ज़मीर (1975 फ़िल्म)
ज़मीर 1975 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। यह रवि चोपड़ा द्वारा निर्देशित और बी.आर. चोपड़ा द्वारा निर्मित है।[1] इसमें शम्मी कपूर, सायरा बानो, अमिताभ बच्चन, मदन पुरी और विनोद खन्ना हैं।
ज़मीर | |
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ज़मीर का पोस्टर | |
निर्देशक | रवि चोपड़ा |
लेखक | अख़्तर-उल-ईमान (संवाद) |
कहानी | सी. जे. पावरी |
निर्माता | बी.आर. चोपड़ा |
अभिनेता |
शम्मी कपूर, विनोद खन्ना, सायरा बानो, अमिताभ बच्चन |
संगीतकार | सपन चक्रवर्ती |
प्रदर्शन तिथियाँ |
21 मार्च, 1975 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
इसका संगीत सपन चक्रवर्ती ने तैयार किया था। यह 1960 की देव आनंद अभिनीत बम्बई का बाबू पे आधारित फिल्म है। यह व्यावसायिक रूप से सफल रही थी।
संक्षेप
संपादित करेंमहाराज सिंह (शम्मी कपूर) कई डर्बी-विजेता घोड़ों के मालिक हैं और अपनी पत्नी, रुक्मिणी (इन्द्रानी मुखर्जी) और छोटे बेटे, चिम्पू के साथ एक आलीशान फार्महाउस में रहते हैं। एक दिन डकैत घोड़ों को चुराने के उद्देश्य से उनके फार्महाउस पर हमला करते हैं। लेकिन महाराज उनसे लड़ते हैं और इसमें डकैतों के नेता मान सिंह (मदन पुरी) का बेटा मारा जाता है। मान सिंह अपने बेटे की मौत का बदला लेने की कसम खाता है और चिंपू का अपहरण कर लेता है। वर्षों बाद, महाराज का एक सेवक, राम सिंह (रमेश देव), बादल नाम के एक युवक को उनके जीवन में लाता है और उन्हें बताता है कि वह उनका लापता बेटा चिम्पू है।
महाराज, रुक्मिणी और उनकी बेटी सुनीता दोनों चिम्पू को अपने जीवन में वापस पाकर बहुत खुश होते हैं। फिर बादल और सुनीता (सायरा बानो) को एक दूसरे से प्यार हो जाता है। तब बादल महाराज के सामने स्वीकार करता है कि वह चिम्पू नहीं है, बल्कि सज़ा पाया हुआ कैदी है जिसे राम सिंह ने उसका रूप धारण करने के लिए कहा था। महाराज यह जानकारी बीमार रुक्मिणी को नहीं देना चाहते हैं और जीवन भर इसे राज़ रखने का निर्णय लेते हैं। लेकिन देर-सबेर रुक्मिणी को यह पता चलना ही है - विशेषकर तब जब बादल और सुनीता खुलेआम अपना प्यार दिखाते हैं।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- शम्मी कपूर — ठाकुर महाराज सिंह
- सायरा बानो — सुनीता सिंह
- अमिताभ बच्चन — बादल
- मदन पुरी — डाकू मान सिंह
- विनोद खन्ना — डाकू सूरज सिंह
- इन्द्रानी मुखर्जी — रुक्मणि महाराज सिंह
- रमेश देव — राम सिंह
- जगदीश राज — शेर सिंह
संगीत
संपादित करेंसभी सपन चक्रवर्ती द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "ज़िन्दगी हंसने गाने के लिए है" | साहिर लुधियानवी | किशोर कुमार | 3:38 |
2. | "तुम भी चलो" | साहिर लुधियानवी | किशोर कुमार | 4:29 |
3. | "तुम भी चलो हम भी चले" | साहिर लुधियानवी | किशोर कुमार, आशा भोंसले | 3:32 |
4. | "फूलों के डेरे हैं" | साहिर लुधियानवी | किशोर कुमार | 4:00 |
5. | "बड़े दिनों में ख़ुशी का दिन आया, भाग. 1" | साहिर लुधियानवी | महेन्द्र कपूर | 3:45 |
6. | "बड़े दिनों में ख़ुशी का दिन आया, भाग. 2" | साहिर लुधियानवी | महेन्द्र कपूर | 1:24 |
7. | "आँका बांका तली तलाका" | इन्द्रजीत सिंह तुलसी | किशोर कुमार, मन्ना डे | 5:00 |
8. | "अब यहाँ कोई" | साहिर लुधियानवी | किशोर कुमार | 1:09 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "एक जैसी स्टारकास्ट वाली 2 फिल्में, पहली फ्लॉप, दूसरी ने बॉक्स ऑफिस पर मचाया गदर, विनोद खन्ना की लगी लॉटरी". News18 हिंदी. 10 अक्टूबर 2023. अभिगमन तिथि 30 मार्च 2024.