चैत्यालय तारण पंथ के धार्मिक स्थल को कहते हैं। चैत्यालय देश के पांच राज्यों के १६८ स्थानों पर हैं। सर्वाधिक चैत्यालय बासोदा में हैं। व ज़िला स्तर पर दमोह में हैं। नाम चैत्यालय अवश्य है किंतु इसके भीतर वेदी में जिनवाणी रखातीं हैं जिनवाणी अर्थात जैन ग्रंथ।इनके निर्माण के पश्चात वेदी प्रतिष्ठा होती है।इसमें प्रथम दिवस अस्थाप व ध्वजारोहण,द्वितीय दिवस कलशारोहण,तृतीय दिवस वेदीसूतन व तिलक होता है।इसमेंं आयोजक परिवार को तारण तरण महासभा पदवी देती है।इसमें निम्न पदवियां मिलती हैं।क्रमशः सामुहिक,एक बार,दो बार,तीन बार,चार व पांच बार में धर्मप्रेमी, सेठ,सवाई सेठ,श्रीमंत, समाज रत्न और समाज भूषण की पदवी मिलती हैंं।

चैत्यालयों में सार्वजनिक समारोह जैसेकि नववर्ष समारोह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।[1]

https://web.archive.org/web/20190719111949/http://taranpanth.com/>

बाहरी कड़ियाँ

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इन्हें भी देखें

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  1. https://www.bhaskar.com/bollywood/news/MP-OTH-1710878-2704152.html[मृत कड़ियाँ]