।

रेल मार्ग-

सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। नई दिल्ली से रेल द्वारा आप ऋषिकेश या हरिद्वार आ सकते है। ऋषिकेश से आप टेक्सी व बस द्वारा चमोली आसानी से पहुँच सकते है।

हवाई अड्डा-

सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जोलीग्रांट है। यह चमोली से 221 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सड़क मार्ग-

देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल और अल्मोड़ा सभी जगह से चमोली के लिए बसें चलती है। आप दिल्ली या चंडीगढ़, अम्बाला आदि शहरों से भी आसानी से हरिद्वार, देहरादून या ऋषिकेश तक आ सकते है, तत्पश्चात बस या टेक्सी द्वारा आप चमोली हेतु प्रस्थान कर सकते है।

बाहरी कड़ियाँ

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यहां चमोली जिले में मुख्यालय से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऊखीमठ नामक स्थान पर सारी गांव में एक गांव का पुराना मंदिर है। इस मंदिर की यह विशेषता है की इस मंदिर के शिवलिंग में पानी वाला दूध चढ़ाया जाए तो दूध और पानी अलग अलग हो जाते हैं..!