कटनी से २० किलोमीटर दूर बिल्हेरी में विशाल चैत्यालय व धर्मशाला है। यह आचार्य तारण तरण देव जी की जन्म भूमि है।यहां १५० कोठों की विशाल धर्मशाला है।

अतिशय संपादित करें

  • यहाँ गढ़ाशाह के आवश्यक कागज़ ज़ल गये जो संत तारण ने ज्यों के त्यों कर डाले।

मेला महोत्सव संपादित करें

यहाँ प्रतिवर्ष तारण जयंती पर मेला महोत्सव होता है। यहाँ अभी तक २ मेले भरा चुके हैं पहला श्रीमंत सेठ डालचंद्र सागर व दूसरा श्री मंत सेठ प्रकाश चंद्र खुरई।

इसे भी देखें संपादित करें


संदर्भ संपादित करें

https://web.archive.org/web/20190719111949/http://taranpanth.com/