तारणपंथ
तारण पंथ का अर्थ है तारने वाला पंथ या मोक्षमार्ग।तारण पंथ अनादि काल से है और अनंत काल तक रहेगा जिसका कोई संस्थापक नहीं। तारण पंथ की प्रवर्तना तीर्थंकर परमात्मा करते हैं।
स्थापक | |
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तारण स्वामी | |
महत्वपूर्ण आबादी वाले क्षेत्र | |
मध्य भारत | |
20,000-100,000 | |
धर्म | |
दिगंबर जैन धर्म | |
धर्मग्रंथ | |
see Texts | |
जालस्थल | |
www |
तारण पंथ, का अर्थ है तारने वाला पंथ या मोक्षमार्ग।तारण पंथ अनादि काल से है और अनंत काल तक रहेगा जिसका कोई संस्थापक नहीं। तारण पंथ की प्रवर्तना तीर्थंकर परमात्मा करते हैं। तारण पंथ में कई ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने अपनी साधना के अनुभव पर अध्यात्म का सार जगत को समझाया।इन आचार्यों की सूची में अग्रणी हैं-सोलहवीं सदी के महान भावलिंगी वीतरागी दिगंबर श्रमण आचार्य श्रीमद् संत तारण तरण स्वामी।
विवरण
संपादित करेंतारणपंथी मूर्ति पूजा नहीं करते। जितने भी तीर्थंकर परमात्मा हुए हैं उन्होंने अपनी निज आत्मा का ध्यान करते हुए ही मुक्ति श्री को प्राप्त किया है इसलिए इस पंथ में शुद्धात्मा को ही परम देव माना जाता है जैसा कि तीर्थंकर भगवन्तों ने दर्शाया है एवं वह अपने चैत्यालयों में विराजमान शास्त्रों की आराधना करते हैं। इनके यहां आचार्य तारण तरण देव जी द्वारा रचित ग्रंथों के अतिरिक्त [1] अन्य दिंगबर जैनाचायों के ग्रंथों की भी मान्यता है। आचार्य तारण तरण देव का अध्यात्म का मार्ग विश्व मे विख्यात हैं।
अर्हताएं
संपादित करेंजो सप्त व्यसन के त्याग कर अठारह क्रियाओं का पालन करता है वह तारण पंथी कहलाता है। ये अपनी पूजा को 'मंदिर विधि' कहते हैं। ये मंदिर को 'चैत्यालय' कहते हैं। ये अभिवादन के रूप में जय जिनेंद्र एवं जय तारण तरण कहते हैं।
- विवरण
- आबादी -१०००००
- मुख्य स्थल - निसईजी मल्हारगढ़
- संस्थापक - संत तारण
- मंदिर संख्या - १६८ के लगभग
- निवास स्थल संख्या - ४५०
तारण समाज के तीर्थक्षेत्र
संपादित करेंनिसईजी मल्हारगढ़
संपादित करेंअशोकनगर की मुंगावली तहसील से १४ व कुरवाई से २० किलोमीटर दूर निसईजी या बडी निसईजी पिपरिया मल्हारगढ़ स्थित तारण समाज का सबसे बडा तीर्थक्षेत्र है।यहाँ अति विशाल मंदिर-धर्मशाला है। यहां भव्य शिखर से सुशोभित प्राचीन नक्काशी दार चैत्यालय स्मारक तारण स्वामी का समाधि स्थल है। यहां पर प्राचीन शिल्पकला देखने को मिलती है। मध्यकालीन राजपूत शैली में निर्मित यह क्षेत्र के मंदिर में स्वर्णमंडित चार वेदियां स्थापित हैं।जिन पर जिनेंद्र भगवान की वाणी जिनवाणी विराजमान है। यहां एक मूल वेदी है जिसके पीछे पाषाण निर्मित सर्वप्राचीन राजमंदिर वेदीजी एवं दोनों तरफ वेदिका है। यहां समाजभूषण श्रीमंत सेठ स्व. भगवान दास शोभालाल जी जैन सागर द्वारा निर्मित विशाल स्वाध्याय भवन है एवं निसईजी अस्पताल भी संचालित है। यहां पर आचार्य श्रीजिन तारण स्वामी ने जेठ वदी छट् की रात्रि के अंतिम पहर दिन शुक्रवार तिथि सप्तमी को सल्लेखना पूर्वक साधु समाधि धारण की। प्रतिवर्ष रंगपंचमी के तीन दिन बाद अष्टमी से फाग फूलना मेला महोत्सव आयोजित किया जाता है। यहां पर डेढ़ किमी दूर बेतवा नदी बहती है जिसके मध्य तीन टापू स्थित हैं जो स्वामीजी के डुबाने के परिणाम हैं।घाट पर आचार्य श्री का सामायिक स्थल भी है।
निसई जी सेमरखेड़ी
संपादित करेंयह तारण स्वामी का दूसरा प्रमुख क्षेत्र है।यहां संत तारण ने अपनी साधना की।यह तारण स्वामी की दीक्षा भूमि है।यहाँ गुरुकुल संचालित है। यहाँ विशाल मंदिर व १८० कमरों की धर्मशाला है।यहाँ तारण स्वामी को जहर पिलाया तो अमृत बन गया।यहाँ बसंत पंचमी पर मेलोत्सव होता है।
निसई जी सूखा
संपादित करेंयह तारण पंथ का तीसरा प्रमुख धाम है।यहाँ संत तारण ने अपना प्रचार प्रसार केंद्र बनाया।यह तारण स्वामी की विहार स्थली है।यहाँ स्वर्ण जड़ित वेदी है।यहाँ कांच जड़ित मंदिर व सर्व सुविधा युक्त १०५ कमरों की धर्मशाला है।यहाँ पानी की कमी थी वह संत तारण के प्रभाव से कम हो गई।यहाँ देवोठनी ग्यारस पर मेलोत्सव होता है।
पुष्पावति बिल्हेरी
संपादित करेंयह तारण पंथ का चौथा प्रमुख धाम है।यहाँ तारण स्वामी ने जन्म लिया व बाल्य काल बिताया।यहाँ विशाल मंदिर व १२० कमरों की धर्मशाला है।यहाँ जब पिता के कागज़ ज़ल गए तो तारण ने नए तैयार करके दिए।यहां तारण जयंती पर मेलोत्सव होता है।
अतिरिक्त तीर्थ क्षेत्र
संपादित करें- ग्यारसपुर - पहला चातुर्मास किया।
- गढ़ौला - दर्शन मात्र से मंत्र सिध्द हुआ।
- सम्मेद शिखर(मधुबन) - २० तीर्थंकर मोक्ष गए।
- चांद - प्रमुख शिष्य हिमांशु पांडे की साधना भूमि है।यहाँ गुरु पर्वी पर मेलोत्सव होता है।
जनसंख्या
संपादित करेंतारण पंथ की आबादी बीस हजार से एक लाख के मध्य है। तारण समाज ४५० से अधिक नगरों में बसती है। तारण समाज गंजबासौदा व भोपाल में सर्वाधिक बसती है। तारण समाज भारत के अलावा अमेरिका,यू.के. आदि देशों में भारत से जा बसे हैं।यह हिंदी,बुंदेली,नागपुरी,मराठी व अन्य क्षेत्रीय बोलियां बोलते हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ सूची
संपादित करें- ↑ "Books I have Loved". Osho.nl. मूल से 17 मई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १३ दिसम्बर २०१५.