छिद्रक
शीघ्रातिशीघ्र छेद करने के लिए छिद्रक (Punch) का उपयोग होता है। कागज, दफ्ती, चमड़ा, कपड़ा तथा टिन, लोहा इत्यादि धातुओं के छेद करने के लिए पृथक-पृथक छिद्रक होते हैं। धातु में छेद करने का छिद्रक (punch) मोटी नोंक युक्त एक छोटा सा मजबूत औजार होता है, जिससे बलपूर्वक दबाकर या ठोंककर धातु की किसी पट्टिका इत्यादि में छेद कर दिया जाता है। छेद की आकृति छिद्रक की नोंक के अनुरूप ही होती है, जबकि बरमे से सदैव गोल छेद ही बन सकता है। पतली चीजों में छोटे छेद करने का काम छिद्रक पर हथौड़े या घन की चोट लगाकर किया जाता है। जब बहुत अधिक मात्रा में छेद बनाने, अथवा मोटी चीजों में छेद करने, होते हैं तब छिद्रक को दबाने का काम यंत्रों द्वारा किया जाता है, जो लीवर (lever), पेंचों की दाब या किरों द्वारा चलाए जाते हैं। किरें युक्त यंत्र पट्टे द्वारा और प्लंजर युक्त यंत्र द्रव शक्ति से भी चलाए जाते हैं।
छिद्रकों का निर्माण
संपादित करेंछिद्रकों को भारतीय मानक विशिष्ट सं. एम/13 (M/13) वर्ग ई (E) में वर्णित कार्बन इस्पात से बनाना चाहिए, जिसमें कार्बन 075 से 0.85%, मैंगनीज 0.4%, गंधक 0.035%, फॉस्फोरस 0.035% और सिलिका 0.20% से अधिक नहीं होनी चाहिए। ब्रिनेल कठोरता (Brinell hardness) 212 से 248 अंक तक होनी चाहिए। इस इस्पात का सामान्यीकरण (normalising) ताप 454 डिग्री सें. तथा तापानुशीतन (annealing) ताप 432 डिग्री सें. होता है। छिद्रक को कठोरीकरण (hardening) के लिए 432 डिग्री सें. तक गरम करके पानी में बुझाया जाता है। इसके पश्चात् मृदुकरण (tempering) करने के लिए छिद्रक को 726 डिग्री सें. तक गरम करने के बाद 255 डिग्री सें. ताप तक ठंडा करना चाहिए, अर्थात् उसकी सतह पर जब कत्थई रंग दिखने लगे तब उसे तेल कें बुझा देना चाहिए।